Semariya Assembly Seat Result: रीवा जिले की सेमरिया सीट (Semariya Assembly Seat) से इस बार का चुनाव बेहद ही दिलचस्प रहा. यह सीट इसलिए भी खास है क्योंकि रीवा (Rewa) जिले की 8 सीटों में यह एकमात्र सीट है जिसमें कांग्रेस को जीत मिली है. कांग्रेस प्रत्याशी अभय मिश्रा (Congress Candidate Abhay Mishra) ने बीजेपी प्रत्याशी और विधायक केपी त्रिपाठी (BJP Candidate KP Tripathi) को 637 वोटों से हराया. जीत के अंतर से ही स्पष्ट होता है कि यहां दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशियों में कितनी जबरदस्त टक्कर थी. बीजेपी प्रत्याशी केपी त्रिपाठी को 55,387 वोट मिले, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी अभय मिश्रा को 56,024 वोट मिले. वहीं तीसरे नंबर पर बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार पंकज सिंह (BSP Candidate Pankaj Singh) थे, जिन्हें 43,992 वोट मिले. इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सेमरिया सीट में चुनाव कितना दिलचस्प था और नतीजे इन तीनों में से किसी के भी पक्ष में आ सकते थे.
वहीं 2018 विधानसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी प्रत्याशी केपी त्रिपाठी ने उस समय के कांग्रेस प्रत्याशी त्रियुगी नारायण शुक्ल को 7,776 वोटों से हराया था. केपी त्रिपाठी को 47,889 वोट मिले थे, जबकि त्रियुगी नारायण शुक्ल को 40,113 वोट मिले थे.
चुनाव के पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे अभय मिश्रा
सेमरिया से कांग्रेस प्रत्याशी अभय मिश्रा हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए थे. अभय मिश्रा 2008 में सेमरिया से ही बीजेपी विधायक रहे हैं, उनकी पत्नी भी 2013 चुनाव में सेमरिया सीट से बीजेपी के टिकट पर विधायक बनीं. लेकिन 2018 का चुनाव आते-आते अभय मिश्रा कांग्रेस में शामिल हो गए. जिसके बाद उन्हें रीवा सीट से बीजेपी प्रत्याशी राजेंद्र शुक्ला के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा गया, लेकिन वे चुनाव हार गए. 2018 की हार के बाद से ही अभय मिश्रा वापस अपनी सीट सेमरिया में अगले चुनाव की तैयारी करने लगे, लेकिन 2023 में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के विरोध के चलते उन्हें टिकट मिलने की संभावना नहीं दिखने पर, उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया. लेकिन बीजेपी में भी बात नहीं बनने पर वे फिर से कांग्रेस में शामिल हुए और सेमरिया से टिकट ले लिया.
केपी त्रिपाठी का रहा है विवादों से नाता
बीजेपी प्रत्याशी केपी त्रिपाठी की बात करें तो उन्होंने 2018 में चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा में एंट्री ली, लेकिन समय के साथ उनके विवाद मीडिया में बने रहे. इसके लिए उन्होंने खूब सुर्खियां भी बटोरी. 2023 के चुनाव में केपी त्रिपाठी की हार के चलते यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई है.
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