 
                                            Sainik School Rewa Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के रीवा का ऐतिहासिक सैनिक स्कूल शुक्रवार को गौरव और गर्व के अद्भुत संगम का साक्षी बना. वही मैदान, जहां कभी दो किशोर कैडेट्स अनुशासन, संघर्ष और देशभक्ति का पाठ पढ़ते थे, आज वही दोनों छात्र उपेंद्र द्विवेदी व दिनेश कुमार त्रिपाठी भारतीय सेना के सर्वोच्च पदों पर पहुंचने के बाद अपने पुराने स्कूल लौटे.
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आज सैनिक स्कूल रीवा में आयोजित अखिल भारतीय सैनिक स्कूल खेल प्रतियोगिता 2025 के समापन समारोह में थलसेना अध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी जी और नौसेना अध्यक्ष एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी जी के साथ उपस्थित होकर गौरव की अनुभूति हुई। pic.twitter.com/oqvDHNHaT3
— Rajendra Shukla (@rshuklabjp) October 31, 2025
दोनों अफसरों ने रीवा सैनिक स्कूल परिसर में कदम रखते ही अपने पुराने शिक्षकों, स्टाफ और रसोइयों तक को याद किया. जनरल द्विवेदी ने कहा, "मैं 9 साल का था जब इस स्कूल में आया था. मेरा बचपन यहीं बीता. इस धरती ने मुझे उस पदवी तक पहुंचाया है जो सेवा की सर्वोच्च पदवी है. मेहनत कीजिए, पैशन के साथ काम कीजिए, सफलता जरूर मिलेगी."
उन्होंने अपने पुराने साथी और मित्र एडमिरल दिनेश त्रिपाठी का जिक्र करते हुए कहा, "हमने पढ़ाई साथ की, ट्रेनिंग साथ की. बाद में हमारे साथ एयर फोर्स चीफ ए.पी. सिंह भी जुड़ गए. तीनों दोस्त जब मिले तो ताकत बन गए. ऑपरेशन सिंदूर आपने देखा ही है, और इसका दूसरा चरण ऑपरेशन सिंदूर 2.0 अभी जारी है. जब हमें लगेगा कि सब कुछ ठीक है, तभी खत्म करेंगे."

India Army Chief Dwivedi and Navy Chief Tripathi Dinesh Kumar Tripathi at Sainik School Rewa MP
Photo Credit: @rshuklabjp
जनरल द्विवेदी और एडमिरल त्रिपाठी ने बच्चों को प्रेरित करते हुए कहा कि हर नौजवान, चाहे उसने वर्दी पहनी हो या नहीं, देश का सच्चा सोल्जर है. उन्होंने बच्चों को लगन, अनुशासन और समर्पण का मंत्र देते हुए कहा कि "यह मिट्टी महान है, इसे नमन करता हूं." आज का दिन न सिर्फ सैनिक स्कूल रीवा के लिए, बल्कि पूरे मध्य प्रदेश और देश के लिए गर्व का क्षण बन गया.
रीवा पहुंचकर क्या बोले आर्मी चीफ?
न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार रीवा पहुंचने पर थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि "सच कहूँ तो, मैं इस समय बहुत भावुक महसूस कर रहा हूँ. क्योंकि जिस मातृभूमि में मेरा जन्म हुआ, वहाँ से लेकर आज यहाँ तक का सफ़र बेहद रोमांचक रहा है और इस धरती ने इसमें अहम भूमिका निभाई है. आज, मैं इस जगह आना चाहता हूँ, उस धरती को छूना चाहता हूँ, उसका आशीर्वाद लेना चाहता हूँ, और उन सभी का धन्यवाद करना चाहता हूँ जो मेरे जीवन का अभिन्न अंग रहे हैं, जो मेरे आदर्श रहे हैं, जिन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया और मेरा मार्गदर्शन किया." 
 
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