Chaintanya Mahaprabhu Jayanti 2024: 25 मार्च 2024 को होली के दिन चैतन्य महाप्रभु का जन्मोत्सव मनाया जाएगा. चैतन्य महाप्रभु का जन्म होलिका दहन के दिन हुआ था. चैतन्य महाप्रभु (Chaitanya Prabhu) के अनुयायी इस पूर्णिमा को गौरव पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं, कहा जाता है कि चैतन्य महाप्रभु श्रीकृष्ण का अवतार (Shri Krishna Avtar) हैं और उनका जन्म चमत्कारी रूप में हुआ था. आइए जानते हैं कैसे चैतन्य महाप्रभु का जन्म हुआ और उनका इतिहास क्या है?
"हरिनाम संकीर्तन आंदोलन" की शुरुआत
चैतन्य महाप्रभु के माता-पिता को पहले 8 अन्य कन्या हुईं, लेकिन जन्म लेते ही उनकी मृत्यु हो गई, इसके बाद जब चैतन्य महाप्रभु का जन्म हुआ तो उनकी कुंडली देखकर ज्योतिष ने भविष्यवाणी की. ये बालक एक महापुरुष बनेगा. चैतन्य महाप्रभु को कृष्ण भक्ति में बहुत रुचि थी, चैतन्य महाप्रभु ने वैष्णव संप्रदाय की आधारशिला रखी, मानव जाति को एक सूत्र में पिरोने के लिए चैतन्य महाप्रभु ने "हरिनाम संकीर्तन आंदोलन" की शुरुआत की और चारों तरफ़ हरी नाम का प्रचार-प्रसार किया.
चैतन्य महाप्रभु का जन्म चमत्कारी रूप में हुआ था. आम तौर पर नौ महीने माँ के गर्भ में रहने के बाद शिशुओं का जन्म होता है लेकिन चैतन्य महाप्रभु का चमत्कारी और रहस्यमई कहा जाता है. 1907 संवत में फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन के दिन जन्मे चैतन्य महाप्रभु ने 24 साल में अपना परिवार त्याग दिया था.
24 साल की उम्र में वैराग्य
चैतन्य महाप्रभु किशोर अवस्था में आए तो उन्होंने श्रीकृष्ण को अपना सर्वस्व मान 24 साल की उम्र में ही घर परिवार छोड़ दिया और संन्यासी बन गई, देश भर में कृष्ण के संदेश का प्रचार किया और "हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे" का नाम लेते हुए वैरागी हो गए और उन्हें देखकर उनके अनेक शिष्य बनते गए, आज पूरी दुनिया चैतन्य महाप्रभु को याद करती है.
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