
Chhath Puja : आस्था का सबसे बड़ा पर्व छठ पूजा (Chhath Puja) देश भर के कई राज्यों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाने वाला छठ चार दिन तक चलता है. चतुर्थी तिथि पर नहाय खाय के बाद छठी मईया व सूर्य देवता की पूजा की जाती है. इस पर्व से कई लोगों की आस्था जुड़ी हैं. आइए जानते हैं छठ पूजा के 4 दिन तक चलने वाले इन 4 महत्वपूर्ण व्रत के बारे में ....
वैसे आपको बता दें कि छठ पूजा का व्रत काफी कठिन होता है. क्योंकि चार दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार में हर दिन अलग-अलग से रूप से व्रत किया जाता है और हर व्रत का अपना अलग ही महत्त्व है.
1. नहाय खाय
छठ पर्व का पहला दिन जैसे नहाय खाय नाम से जाना जाता है. इसकी शुरुआत चैत्र या कार्तिक माह के शुक्ल चतुर्थी से होता है. सबसे पहले घर की सफाई कर उसे पवित्र किया जाता है, उसके बाद जो व्रत रखता है वह नजदीक में स्थित नदियों-तालाब में जाकर स्नान करता है. मान्यता है कि लौटते समय वो अपने साथ जल भी लेकर आते हैं जिसका उपयोग खाना बनाने में किया जाता है. इस दिन सिर्फ़ एक ही बार खाना खाया जाता है. खाने में व्रती सिर्फ एक बार ही खाना खाते हैं. जिसमें चना, दाल, चावल का उपयोग करते हैं.

2. खरना या लोहंडा
छठ पर्व का दूसरा दिन खरना या लोहंडा के नाम से जाना जाता है. चैत्र या कार्तिक माह की पंचमी को मनाया जाता है. इस दिन पूरे दिन उपवास रखा जाता है और उपवास रखने वाले सूर्यास्त से पहले पानी की एक बूंद तक ग्रहण नहीं करते हैं. उसके बाद शाम को चावल गुड़ और गन्ने के रस की खीर बनाई जाती है.
3. संध्या अर्घ्य
छठ पर्व का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है. चैत्र या कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाए जाने वाले इस पर्व की तैयारियां लोग काफ़ी समय पहले से शुरू कर देते हैं. छठ पूजा के लिए विशेष प्रसाद जैसे ठेकुआ, चावल के लड्डू जिसे कचवनिया भी कहा जाता है. पूजा के लिए एक बांस की बनी हुई टोकरी जिसे दउरा कहते हैं और पूजा अर्चना के बाद शाम को एक सूपा में नारियल, पांच प्रकार के फल और अन्य सामान लेकर टोकरी में घर के पुरूष अपने हाथों से उठाकर घाट तक लेकर जाते हैं.
4. उषा अर्घ्य
चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदीयमान सूरज को अर्घ्य दिया जाता है. जिसे उषा अर्घ्य कहा जाता है. सूर्योदय से पहले लोग घाट पर उगते सूर्य देव की पूजा करने के लिए एकत्रित हो जाते हैं और सूर्य देवता की पूजा अर्चना करते हैं. पूजा अर्चना के बाद घाट का भी पूजन किया जाता है और वहां मौजूद सभी लोगों को प्रसाद वितरण भी किया जाता है.
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