
International Day of Yoga 2025: योग एक ऐसा नाम है, जिसके पास कई समस्याओं का समाधान है. योग करने से न केवल शरीर चुस्त-दुरुस्त और तंदुरुस्त रहता है बल्कि शारीरिक और मानसिक समस्याएं कोसों दूर भाग जाती हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि 'कॉमन योग प्रोटोकॉल' क्या है और इसके चार सरल चरण को अपनी दिनचर्या में शामिल करें. कॉमन योग प्रोटोकॉल (सीवाईपी) एक स्वस्थ शरीर और मन के लिए आसान सा तरीका है, जिसमें कुछ योगासन कराए जाते हैं. अपनी सेहत के लिए योग के सफर की शुरुआत कॉमन योग प्रोटोकॉल के साथ कर सकते हैं.
Come June 21st, the #International_Day_of_Yoga_2025 celebrations will have unprecedented scale and variety this year! Along with the main event, to be held under the leadership of Prime Minister Shri @narendramodi. (1/2)#Yogasangam @PMOIndia @mpprataprao pic.twitter.com/2GhT5QKNJA
— Ministry of Ayush (@moayush) April 15, 2025
क्या है कॉमन योग प्रोटोकॉल?
कॉमन योग प्रोटोकॉल (सीवाईपी) एक स्वस्थ शरीर और मन के लिए बेहतरीन और सरल तरीका है. इसे ब्रेथ, स्ट्रेच और ट्रांसफॉर्म नाम दिया गया है. सरल हिंदी में कहें तो सांस लेने की प्रक्रिया, शरीर की मांसपेशियों को प्रकृति अनुसार स्ट्रेच या खिंचाव करना और इसके जरिए अपनी शख्सियत को बदलकर रखना.
#WATCH | भुवनेश्वर में आज आयोजित भव्य योग महोत्सव में 6000 से अधिक योग प्रेमियों ने 'कॉमन योग प्रोटोकॉल' का अभ्यास किया।
— PB-SHABD (@PBSHABD) April 7, 2025
केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने 'हरित योग' पहल का शुभारंभ किया, जो पर्यावरणीय जागरूकता और योग को जोड़ने का एक महत्वपूर्ण कदम है।
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International Yoga Day: योग दिवस पर PM मोदी के बताए योग मुद्रा के लाभ जानिए यहां
सदलज के बाद ही चालन क्रिया या शिथिलिकरण का अभ्यास कराया जाता है. यह विशेष रूप से शरीर के अंगों को थोड़ा शिथिल या लचीला बनाने के लिए किया जाता है ताकि कोई भी योगासन करने के दौरान शरीर इसके अनुकूल रहे और योगासन करने में आसानी रहे. इस क्रिया में ग्रीवा चालन, कंधे का संचालन, कटि यानी कमर और घुटने का संचालन कराया जाता है. ये वे जोड़ या मोड़ हैं, जो योगासन के दौरान मुड़ते हैं. योग के आसान से प्रोटोकॉल को दिनचर्या में शामिल करने से सर्वाइकल, तनाव, शरीर में खिंचाव, दर्द, सांस संबंधित परेशानियों में राहत के साथ ही मन को भी शांत करता है. इन प्रक्रियाओं को 5 से 10 बार लगातार करना चाहिए.
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