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This Article is From Sep 06, 2024

Parental Guidance : माता-पिता बनिए 'हेलीकॉप्टर' नहीं ! कहीं आप भी बच्चों के सिर पर तो नहीं मंडरा रहे?

How to Treat Your Children : आपने अक्सर पेरेंट्स को यह कहते हुए जरूर सुना होगा कि हम अपने बच्चों को वह सब कुछ देना चाहते हैं, जो हमें नहीं मिला. इसके साथ ही वह बच्चों से कई तरह की उम्मीदें बांध लेते हैं. इसके लिए वह हर समय उनके सिर पर खड़े रहते हैं, जिससे बच्चे परेशान हो जाते हैं.

Parental Guidance : माता-पिता बनिए 'हेलीकॉप्टर' नहीं ! कहीं आप भी बच्चों के सिर पर तो नहीं मंडरा रहे?
प्रतीकात्मक तस्वीर

Parental Guidance : आपने अक्सर पेरेंट्स को यह कहते हुए जरूर सुना होगा कि हम अपने बच्चों को वह सब कुछ देना चाहते हैं, जो हमें नहीं मिला. इसके साथ ही वह बच्चों से कई तरह की उम्मीदें बांध लेते हैं. इसके लिए वह हर समय उनके सिर पर खड़े रहते हैं, जिससे बच्चे परेशान हो जाते हैं. सबसे पहले हम आपको बता दें कि आखिर हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग होती क्या है? बच्चे के हर एक काम या उसके फैसले में दखलंदाजी करना या उसे सलाह देना ही हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग में आता है. हर एक माता-पिता अपने बच्चों के पालन-पोषण में कभी कोई कमी नहीं छोड़ते, वह बच्चों को अपने फैसले लेने के लिए फ्री छोड़ देते हैं, चाहे वह पढ़ाई का फैसला हो या कोई निजी फैसला. पेरेंट्स उन्‍हें मौका देते हैं कि वह अपने फैसले खुद से लें.

मगर कई पेरेंट्स इस मामले में एक अलग ही तरह का रुख अख्तियार करते हैं. वह छोटी-छोटी चीजों के लिए एक हेलिकॉप्टर की तरह बच्चों के सिर पर मंडराते रहते हैं. 

जानिए इस बारे में क्या बोले विशेषज्ञ

पिछले कुछ वर्षों में हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग का चलन बहुत बढ़ गया है. सबसे पहले डॉ. हेम गिनोट ने 1969 में अपनी किताब 'बीटवीन पेरेंट एंड टीएनजर' में 'हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग' का जिक्र किया था. इसी हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग को समझने के लिए IANS ने शिक्षाविद, पैरेंट्स लाइफ कोच और उत्तर प्रदेश शिक्षा परिषद की अध्यक्ष अंजलि चोपड़ा से बात की.

 अंजलि चोपड़ा ने कहा कि अगर आप भी हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग कर रहे हैं तो आज से ही इसमें बदलाव लाने की जरूरत है. 

हेलीकॉप्टर पेरेंट्स वह होते हैं जो अपने बच्चों के हर छोटे-बड़े फैसले में उनका साथ देते हैं. वह चाहते हैं कि उनके बच्चे को किसी भी तरह की कोई परेशानी न आए. मगर कभी-कभी यह बच्चों के लिए हानिकारक भी साबित हो सकता है. इससे बच्चे अपने खुद के फैसले लेने में समर्थ नहीं हो पाते, फिर किसी भी परेशानी में उन्हें अपने माता-पिता की ही याद आती है.

अंजलि चोपड़ा

पैरेंट्स लाइफ कोच

जाने कैसे बनें आदर्श माता-पिता

सबसे पहले तो अपने बच्चों को अपने छोटे-छोटे फैसले खुद लेने दें.... यह फैसले शुरू में थोड़े गलत हो सकते हैं मगर समय के साथ बच्चों को काफी कुछ सीखने को मिलेगा. अगर बच्चों को कुछ काम करने में परेशानी हो रही है तो उन्‍हें केवल गाइडेंस दें.

खुद का काम खुद करें, रखें ध्यान

एक बात पर उन्‍होंने जोर देते हुए कहा, ''कई बार हमें यह देखने को मिलता है कि बच्चों के स्कूल की ओर से दिए गए प्रोजेक्ट पेरेंट्स खुद ही पूरे कर रहे हैं, जो बिल्‍कुल गलत बात है. उन्‍हें यह सब खुद से करने दें. ऐसे में बच्चों को पूरी तरह से दिशा-निर्देश दें, ताकि वह इसे खुद से कर पाएं. ''

बच्चों को दे कुछ करने का मौका

अंजलि चोपड़ा ने कहा कि हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग करने से अच्‍छा है कि आप अपने बच्‍चे की बातें सुने, उन्‍हें समझें, अपने फैसले खुद से लेने दें, ताकि वह समाज के सामने अपने विचार रखने में समर्थ रहे. ''हमारे बच्चे अपनी जिंदगी को तभी अच्छे से समझ पाएंगे जब हम उन्हें कुछ करने का मौका देंगे. अपनी बातों को उन पर ना थोपें, इसके साथ ही यह उम्‍मीद बिल्‍कुल न करें कि आप जो कह रहे हैं वह उसे वैसे ही समझेंगे. ''

(Disclaimer: यहां पर बताई गई बातें किसी भी तरह से योग्य राय का विकल्प नहीं है. ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा किसी अपने संबंधित विशेषज्ञ से परामर्श करें. NDTV इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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