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अब तक का सबसे बड़ा नक्सल ऑपरेशन :10 हजार जवानों ने सैकड़ों को घेरा, समझिए पूरे अभियान की ABCD

पूरा देश इन दिनों पहलगाम में हुए आतंकी हमले से गुस्से में है.केन्द्र सरकार आतंकियों को ऐसा जवाब देने की तैयारी में हैं जैसा कि उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी...लेकिन इन सबके बीच देश के पूर्वी हिस्से में छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र की सीमा पर चल रहा है देश का सबसे बड़ा नक्सल विरोधी अभियान. यहां 10 हजार जवानों ने सैकड़ों नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक अभियान छेड़ रखा है. क्या है ये ऑपरेशन और इसकी अहमियत को समझिए इस रिपोर्ट में.

अब तक का सबसे बड़ा नक्सल ऑपरेशन :10 हजार जवानों ने सैकड़ों को घेरा, समझिए पूरे अभियान की ABCD

Anti-Naxal Operation: छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ 'निर्णायक अभियान' छेड़ दिया है. इसका ऐलान सुरक्षा बलों ने खुद ही प्रेस नोट जारी करके किया है. दरअसल नक्सलियों के खिलाफ बीते चार दिनों से छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र की सीमाएं जहां मिलती हैं वहां मुठभेड़ जारी है. बताया जा रहा है कि इस मुठभेड़ में करीब 10 हजार विशेष कमांडों ने सैकड़ों नक्सलियों को घेर रखा है. कर्रेगट्टा, नाडपल्ली और पुजारी कांकेर के घने जंगलों से घिरे इस इलाके को नक्सल बटालियन नंबर 1 का गढ़ माना जाता है. जानकार बताते हैं कि ये सामान्य घेराबंदी नहीं, यह युद्ध है — वो भी ऐसा जिसमें पीछे हटने का विकल्प नहीं है. 

छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र की सीमा यही वो इलाका है जहां नक्सलियों से अब तक का सबसे बड़ा मुठभेड़ जारी है.

छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र की सीमा यही वो इलाका है जहां नक्सलियों से अब तक का सबसे बड़ा मुठभेड़ जारी है.

ऑपरेशन की अहमियत को समझिए

इस ऑपरेशन में करीब 10 हजार विशेष जवान शामिल हैं. जिसमें महाराष्ट्र के C-60, तेलंगाना के ग्रेहाउंड्स और छत्तीसगढ़ के DRG के जवान शामिल हैं. ये सभी जवान इन जंगलों में एक बड़ी निर्णायक लड़ाई में उतरे हैं, चारों दिशाओं से जवानों ने इन दुर्गम पहाड़ियों को घेर लिया है. दंतेवाड़ा, बीजापुर और पुजारी कांकेर के जंगलों में नक्सलियों की बटालियन नंबर 1 और 2 साथ नक्सलियों की कई अन्य कंपनियां भी सक्रिय हैं. यहां हिड़मा, देवा और विकास जैसे शीर्ष नक्सली कमांडर मौजूद हैं, साथ ही सेंट्रल कमेटी, DKSZCM (दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी), DVCM, ACM और संगठन सचिव जैसे बड़े स्तर के कैडर भी यहीं छिपे हुए हैं. अब जरा आगे बढ़ने से पहले बीते दो सालों में नक्सलियों के साथ हुए खूनी मुठभेड़ को जान लेते हैं.ये आंकड़े बताते हैं कि कैसे बीते दो सालों में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ बेहद जोरदार अभियान चला रखा है.  

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अब नक्सलियों के पास सिर्फ दो विकल्प हैं

ऑपरेशन में शामिल अधिकारियों का कहना है कि अब नक्सलियों के पास दो ही विकल्प बचे हैं- "सरेंडर करो या समाप्त हो जाओ।" हालांकि ये सब इतना आसान भी नहीं है...यहां के रास्ते IED से भरे हुए हैं. जंगल का हर मोड़ और घाटी एक जाल जैसा है. खुद नक्सली शांता की ओर से जारी चेतावनी में कहा गया था-कर्रेगट्टा की धरती बारूद है, यहां हर कदम पर मौत हो सकती है. इसके साथ ही ये भी जान लेते हैं कि इस साल के शुरुआती तीन महीने में नक्सलियों के खिलाफ चलाए गए अभियान कैसे रहे हैं? 

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जानिए कैसे चल रहा है मुठभेड़

इन जंगलों और पहाड़ियों पर हर कदम पर मौत बिछी हुई है इसके बावजूद सुरक्षाबलों ने कदम पीछे नहीं हटाए हैं. यहां हर जवान एक साया बन चुका है — न कोई आवाज़, न कोई घबराहट. बस लक्ष्य — हिडमा, दमोदर, देवा और विकास जैसे शीर्ष नक्सली कमांडरों को ढूंढ निकालना. इस पूरे इलाके में 2–3 हेलिकॉप्टर लगातार गश्त पर हैं और ड्रोन से हर मूवमेंट पर निगरानी रखी जा रही है. 40–50 मीटर ऊंची खड़ी पहाड़ियों की श्रृंखला में नक्सलियों ने दर्जनों बंकर बना रखे हैं, जिनमें भारी मात्रा में हथियार और बारूद जमा हैं. सुरक्षाबल इसी को ध्यान में रखकर अपने ऑपरेशन को अंजाम दे रहे हैं. 

जवानों तक रसद और दूसरी चीजें पहुंचाने के लिए हेलिकॉप्टर का भी इस्तेमाल किया जा रहा है.

जवानों तक रसद और दूसरी चीजें पहुंचाने के लिए हेलिकॉप्टर का भी इस्तेमाल किया जा रहा है.

रसद की नाकेबंदी, मनोबल टूटने की कगार पर

इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक, नक्सलियों की रसद सप्लाई बंद हो चुकी है. वेनकटपुरम और पूवर्ती, जो अब तक उनकी जीवनरेखा थे,अब खामोश हैं.  भूख, प्यास, और थकान के बीच फंसे ये 300 से ज्यादा नक्सली अपने अस्तित्व की सबसे भीषण परीक्षा से गुजर रहे हैं.तीन महिला नक्सली अब तक इस लड़ाई में मारी जा चुकी हैं. सूत्रों के अनुसार यह संकेत है कि मुठभेड़ अब अपने चरम पर पहुंच रही है. सूत्रों के अनुसार, पहले नक्सलियों को नम्बी, पुजारी कांकेर, और वेंकटपुरम (तेलंगाना) से रसद और जरूरी सामान मिलता था, लेकिन अब फोर्स ने इस सप्लाई चेन को पूरी तरह काट दिया है.

'लाल जोन' का अंत तय है! 

इस ऐतिहासिक ऑपरेशन की निगरानी कर रहे हैं —   छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा, ADG विवेकानंद सिन्हा, IG CRPF राकेश अग्रवाल,  और बस्तर IG सुंदरराज पी. इन अफसरों की निगाह सुरक्षाबलों की हर मूवमेंट,हर टुकड़ी की स्थिति और हर मुठभेड़ की लाइव रिपोर्ट पर बनी हुई है. कहा जा रहा है कि यह सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, एक रणनीतिक बदलाव है — नक्सलियों की रीढ़ तोड़ने की ओर बढ़ता हुआ कदम है. अब CRPF, DRG, STF और लोकल पुलिस की संयुक्त रणनीति ने उन इलाकों को भी छू लिया है, जिन्हें अब तक 'लाल ज़ोन' कहा जाता था. 
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