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सर्दियों में धूप और शांति की है तलाश, बना लीजिए सांची जाने का प्लान, जानिए क्या-क्या है सोलर सिटी में?

Short Trip Plan : भोपाल से 46 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सांची स्तूप अपनी खूबसूरत नक्काशी के लिए प्रचलित है. सांची स्तूप यूनेस्को की विश्व धरोहर है. यह एक ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व वाला धार्मिक स्थान है और कई स्तूपों का स्थल है.

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सर्दियों में धूप और शांति की है तलाश, बना लीजिए सांची जाने का प्लान, जानिए क्या-क्या है सोलर सिटी में?

Madhya Pradesh Tourism Sanchi Stupa : यदि आप सर्दियों के मौसम में घूमने के शौकीन है और मध्यप्रदेश में घूमने का प्लान बना रहे हैं तो भोपाल से 46 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सांची स्तूप (Sanchi Stupa) अपनी खूबसूरत नक्काशी के लिए प्रचलित है. सांची स्तूप यूनेस्को (UNESCO) की विश्व धरोहर (World Heritage) है. यह एक ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व वाला धार्मिक स्थान है और कई स्तूपों का स्थल है. जो एक पहाड़ी की चोटी पर बने हैं, ये स्थान बौद्ध धर्म से संबंधित है लेकिन सीधे तौर पर बुद्ध के जीवन से नहीं है. सर्दियों (Winters) के समय में यहां सैकड़ों की संख्या में लग धूप सेंकने के लिए जाते हैं और एंजॉय करते हैं. आइए जानते हैं देश की पहली सोलर सिटी सांची के बारे में...

स्तूपों पर उकेरी गई है छवियां

वस्तुओं और स्तंभों का स्थान सांची भव्य प्रदेशद्वार स्थान की शोभा बढ़ाते हैं. इन प्रवेश द्वारों पर खूबसूरती से नक्काशी की गई है. इनमें बुद्ध और अशोक के जीवन के दृश्य दिखते हैं. यहां शास्त्रीय कला के बेहतरीन नमूना देखने को मिलते हैं. स्तंभों और स्तूपों पर उकेरी गई छवियां बुद्ध के जीवन की मार्मिक घटनाओं के बारे में बताती है.

अशोक स्तंभों का मुकुट

कहा जाता है कि इसका संबंध बुद्ध से अधिक सम्राट अशोक से हैं. अशोक ने यहां पहला स्तूप बनवाया था और कई स्तंभ लगवाए थे. प्रसिद्ध अशोक स्तंभों का मुकुट, जिसमें पीछे की ओर 4 सिंह खड़े हैं, उसको भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में भी अपनाया गया है. सांची स्तूप देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में सैलानी यहां पहुंचते हैं. सर्दियों के मौसम में यह जगह और भी लोगों को पसंद आती है क्योंकि स्तूप घूमने के साथ-साथ हल्की फुल्की धूप भी होती है. जो कि सर्दियों में बेहद पसंद आती है.

सांची स्तूप की नक्काशी

सांची स्तूप के इतिहास की बात करें तो 1881 में सांची की खोज की गई और यहां देखा गया कि संरचना के अद्भुत टुकड़े अच्छी स्थिति में नहीं थे. धीरे-धीरे इस स्थान के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को पहचान मिली है. यहां की नक्काशी ज्वैलर्स की बारीकी से की गई है. जिसे देखने के लिए लोग बेताब होते हैं. सांची स्तूप घूमने के लिए पूरे देश से लोग यहां आते हैं और यहां की खूबसूरत नक्काशी का दीदार करते हैं.

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