
Smoke in Bhopal: जिस शहर ने गैस त्रासदी देखी हो, वहां हवा एक बार फिर ज़हर बन रही है…लोगों का सांस लेना दूभर हो रहा है और आंखों में जहरीले धुएं से इंफेक्शन भी होने लगा है. हम बात कर रहे हैं देश की सबसे साफ राजधानी का तमगा लिए बैठे भोपाल शहर की. इसी भोपाल में है आदमपुर खंती... जहां कचरे के पहाड़ पर तीन दिन से लगी आग ने न सिर्फ हवा को जहरीला बना दिया है, बल्कि नगर निगम की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. तीन दिन पहले लगी आग अब तक बेकाबू हैं क्योंकि आग बुझाने के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं.
पहले दिन जब आग लगी तब भी नगर निगम की गाड़ियां बहुत देर से पहुंची. नतीजा ये हुआ कि जब तक फायर ब्रिगेड की गाड़ियां पहुंची तब तक आग ने बहुत विकराल रूप ले लिया. फिलहाल जो लपटें निकल रही थीं उसे बुझा दिया गया है लेकिन कचरा सुलग रहा है. हद ये है कि यहां 18 महीने में 12 बार आग लग चुकी है लेकिन फिर भी यहां फायर स्टेशन नहीं बनाया गया है. आगे बढ़ने से पहले ये जान लेते हैं क्या है जमीनी हकीकत?

अगर हम ये कहें कि यहाँ सिर्फ कचरा नहीं जल रहा, यहाँ लोगों की नींद, स्वास्थ्य और उम्मीदें भी जल रही हैं तो गलत नहीं होगा. NDTV ने कई स्थानीय लोगों से इस मसले पर बात की. स्थानीय नागरिक प्रीति सहरिया बताती हैं- इस आग की वजह से धुंआ आता है और धुंधला दिखने लगता है . रात में ज्यादा दिक्कत होती है.आंखों में आंसू आने लगते हैं,आंख लाल हो जाती हैं. बारिश में भी दिक्कत होती है अंदर तक बदबू आती है. खाना नहीं खा पाते हैं. कचरा खंती से सटे हरिपुरा गांव में रहने वाले भीम सिंह बंजारा की आंखे भी लाल हैं. धुएं की वजह से उनकी आंखों में इंफेक्शन हो गया है. भीम ऑटो चलाते हैं कहते हैं धुंआ इतना कि सड़क नहीं दिखता, रात में नींद नहीं आती.

आग लगती नहीं, लगाई जाती है: जगदीश
वैसे भोपाल स्मार्ट सिटी कहलाता है, लेकिन ये आग हमें बता रही है कि स्मार्टनेस सिर्फ कैमरों औऱ मोबाइल एप्लीकेशन से नहीं आती―आती है ज़मीन पर काम से. आदमपुर साइट में ना कोई मॉडर्न प्रोसेसिंग सिस्टम है, ना लीकेज कंट्रोल. हर साल करोड़ों खर्च होते हैं, लेकिन नतीजा वही ‘धुआँ-धुआँ'. लोग कहते हैं कचरे में आग लगती नही लगा दी जाती है. स्थानीय नागरिक जगदीश बंजारा के मुताबिक जब से कचरा आया तब से हम लोग परेशान हैं. हर साल आग लग जाती है. हमें लगता है कि नगर निगम खुद ही आग लगाती है ताकि कुछ कचरा खत्म हो जाए. इस धुएं की वजह से कई एक्सीडेंट हो चुके हैं.इतना ज्यादा धुंआ है कि आमने-सामने गाड़ी नहीं दिखती.

कचरा खंती के धुएं से बच्चे और खुद को बचाता पिता. बच्चे भी बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं.
पानी हुआ जहरीला, कैंसर से भी पीड़ित हैं लोग
आदमपुर कचरा खंती में इकट्ठा हुये लाखों टन कचरे और इस कचरे से निकलने वाले जहरीले रसायन से यहां का भूजल प्रदूषित हो चुका है.यहां लगे हैंडपंप से प्रदूषित,जहरीला और गंदा पानी निकल रहा है जो पीने लायक नहीं है.रोजमर्रा के काम में भी इसका उपयोग मुश्किल से ही किया जा सकता है.यहां बोरिंग से आने वाले पानी से झाग निकलता है. ऐसा लता है कि जैसे पानी में डिटर्जेंट पाउडर घोल दिया गया हो, बदबूदार और कचरा युक्त पीला पानी. आदमपुर कचरा खंती से सटे पड़रिया काछी गांव की रहने वाली 60 साल की विमला देवी के पूरे शरीर में इंफेक्शन हो चुका है,अजीब से निशान,चक्कते से पूरा शरीर ज़ख्मी सा लगता है,पथरी भी हो गई. वो लाखों रुपये खर्च कर आयुर्वेद,एलोपैथी, होम्योपैथी हर तरीके से इलाज करवा चुकी हैं लेकिन फिर भी पूरी तरह ठीक नहीं हो पाई...ये हालात सिर्फ विमला देवी की नहीं ऐसे कई लोग है. कुछ लोग तो कैंसर से भी पीड़ित हैं...ये सब दोष कचरा खंती को देते हैं.
वेस्ट मैनेजमेंट नियमों का नहीं हुआ पालन
दरअसल आदमपुर कचरा खंती में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट नियमों का पालन नहीं किया गया है. जिसके कारण पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है. सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट नियमों के तहत-
यहीं के ग्रीन बेल्ट एरिया में बायो CNG का प्लांट बनाया जा रहा है लेकिन कचरा प्रोसेसिंग यूनिट करीब 1 साल से बंद है. पर्यावरणविद सुभाष पांडेय बताते हैं कि आदमपुर मे कचरे के प्रोडक्शन और कंज्यूम का बैलेंस कभी नहीं बन पाता. इसलिए यहां कचरे का ढेर है. अहम ये है कि यहां आग लगाई जाती है...कचरा खत्म करने के लिए आग लग रही है तो भी निगम की ही जिम्मेदारी है. दूसरी बात ये है कि जो कचरा यहां पर पड़ा हुआ है, उनमें यदि आग न लगे तो भी ये कचरा कैंसर जनक है.
NDTV ने जब भोपाल नगर निगम के अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी से इस संबंध में सवाल किया तो जानिए उनका क्या जवाब है- नगर निगम की फायर फाइटर की टीम लगातार आग बुझाने का काम कर रही है. फायर फाइटर को लगातार पानी मिल सके ये भी हम सुनिश्चित कर रहे हैं. हकीकत ये है कि कचरे में प्लास्टिक मटेरियल होता है और इसके जलने की प्रक्रिया थोड़ी अलग होती है. इसी वजह से आग बुझने में वक्त लग रहा है. अगर आग जानबूझकर लगाए जाने की बात कही जा रही है तो फिर हम आयुक्त से इसकी जांच कराएंगे.
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