Poor Condition of Delivery Points in Chhatarpur: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के छतरपुर जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था (Poor Health System) का बुरा हाल है. यहां डॉक्टरों की कमी के चलते एक गर्भवती महिला की जान चली गई. बता दें कि छतरपुर जिले (Chhatarpur) में महिलाओं के प्रसव के लिए 40 डिलीवरी प्वाइंट बनाए गए हैं. ये डिलीवरी प्वॉइंट इसलिए बनाए गए हैं जिससे गर्भवती महिलाओं को परेशानी का सामना न करना पड़े. लेकिन, जिले के इन डिलीवरी प्वाइंट की हालत खराब है. यहां ज्यादातर समय ताला लटका हुआ रहता है और कई बार यहां डॉक्टर भी मौजूद नहीं रहते हैं, जिसकी वजह से गर्भवती महिलाओं को अपनी जान गंवानी पड़ती है.
छतरपुर जिले में पिछले 3 महीने की बात करें तो यहां अप्रैल से अब तक कुल 12 महिलाओं की मौत हो चुकी है. ऐसा ही एक और मामला सामने आया है. जहां सिविल लाइन थाना (Chhatarpur Police) अंतर्गत कर्री गांव की एक महिला की डिलीवरी के दौरान मौत हो गई.
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लगा था ताला, 3 घंटे तक नहीं मिली एंबुलेंस
बताया जा रहा कि कर्री निवासी संगीता (25) को सुबह 7.30 बजे प्रसव पीड़ा हुआ. जिसके बाद 8 बजे परिजन उसे लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कर्री (Community Health Center Karri) पहुंचे. जहां अस्पताल बंद होने पर परिजनों ने महिला नर्स को फोन लगाकर बुलाया. इसके बाद 9 बजे नर्स ने महिला का इलाज करना शुरू किया. महिला की हालत ठीक नहीं होने के चलते नर्स ने उसे छतरपुर रेफर किया, लेकिन एंबुलेंस नहीं मिलने पर नर्स ने महिला की दोपहर 12 बजे डिलीवरी करा दी. जिसके बाद 1 बजे तक महिला की हालत बिगड़ गई. हालत बिगड़ने पर नर्स ने उसे जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया.
इसके बाद उसे किराये के वाहन से लेकर परिजनों ने दोपहर 2.30 बजे जिला अस्पताल के डिलीवरी वार्ड में भर्ती किया. लेकिन, इलाज के दौरान शाम 4.30 बजे उसकी मौत हो गई. हालांकि, नवजात शिशु की हालत स्वस्थ बताई जा रही है.
पति ने इलाज में लापरवाही की कही बात
मृत महिला के पति रन्नू यादव ने बताया कि उसकी पत्नी को पहली डिलीवरी के चलते सुबह पेट में दर्द हुआ, जिसके बाद इलाज कराने के लिए कर्री अस्पताल लेकर गए. लेकिन, वहां इलाज में लापरवाही होने के कारण संगीता की हालत बिगड़ी. जिसे हम लोग किराए के वाहन से जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां उसकी मौत हो गई.
40 प्रसव केंद्रों में से सिर्फ 5 में महिला डॉक्टर
वहीं इस पूरे मामले में छतरपुर के मुख्य चिकित्सालय अधिकारी डॉ आर पी गुप्ता ने कहा कि महिला की मौत की जानकारी के बाद उन्होंने नर्सिंग ऑफिसर से इसकी डीलेट मांगी थी, जिसमें बताया गया कि महिला को समस्या होने पर तत्काल रेफर किया गया था, लेकिन लेबर पेन होने पर महिला की डिलीवरी स्वास्थ्य केंद्र पर ही कराई गई. इसके बाद स्थिति खराब होने पर 108 एंबुलेंस को कॉल किया गया, लेकिन एंबुलेंस नहीं आने पर शाम 4.30 बजे तक महिला को निजी वाहन से जिला अस्पताल ले जाया गया. जहां उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई.
मुख्य चिकित्सालय अधिकारी ने बताया कि 40 प्रसव केंद्रों में से सिर्फ 5 केंद्रों पर महिला डॉक्टर हैं. इन 40 केंद्रों में से 17 प्रसव केंद्र एल वन फैसिलिटी के हैं, जिनमें से दो स्वास्थ्य केंद्र और 15 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में हैं. उन्होंने बताया कि एक-दो स्वास्थ्य केंद्रों को छोड़कर लगभग सभी स्वास्थ्य केंद्रों में मेडिकल ऑफिसर पदस्थ हैं.
अधिकारी ने मानी डॉक्टरों की गैरमौजूदगी की बात
इन स्वास्थ्य केंद्रों में अनियमितता की बात मानते हुए मुख्य चिकित्सालय अधिकारी ने कहा कि स्वास्थ्य केंद्रों के मेडिकल ऑफिसर नियमित रूप से काम कर रहे हैं. छुट्टी के दिनों में वे उपलब्ध नहीं होते हैं. उन्होंने कहा कि कहीं-कहीं मुझे सूचना मिली है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में रात में डॉक्टर नहीं रुकते हैं. इसके लिए समय-समय पर दौरे किए जा रहे हैं और शिकायत मिलने पर नियमानुसार एक्शन लिया जा रहा है.
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