46 Disabled Teachers Fired in Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट (Fake Disabled Certificate) की मदद से नौकरी पाने वाले 46 सरकारी शिक्षकों को नौकरी से बर्खास्त (Dismissed From Job) कर दिया गया है. इस शिक्षकों ने फर्जीवाड़ा करते हुए गलत दस्तावेज तैयार किए और खुद को दिव्यांग बताकर कई वर्षों तक सरकारी नौकरी की. यह मामला सामने आने के बाद इन शिक्षकों पर बड़ी कार्रवाई (Action Against Fake Teachers) की गई है. इसके अलावा अन्य 23 शिक्षकों की बर्खास्तगी का प्रस्ताव भी भेजा गया है.
इन जिलों में हुई कार्रवाई
फर्जी शिक्षकों की बर्खास्तगी की यह कार्रवाई मध्य प्रदेश के 9 जिलों के शिक्षकों पर की गई है. इनमें से सबसे ज्यादा शिक्षक शिवपुरी जिले से सामने आए हैं, जहां 28 शिक्षकों को बर्खास्त किया गया है. वहीं 6 अन्य शिक्षकों को बर्खास्त करने की अनुशंसा की गई है. इसी तरह मुरैना जिले से 11 शिक्षक बर्खास्त किए गए हैं. टीकमगढ़ से पांच शिक्षकों के बर्खास्त करने का प्रस्ताव दिया गया है. वहीं रायसेन जिले से दो शिक्षकों को बर्खास्त किया गया है, जबकि 6 के खिलाफ बर्खास्तगी की अनुशंसा की गई है. सीहोर जिले से दो शिक्षकों को बर्खास्त करने का प्रस्ताव भेजा गया है. भिंड जिले से तीन शिक्षकों को बर्खास्त करने का प्रस्ताव भेजा गया है. विदिशा जिले से दो शिक्षक बर्खास्त किए गए हैं, जबकि श्योपुर जिले से तीन शिक्षकों को बर्खास्त किया गया है. वहीं एक शिक्षक के को बर्खास्त करने की अनुशंसा की गई है.
फर्जी दिव्यांग शिक्षकों के मामले में शिवपुरी नंबर वन
मध्य प्रदेश में फर्जी दिव्यांग शिक्षकों के मामले में शिवपुरी नंबर वन है. यहां सबसे ज्यादा फर्जी दिव्यांग शिक्षक पाए गए हैं. बता दें कि शिवपुरी जिले में 84 शिक्षकों का मेडिकल परीक्षण कराया गया था, जिनमें से दो अनुपस्थित रहे जबकि 34 शिक्षक दिव्यांग नहीं पाए गए. इनमें से 28 शिक्षकों को तत्काल रूप से बर्खास्त कर दिया गया है, जबकि 6 के खिलाफ बर्खास्त करने की अनुशंसा शासन से की गई है. वहीं जो दो शिक्षक अनुपस्थित पाए गए हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
फर्जी शिक्षकों के अजीब बहाने
बता दें कि इन फर्जी शिक्षकों की कहानी बेहद दिलचस्प है. जांच के दौरान किसी ने कहा कि वह कान से कम सुनता है तो किसी ने कहा कि वह पैर से चल नहीं सकता और कोई कहता है कि वह हाथ से लिख नहीं सकता, इसलिए दिव्यांग हूं. लेकिन, जब इन सब के मेडिकल कराए गए तो तस्वीर साफ हो गई और पता लगा कि इन्होंने फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र हासिल करके सरकारी नौकरी हासिल की है और असली दिव्यांगों का हक मारा है.
लोकल स्तर से होगी कार्रवाई
वहीं इस मामले पर लोक शिक्षण संचनालय भोपाल के संचालक केके द्विवेदी ने कहा कि दिव्यांग शिक्षकों के मामले में जो कार्रवाई होनी है वह लोकल स्तर पर जिला शिक्षा अधिकारी तथा संयुक्त संचालक के स्तर से होनी है. नियुक्ति को निरस्त करने का कोई प्रस्ताव लोक शिक्षण में लंबित नहीं है, लेकिन फर्जी तौर पर दिव्यांगों के प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी करने वाले शिक्षकों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई की गई है.
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