Independence Day International Achievement MP: 78 वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मध्य प्रदेश के युवाओं ने दुनिया की ऊंची चोटियों में तिरंगा झंडा फहराकर देश का मान बढ़ाया है.मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के पर्वतारोही अंकित सेन और खरगोन के बड़वाह के ग्राम काटकूट की बेटी, बुलबुल जाट ने इस खास मौके यादगार बनाया है.
तेज बर्फीली हवाओं के बीच फहराया तिरंगा..
बता दें, जबलपुर के माउंटेन मैन कहे जाने वाले अंकित सेन ने 15 अगस्त को ऑस्ट्रेलिया के माउंट कोसियस्ज़को पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराया. यह शिखर ऑस्ट्रेलिया की सबसे ऊंची चोटी है, जो दक्षिण-पूर्वी न्यू साउथ वेल्स में स्थित है और इसकी ऊंचाई 7,310 फीट (2,228 मीटर) है. अंकित ने इस चढ़ाई की शुरुआत आज सुबह की, तेज बर्फीली हवाओं के बीच राष्ट्रीय ध्वज फहराया. इससे पहले, अंकित ने अफ्रीका के सबसे ऊंचे शिखर, माउंट किलिमंजारो, और यूरोप के सबसे ऊंचे शिखर, माउंट एलब्रुस पर भी तिरंगा फहराकर भारत का मान बढ़ाया था.
ये है बड़ी उपलब्धी
अंकित का सपना है कि वे विश्व के सभी सात महाद्वीपों पर तिरंगा फहरायें और इस साल की शुरुआत में उन्होंने हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के धर्मशाला में धौलाधार पर्वत पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया था. अंकित के साथ इस यात्रा में उनके साथी भी शामिल थे, जिन्होंने इस उपलब्धि में उनका समर्थन किया.
माउंट एवरेस्ट की है तैयारी
अंकित के पिता एक मजदूर हैं और मां गृहिणी हैं, लेकिन उन्होंने कभी भी अंकित के पर्वतारोहण के सपनों को आर्थिक समस्याओं से बाधित नहीं होने दिया. जबलपुर के महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू और कुछ स्थानीय संस्थाओं ने भी अंकित की मदद की. अंकित सेन का अगला लक्ष्य माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराना है, जिसके लिए वे जोरदार तैयारी कर रहे हैं.
इस महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी पर फहराया तिरंगा
खरगोन के बड़वाह के ग्राम काटकूट की बेटी, बुलबुल जाट ने 15 अगस्त को एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी, माउंट कोज़िअस्को पर सुबह 9:26 बजे भारतीय तिरंगा फहराया. इस चोटी पर तापमान औसतन -4 से -5 डिग्री सेल्सियस था, जो पर्वतारोहण के लिए एक कठिन चुनौती पेश करता था.
यात्रा में शामिल थे इतने सदस्य
इंडियन टीम ने माउंट कोज़िअस्को पर तिरंगा झंडा फहराने का सफल अभियान चलाया. भारतीय समयानुसार, टीम ने लास्ट कैंप से समिट के लिए सुबह लगभग 2:00 बजे प्रस्थान किया. इस कठिन यात्रा में कुल 11 लोग शामिल थे, जिनमें 5 पुरुष और 6 महिलाएं शामिल थीं. टीम का नेतृत्व नरेंद्र यादव ने किया, जो हरियाणा से हैं.
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मिशन पॉसिबल दिया था नाम..
टीम में शामिल सदस्यों का संबंध विभिन्न राज्यों से था, जिसमें छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश शामिल थे. इस पूरे अभियान का आयोजन मिशन पॉसिबल, दिल्ली स्थित कंपनी द्वारा किया गया था, जिसने इस अद्वितीय उपलब्धि को संभव बनाया. बुलबुल जाट और उनकी टीम की यह उपलब्धि न केवल उनके व्यक्तिगत साहस को दर्शाती है, बल्कि भारत की पर्वतारोहण क्षमताओं और अंतरराष्ट्रीय मान्यता को भी उजागर करती है.
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