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Govardhan Puja 2023: गोवर्धन पूजा कब है? यहां जानिए सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Govardhan Puja 2023: . उत्सव के चौथे दिन पड़ने वाली गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) का हिंदू घरों में खास महत्व है. भारत के कई राज्यों में गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी कहा जाता है.

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Govardhan Puja 2023: गोवर्धन पूजा कब है? यहां जानिए सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Govardhan Puja 2023: दिवाली (Diwali) का त्योहार पांच दिवसीय उत्सव है जो धनतेरस (Dhanteras) से शुरू होता है, उसके बाद छोटी दिवाली, दिवाली, गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) और भाई दूज (Bhai Dooj) के साथ समाप्त होता है. उत्सव के चौथे दिन पड़ने वाली गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) का हिंदू घरों में खास महत्व है. विशेष रूप से भगवान कृष्ण  (Lord Krishna) के अनुयायी, जिन्हें गोवर्धन धारी (Govardhan Dhari) के नाम से भी जाना जाता है. भारत के कई राज्यों में गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी कहा जाता है.

गोवर्धन पूजा तिथि और समय (Govardhan Puja Date And Time)
गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) दिवाली या लक्ष्मी पूजा के एक दिन बाद होती है. इस साल गोवर्धन पूजा को लेकर बड़ी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. शुभ मुहूर्त अलग-अलग दिन पर पड़ने के कारण इस बार गोवर्धन पूजा 13 और 14 नवंबर दोनों दिन मनाई जाएगी.

जानें सही डेट और शुभ मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि 13 नवंबर को दोपहर 2:56 बजे शुरू होगी और अगल दिन 14 नवंबर मंगलवार को दोपहर 2:36 बजे समाप्त होगी. गोवर्धन पूजा का शुभ समय सुबह 06:43 से 08:52 और शाम को 2:56 से 4:59 के बीच है.

गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा भगवान इंद्र पर भगवान कृष्ण की जीत के उपलक्ष्य में की जाती है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने वृंदावन के लोगों को भारी वर्षा से बचाने के लिए आश्रय प्रदान करने के लिए गोवर्धन पर्वत (पहाड़ी) को अपनी छोटी उंगली से उठा लिया था. भगवान इंद्र क्रोधित थे क्योंकि वृन्दावन के लोगों ने उनकी पूजा करना बंद कर दिया था. वह सात दिनों तक बिना हिले-डुले पहाड़ी को उठाए खड़े रहे.

गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा क्यों कहा जाता है
ऐसा कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने सात दिनों तक पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाए रखा और न तो हिलाया और न ही कुछ खाया. जब बारिश रुकी, तो ग्रामीणों ने 56 प्रकार की वस्तुओं से भव्य भोजन पकाकर इसकी भरपाई की, जिसे "छप्पन भोग" कहा जाता है. भक्त भगवान कृष्ण को भोग लगाने के लिए भोजन का पर्वत बनाते हैं, जिसे अन्नकूट कहा जाता है और इसीलिए इस दिन को अन्नकूट पूजा के रूप में भी मनाया जाता है.

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