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एक पूर्व शराबी ने वर्तमान शराबियों के लिए कलेक्टर से की अनोखी मांग...आधार कार्ड वाला तर्क सुन अफसर पड़े असमंजस में

ग्वालियर में एक भूतपूर्व शराबी ने जिला प्रशासन से एक अजीबोगरीब मांग की है...उसके तर्क सुन कर अफसर भी असमंजस में पड़ गए हैं. उसके आवेदन को जिस भी अधिकारी ने पढ़ा वह चककर में पड़ गया कि इसका क्या निराकरण करें? इसमें आवेदनकर्ता ने दावा किया है कि यदि यह नियम लागू हो जाये तो मजदूरों के घरवालों के लिए "हर दिन दीपावली और हर दिन ईद की तरह होगा". क्या है पूरा मामला पढ़िए इस रिपोर्ट में

एक पूर्व शराबी ने वर्तमान शराबियों के लिए कलेक्टर से की अनोखी मांग...आधार कार्ड वाला तर्क सुन अफसर पड़े असमंजस में

Gwalior Liquor News: ग्वालियर में एक भूतपूर्व शराबी ने जिला प्रशासन से एक अजीबोगरीब मांग की है...उसके तर्क सुन कर अफसर भी असमंजस में पड़ गए हैं. उसके आवेदन को  जिस भी अधिकारी ने पढ़ा वह चककर में पड़ गया कि इसका क्या निराकरण करें? दरअसल जिला कलेक्ट्रेट में बीते दिन एक जन सुनवाई का आयोजन किया गया था. जिसमें आवेदन नम्बर 154 के जरिए मांग की गई कि  प्रदेश में कामगार मजदूरों  को "आधार कार्ड" के जरिये ही शराब की दुकान से शराब मिले. इसमें आवेदनकर्ता ने दावा किया है कि यदि यह नियम लागू हो जाये तो मजदूरों के घरवालों के लिए "हर दिन दीपावली और हर दिन ईद की तरह होगा". क्या है पूरा मामला पढ़िए इस रिपोर्ट में 

आधार कार्ड के जरिए मिले बस दो क्वार्टर शराब!

ग्वालियर की  कलेक्ट्रेट में हुई  जन सुनवाई में एक बड़ा ही अजीबो-गरीब मामला सामने आया है. यहां शराब पीना छोड़ चुका एक मजदूर शिकायतकर्ता के तौर पर पहुंचा. उसे टोकन नम्बर 154 मिला.लंबे इंतजार के बाद जब उसका नम्बर आया तो वह जनसुनवाई में मौजूद अधिकारी SDM विनोद सिंह के सामने  आवेदन लेकर पहुंचा...SDM ने जैसे ही आवेदन पढ़ा  तो वह हैरान हो गए.  उन्होंने तत्काल आबकारी विभाग के अधिकारी को बुलाया और आवेदन पर चर्चा के निर्देश दिए. आबकारी विभाग के अधिकारी ने जब उस आवेदन कर्ता से बातचीत की तो उसने बताया कि उसका नाम राजेन्द्र कुमार है और वो थाना जनकगंज क्षेत्र के गोल पहाड़िया पर रहता है.

वो पेशे से मजदूर है और पहले शराब पीता था लेकिन अब वह शराब  पीना छोड़ चुका है. ऐसे में वह भूतपूर्व शराबी है. अपने आवेदन के जरिये मजदूर राजेन्द्र ने आबकारी अधिकारी को बताया कि एक आम मजदूर हर रोज मजदूरी कर 600 रुपए कमाता है.लेकिन जगह-जगह आसानी से शराब मिलने की वजह से वो शराब पीने का आदि हो गया है

...600 रुपए में से वह रात तक लगभग 400 रुपए की शराब पी जाता है..और उसके घर वालों(पत्नी-बच्चों) को बड़ी मुश्किल से 100 या 200 रुपए ही मिल पाते हैं. ऐसे में उस मजदूर के घर की स्थिति लगातार बिगड़ती जाती है. घर चलना बहुत मुश्किल होता है.. इस पीड़ा से ही सबक लेकर उसने शराब पीना छोड़ दिया है.उसका सुझाव है कि ऐसे में सभी मजदूरों की शराब की लत को छुड़ाने के लिए एक नियम बना दिया जाए.जिसके तहत "मजदूर शराबी" को "आधार कार्ड" के जरिये शराब की दुकान से अधिकतम  2 शराब के क्वार्टर ही मिले. उसका दावा है कि यदि ऐसे सख्त नियम बना दिए जायें तो मजदूर शराब पीना कम करेंगे, जिससे उस मजदूर के परिवार को कमाई के 600 रुपए में से कम से कम 400 रुपए तो बचेंगे ही. .. 

पूरे मध्यप्रदेश में लागू करने की मांग

उसने आवेदन में लिखा कलेक्टर महोदया उसके आवेदन पर गौर करते हुए मध्यप्रदेश शासन को पत्र लिखकर उस पर संज्ञान लें.यदि यह व्यवस्था पूरे प्रदेश भर में लागू हो जाये तो उम्मीद है कि "मजदूर के परिवार के लिए हर दिन दीपावली और हर दिन ईद की तरह होगा". मजदूर के आवेदन को सुनने के बाद आबकारी अधिकारी ने आश्वासन दिया कि उसके आवेदन की जानकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को दी जाएगी. यहां यह बताना भी मुनासिब होगा कि इस  मजदूर द्वारा दिया गया  यह आवेदन जितना कलेक्ट्रेट के अफसरों  के  बीच चर्चा का विषय बना हुआ  है उससे कहीं ज्यादा सोशल मीडिया के अलग- अलग  प्लेटफार्म्स पर सुर्खियाँ बटोर रहा है. 

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