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This Article is From Mar 19, 2024

Holi 2024: आखिर क्यों मनाई जाती है होली? क्या कहती है भोलेनाथ और कामदेव की पौराणिक कहानी

होलिका दहन (Holika Dahan) से लेकर होली से जुड़ी कई कथाएं आपने सुनी होंगी, लेकिन क्या आप जानते हैं रंगों वाली होली क्यों खेली जाती है? इसके पीछे भगवान शिव और कामदेव (Lord shiva and kamdev Story) की रोचक कथा है. आइए जानते हैं कैसे होली खेलने की शुरूआत हुई? और धूमधाम से आज तक लोग रंग-गुलाल उड़ाकर इस त्योहार को मनाते हैं...

Holi 2024: आखिर क्यों मनाई जाती है होली? क्या कहती है भोलेनाथ और कामदेव की पौराणिक कहानी

Holi Celebration Story: हर साल फाल्गुन माह में होली का त्योहार (Holi Festival) बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल मार्च में 25 तारीख को होली खेली जाएगी. रंगों के इस त्योहार (Festival of Colors) पर लोग एक-दूसरे से गले मिलकर रंग-गुलाल (Rang-Gulal) लगाकर होली के पर्व की शुभकामनाएं (Holi Wishes) देते हैं. होलिका दहन (Holika Dahan) से लेकर होली से जुड़ी कई कथाएं आपने सुनी होंगी, लेकिन क्या आप जानते हैं रंगों वाली होली क्यों खेली जाती है? इसके पीछे भगवान शिव और कामदेव (Lord shiva and kamdev Story) की रोचक कथा है. आइए जानते हैं कैसे होली खेलने की शुरूआत हुई? और धूमधाम से आज तक लोग रंग-गुलाल उड़ाकर इस त्योहार को मनाते हैं...

यह है कहानी

पौराणिक कथा के अनुसार जब महादेव और माता पार्वती का विवाह नहीं हुआ था, लेकिन माता पार्वती महादेव से विवाह करना चाहती थी, पर तपस्या में डूबे महादेव का ध्यान उनकी ओर नहीं गया, माता पार्वती की इस परेशानी को देखकर कामदेव वहां आ पहुँचे, उन्होंने महादेव की तपस्या भंग करने के लिए उन पर पुष्प वाण चला दिए, इस बाण के कारण महादेव की आंखें खुल गईं और क्रोध से कामदेव अग्नि में भस्म हो गए. इसके बाद महादेव की दृष्टि माता पार्वती पर गई. माता पार्वती की इच्छा पूरी हुई और भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह रचा लिया.

कामदेव के अग्नि में भस्म हो जाने के बाद भोलेनाथ को एहसास हुआ कि कामदेव निर्दोष थे, इसके बाद माता पार्वती के पूर्वजन्म की कहानी जानकर उन्हें कामदेव के लिए और ज़्यादा सद्भाव जागा और महादेव ने उन्हें एक बार फिर जीवित कर दिया और उन्हें अशरीरी भी बना दिया.

उस दिन लोग फाल्गुन मास पर होलिका दहन कर रहे थे, इसी होलिका में कामदेव की वासना की मलिनता जलकल जलकर प्रेम में बदल गई और कामदेव का असली भाव से सृजन हुआ, इसका जश्न सभी ने मनाया इसके बाद से होली का त्योहार मनाने लग गए, बहुत कम लोग इस मान्यता को जानते हैं लेकिन आज होली के त्योहार को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं.

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष व लोक मान्यताओं पर आधारित है. इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता के लिए NDTV किसी भी तरह की ज़िम्मेदारी या दावा नहीं करता है.)

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