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HC जज की गाड़ी छीनकर मरीज को अस्पताल ले गए थे ABVP के छात्र, 8 दिन बाद मिली जमानत

साथियों को जेल भेजे जाने से एबीवीपी छात्रों में रोष व्याप्त हो गया. उनका कहना था कि उन्हें मानवीयता में किसी की जान बचाने का सिला डकैत बताकर दिया जा रहा है. इसके बाद से परिषद ने व्यापक जन आंदोलन छेड़ दिया था और लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहा था.

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HC जज की गाड़ी छीनकर मरीज को अस्पताल ले गए थे ABVP के छात्र, 8 दिन बाद मिली जमानत
जज की कार छीनने वाले एबीवीपी छात्रों को मिली जमानत

Gwalior News : ग्वालियर में रेलवे स्टेशन से गंभीर हालत में बीमार वाइस चांसलर को जज की गाड़ी छीनकर ले जाने पर दर्ज किए गए डकैती के केस में आठ दिनों से ग्वालियर जेल में बंद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के दोनों छात्रों को सोमवार को हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने मानवीय आधार पर जमानत दे दी. यह मामला न केवल प्रदेश बल्कि समूचे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है. मुख्यमंत्री ने भी मामले की सीआईडी जांच कराने के आदेश दिए हैं. 

क्या है पूरा मामला?

घटना गत 10 दिसंबर की है. दिल्ली से सुबह ट्रेन से ग्वालियर आ रहे एक बुजुर्ग की मुरैना के पास ट्रेन में तबियत बिगड़ गई. उसी ट्रेन से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र भी दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन से वापस लौट रहे थे. उन्होंने ट्रेन में ही इलाज कराने के लिए रेलवे अधिकारी और कर्मचारियों से संपर्क साधा लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली और बुजुर्ग बेहोश हो गए. इस बीच ग्वालियर स्टेशन आ गया. छात्रों ने मरीज को उतारकर स्टेशन पर मौजूद रेलवे और पुलिस अधिकारियों को बताया. छात्रों ने काफी देर एम्बुलेंस का इंतजार किया लेकिन वह नहीं आई तो छात्र स्टेशन के पोर्च में खड़ी एक जज की कार में बीमार को डालकर चले गए. 

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डकैती का केस हुआ दर्ज 

रेलवे स्टेशन से आधा दर्जन लोगों द्वारा हाई कोर्ट जज की गाड़ी छीनकर ले जाने की खबर मिलते ही पुलिस में हड़कंप मच गया. ड्राइवर की शिकायत पर पुलिस ने पड़ाव थाने में डकैती का केस दर्ज किया. इस मामले में पुलिस ने जब घेराबंदी की तो जज की कार जेएएच परिसर में खड़ी मिली और वहां से दो छात्र हिमांशु श्रोतिय और सुक्रत शर्मा को उस मामले में गिरफ्तार कर लिया. लेकिन बातचीत में पूरा मामला बदल गया. 

दोनों छात्रों को भेज दिया गया जेल

पुलिस को बताया कि वे तो गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को इलाज के लिए कार से लेकर अस्पताल आए थे. हालांकि उनकी मौत हो गई. मृतक का नाम रणजीत सिंह यादव बताया गया जो पीके विश्वविद्यालय शिवपुरी में कुलपति थे. इस घटना की सूचना मिलते ही रात को एबीवीपी के छात्रों ने पड़ाव थाने का घेराव किया था. देर रात तक चले इस आंदोलन को पुलिस अफसरों ने समझा-बुझाकर शांत करा दिया था लेकिन सुबह जब पकड़े गए दोनों छात्रों को कोर्ट में पेश किया गया तो कोर्ट ने उन्हें सेंट्रल जेल में न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया.

छात्रों ने शुरू कर दिया था आंदोलन 

साथियों को जेल भेजे जाने से एबीवीपी छात्रों में रोष व्याप्त हो गया. उनका कहना था कि उन्हें मानवीयता में किसी की जान बचाने का सिला डकैत बताकर दिया जा रहा है. इसके बाद से परिषद ने व्यापक जन आंदोलन छेड़ दिया था और लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहा था. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्य न्यायाधीश को चिट्ठी लिखकर इस मामले में छात्रों के केस को खत्म करने का आग्रह किया था. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने मामले की सीआईडी जांच कराने के आदेश जारी किए हैं. 

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हाई कोर्ट ने दी जमानत 

दोनों गिरफ्तार छात्रों की जमानत याचिका पहले जिला न्यायालय की ओर से खारिज की जा चुकी थी. सोमवार को हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में दायर जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने उन्हें जमानत दे दी. अभिभाषक भानु प्रताप सिंह चौहान ने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय ने यह मानते हुए कि छात्रों का जो कृत्य है वह क्रिमिनल एक्ट नहीं है. आरोपी विधि के छात्र हैं. कानून का पालन करने वाले हैं और उनका कोई क्रिमिनल बैकग्राउंड भी नहीं है. न्यायालय ने संवेदनाओं के आधार पर उनको जमानत दे दी है. एबीवीपी नेता वैष्णव ने कहा कि हमारे कार्यकर्ताओं ने मानवीयता का कार्य किया था. आज उन्हें जमानत मिली तो यह न्याय और मानवता की जीत है.

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