Bhopal Pollution News Today: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) इन दिनों गंभीर वायु प्रदूषण (Air Pollution) का सामना कर रहा है. ख़राब सड़कों और अत्यधिक धूल ने शहर के लोगों के स्वास्थ्य पर गहरा असर डाला है. दिवाली (Diwali) के बाद से ही भोपाल का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लगातार ख़राब होता जा रहा है. इस महीने भोपाल का एयर क्वालिटी इंडेक्स कई बार 300 के पार पहुंच चुका है.
स्थानीय निवासी और व्यवसायों पर दिख रहा असर
भोपाल के कोलार रोड पर आठ साल से रेस्टोरेंट चला रहे मोहन सिंह विश्वकर्मा जैसे निवासियों ने अब धूल और प्रदूषित हवा से बचने के लिए मास्क पहनना शुरू कर दिया है. दरअसल, मोहन अब सांस से जुड़ी समस्याओं का सामना करने लगे हैं. इसके बाद अब वह लोगों से भी मास्क पहनने की अपील कर रहे हैं. उनका कहना है कि सड़कों की ख़राब हालत के कारण धूल बढ़ गई है, जिससे अस्थमा और सर्दी-जुकाम जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं. मैं अब मास्क पहनता हूं और सभी से यही आग्रह करता हूं कि वह भी ऐसी ही करें. सिर्फ आम लोग ही नहीं, बल्कि कुछ इलाकों में तैनात ट्रैफिक पुलिस भी प्रदूषण के कारण अब मास्क का सहारा लेने लगी है.
भोपाल के अलग-अलग क्षेत्रों का ऐसा है हाल
तारीख | स्थान | AQI स्तर |
---|---|---|
14 नवंबर | पर्यावरण परिसर | 286 |
9 नवंबर | पर्यावरण परिसर | 310 |
टीटी नगर | 301 | |
कलेक्ट्रेट क्षेत्र | 261 | |
8 नवंबर | पर्यावरण परिसर | 323 |
टीटी नगर | 308 | |
कलेक्ट्रेट क्षेत्र | 261 | |
7 नवंबर | पर्यावरण परिसर | 318 |
टीटी नगर | 281 | |
कलेक्ट्रेट क्षेत्र | 292 | |
6 नवंबर | पर्यावरण परिसर | 301 |
टीटी नगर | 214 | |
कलेक्ट्रेट क्षेत्र | 242 |
(यह आंकड़े ARAI पुणे की रिसर्च के मुताबिक है)
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी
पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. लोकेंद्र दवे के अनुसार, वायु में मौजूद महीन कण (PM 2.5) स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हैं. ये कण फेफड़ों में गहराई तक जाकर अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकते हैं, जिससे श्वसन तंत्र की बीमारियां, हृदय रोग और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं बढ़ सकती हैं. दरअसल, धूल में मौजूद महीन कण फेफड़ों में गहराई तक जाकर अन्य अंगों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे सांस और नाक की एलर्जी, कार्डियक और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हो सकती है. यहां तक कि इससे लकवा और हार्ट अटैक जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
प्रदूषण से बचाव के लिए जागरुकता अभियान
भोपाल के CMHO डॉ. प्रभाकर तिवारी कहते हैं कि प्रदूषण की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने विभिन्न सरकारी विभागों में जागरुकता अभियान शुरू किया है. इसके लिए नेशनल प्रोग्राम ऑन क्लाइमेट चेंज एंड ह्यूमन हेल्थ के तहत कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं, जिनमें पुलिस, नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग और अन्य सरकारी कर्मचारियों को प्रदूषण नियंत्रण के उपाय सिखाए जा रहे हैं. “हम विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों को जागरूक कर रहे हैं, ताकि वे बढ़ते प्रदूषण के स्वास्थ्य जोखिमों को समझ सकें. यातायात और नगर निगम के उन कर्मचारियों को भी शिक्षित किया जा रहा है, जो लगातार प्रदूषण वाले क्षेत्रों में काम करते हैं.
नगर निगम के प्रदूषण नियंत्रण प्रयास
भोपाल नगर निगम के अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी के मुताबिक वह प्रदूषण को कम करने के लिए कई कदम उठा रहा है. इसमें सड़कों की मरम्मत और अधिक धूल वाले क्षेत्रों में पानी का छिड़काव शामिल है. सूर्यवंशी का कहना है कि वे पर्यावरण को संतुलित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम उन क्षेत्रों की पहचान कर रहे हैं, जहां अधिक धूल है. ऐसे जगहों पर पानी का छिड़काव भी कर रहे हैं. हमारा उद्देश्य शहर का पर्यावरण संतुलित रखना और लोगों की परेशानी को कम करना है.
बिगड़ती वायु गुणवत्ता के कारण
- सड़क की धूल (62.2%)
- परिवहन से निकलने वाला धुआं (13.0%)
- निर्माण कार्य से धूल (12.1%)
- कचरा जलाना (2.9%)
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स्थिति पर नियंत्रण की आवश्यकता
नगर निगम के प्रयासों के बावजूद, शहर का AQI "खराब" श्रेणी में बना हुआ है, जो निवासियों के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर रहा है. बढ़ते प्रदूषण के बीच, भोपाल में प्रदूषण नियंत्रण के और कठोर उपायों की आवश्यकता है, ताकि लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा की जा सके.
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