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This Article is From Mar 20, 2024

Amalaki Ekadashi 2024: पंडित जी ने जानिए पूजा विधि से लेकर पूजा सामग्री के बारे में वो सारी जानकारी, जिससे सारे कष्ट दूर होने की है मान्यता

Amalaki Ekadashi Vrat Katha: आज के दिन आंवले की पूजा (amla puja) का विशेष महत्व है. पंडित दुर्गेश ने आमलकी एकादशी की पूजा विधि से लेकर पूजा सामग्री के बारे में जानकारी दी है, साथ ही यह भी बताया है कि आमलकी एकादशी (Amlaki ekadashi upaay) पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए..

Amalaki Ekadashi 2024: पंडित जी ने जानिए पूजा विधि से लेकर पूजा सामग्री के बारे में वो सारी जानकारी, जिससे सारे कष्ट दूर होने की है मान्यता

Amalaki Ekadashi : आज 20 मार्च 2024 को फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष को आमलकी एकादशी मनाई जा रही है. हिंदू धर्म में इस एकादशी का बहुत खास महत्व होता है. ऐसी मान्यता है कि यह व्रत, जो कोई रखता है, उसके जीवन से कष्ट दूर हो जाते हैं. आज के दिन आंवले की पूजा (amla puja) का विशेष महत्व है. पंडित दुर्गेश ने आमलकी एकादशी की पूजा विधि से लेकर पूजा सामग्री के बारे में जानकारी दी है. साथ ही यह भी बताया है कि आमलकी एकादशी (Amalaki ekadashi upay) पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए.

पूजा सामग्री
सर्वप्रथम आमलकी एकादशी की पूजा सामग्री के बारे में जान लेते हैं. पूजा में पीला, चंदन, अबीर, रंग, गुलाल, आंवला, पंचमेवा, कुमकुम, पान, लौंग, कपूर, सुपारी, पंचामृत, तुलसी, हल्दी, धूप, मिष्ठान, मॉली इत्यादि एकत्रित कर लें, इन चीज़ों के बिना पूजा पूरी नहीं होती है.

 एक हज़ार गोदान के फल के बराबर मिलता है पुण्य
आंवले की एकादशी की पूजा करते समय इस बात का ध्यान रखें कि इस व्रत को रखने से एक हज़ार गोदान के फल के बराबर पुण्य प्राप्त होता है. आमलकी एकादशी में पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक शिकारी ने अनजाने में इस व्रत को किया था. इसके फलस्वरूप विष्णु भगवान ने उसके हर संकट से उसको बचाया और बाद में उसे राजयोग जैसा सुख भी प्राप्त हुआ था.

आंवले की एकादशी के दिन क्या न करें
आमलकी एकादशी के दिन काले रंग के वस्त्र नहीं पहनना चाहिए. इस एकादशी पर कोई भी मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए, क्योंकि होलाष्टक में शुभ कार्य वर्जित होते हैं.

आमलकी एकादशी पर श्रीहरि को पूजा में चावल भूल कर भी न चढ़ाएं और आज के दिन चावल खाने से दोष भी लगता है.

तुलसी की पूजा रोज़ाना होती है, लेकिन आमलकी एकादशी के दिन तुलसी में जल नहीं चढ़ाना चाहिए न ही तुलसी पत्ता तोड़ें और न ही गमले में पड़े सूखे पत्तों का ही इस्तेमाल करें. ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होंगे.

आमलकी एकादशी पर किसी का भी अपमान न करें और भूल कर भी मांस-मदिरा का सेवन न करें.

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आमलकी एकादशी के दिन ये  जरूर करें
आमलकी एकादशी के दिन आंवले का उबटन लगाएं. आंवले के रस को पानी में डाल कर स्नान करें. इससे आरोग्य प्राप्त होता है. आज के दिन आंवले के रस से श्रीहरि का विशेष रूप से प्रसाद करें और भोग में आंवला से बनी मिठाई चढ़ाएं और लोगों को खिलाएं. इस बात का ध्यान रखें कि भोग में तुलसी दल ज़रूर डालें.

आमलकी एकादशी पर आंवले के पेड़ को जल और दूध से सींचें और फिर 108 बार परिक्रमा करें. इस दौरान श्रीहरि के मंत्रों का जाप भी ज़रूर करना चाहिए.

आमलकी एकादशी को रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है, क्योंकि ये होली के कुछ समय पहले आती है. इसलिए आज भगवान विष्णु और भोलेनाथ पार्वती को गुलाल और अबीर लगाया जाता है, जिससे वैवाहिक जीवन में सुख शांति आती है.

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