Monsoon Fashion Tips: मानसून (Monsoon Season) के आते ही वातावरण में नमी का स्तर बढ़ जाता है. बारिश के बीच धूप निकलने से उमस बढ़ जाती है और जमकर पसीना निकलने लगता है. वहीं नमी और उमस का सीधा प्रभाव हमारी त्वचा पर भी पड़ता है. इस मौसम में स्किन इन्फेक्शन (Skin Infections) की समस्या बढ़ जाती है. वहीं फंगल इंफेक्शन (Fungal Infection) के मामले ज्यादा दिखने लगते हैं. बरसात में आपके कपड़े मौसम के अनुसार होने बहुत जरूरी हैं. कोशिश करें कि आप सीजन के अनुरूप फैब्रिक ही पहने. आइए जानते हैं कैसे इस बरसात में आप अपने वार्डरोब को स्टाइलिश और सीज़न फ्रेंडली बना सकते है.
पहले जानिए मानसून की प्रमुख समस्याएं- Monsoon Diseases
►एक्जिमा
मानसून के इस मौसम में शरीर के किसी भी हिस्से में लगातार खुजली होने की शिकायत रहती है. ये मौसमी दिक्कत बच्चों से लेकर व्यस्कों दोनों को ही प्रभावित कर सकती है, इसे आसानी से पहचाना जा सकता है. अक्सर एक्जिमा होने पर शरीर का वो हिस्सा लाल होने के साथ उभर जाता है. इससे बचने के लिए शरीर को ड्राई रखे, समय-समय पर मॉइस्चराइजर लगाते रहें.
►फंगल इन्फेक्शन
बारिश में आसपास के माहौल में उमस और नमी बनी रहती है, जिससे पसीना आना एक आम बात है. ऐसे में त्वचा गीली रहने से फंगल इन्फेक्शन का खतरा बना रहता है. इन्फेक्शन के साथ खुजली, गोल चकत्ते जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इससे बचने के लिए कोशिश करे मानसून में खुद को ड्राई रखें, हवादार फैब्रिक का चयन करें, रबड़ या प्लास्टिक के फुटवियर पहने और इन्फेक्शन हो जाने पर डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें.
►चेहरे पर मुहांसे आना
त्वचा ऑयली होने से भी बैक्टीरिया पनपने लगते हैं. इससे चेहरे पर मुहांसे, कील और ब्लैकहेड्स आने की समस्या में बढ़ने लगती है. इससे बचने के लिए जब भी मुंह धोएं, तब एक सैलिसिलिक एसिड से बने फेसवाॅश ही इस्तेमाल करें. चेहरे और गर्दन वाले हिस्से को दिन में दो बार अच्छे से वॉश कर मॉइस्चराइज़ रखें.
►हाइपरपिग्मेंटेशन
इस हालत में त्वचा का एक हिस्सा ज़्यादा काला और बाकी शरीर से अलग दिखने लगता है. इस समय स्किन में मेलेनिन अधिक मात्रा में बनाने लगती है. इसकी मात्रा ज़्यादा होने पर स्किन काली पड़ने लगती है. मानसून में इस खतरे से बचने के लिए मॉइस्चराइजर के साथ सनस्क्रीन का भी उपयोग करें. अगर बारिश में भींग जाए, तो कोशिश करें कि जितना जल्द हो सके नहा लें.
Monsoon Fashion Tips: इन फैब्रिक को गलती से भी न पहने
लेदर फैब्रिक
बरसात में लेदर से बने कपड़े, जूते, बेल्ट या बैग पर पानी लगने से फंगस होने की संभावनाएं रहती हैं. इसके अलावा लेदर से बने किसी भी सामान में पानी लगने से वो जल्दी खराबी हो जाता है. मानसून के इस मौसम में इन सामानों का रखरखाव बहुत जरूरी हो जाता है.
डेनिम फैब्रिक
कई लोगों की सोच होती है कि वह डेनिम हर मौसम में पहन सकते हैं, पर इस फैब्रिक में पानी लग जाने से उसको सूखने में देर लगती है, जिससे स्किन इरिटेशन और इन्फेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है. ज्यादा देर भींगे रहने से स्किन पर भी इसका असर पड़ने लगता है. जहां तक हो सके कोशिश करें की डेनिम के कपड़े न पहने.
वेलवेट
ज्यादातर ठंड के मौसम में पहने जाने वाला यह फैब्रिक काफी मोटा और सिल्की होता है. अगर इसे बारिश में पहना जाए तो यह पानी सोख लेता है, जिसके चलते स्कीन पर इरिटेशन होने लगती है. अगर आपको त्वचा पर होने वाले रैशेज से बचना हो तो बारिश में वेलवेट ना पहने.
सिल्क
अब धीरे-धीरे शादी का सीजन आने लगा है, अगर आप इस मौसम में सिल्क से बनी साड़ी पहनने का सोच रही हैं तो रुक जाइए. सिल्क से बने कपड़े एवरग्रीन माने गए हैं पर बारिश का पानी पड़ने से इन फैब्रिक में सफेद धब्बे पड़ने लगते हैं. ऐसे में कोशिश करे कि सिल्क न पहने.
शिफॉन
इसका फैब्रिक और रंग काफी नाज़ुक होता है. बारिश के मौसम मे शिफॉन से बने कपड़े या साड़ी पहनने से वो शरीर में चिपकने लगता है, जिससे स्किन को हवा नहीं लग पाती। ऐसे में जहां तक हो सके शिफॉन ना पहने.
Fabrics Suitable for Monsoon:
इस मौसम के वे कपड़े जो मानसून के लिए अनुकूल हैं-
कॉटन से बने फैब्रिक: यह कपड़े हल्के होने के साथ आसानी से हवा आर-पार करने योग्य होते हैं. जो इन्हें मानसून मौसम के लिए आदर्श बनाते हैं. कॉटन से बने हुए कपड़े हमेशा आरामदायक और हल्के माने गए हैं.
नायलॉन: यह कपड़े जल्द सूख जाते हैं और ज़्यादातर रेनकोट और जैकेट बनाने में उपयोग किए जाते हैं.
सिंथेटिक: इस फैब्रिक की खूबी है कि यह पानी रोकने में सक्षम है और आपको सूखा रखने में मदद करती है.
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