
CRPF Foundation Day: केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) भारत का एक प्रमुख केंद्रीय पुलिस बल है, जिसे आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने का महत्वपूर्ण कार्य सौंपा गया है. रियासतों के भीतर बढ़ती राजनीतिक उथल-पुथल और अशांति से निपटने के लिए 27 जुलाई, 1939 को क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस के रूप में शुरू में स्थापित सीआरपीएफ देश के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में से एक के रूप में विकसित हुआ है. 27 जुलाई केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के देश के प्रति समर्पण भाव और योगदान को याद करने का दिन है. इस बार सीआरपीएफ के 87वें स्थापना दिवस का जश्न मनाया जाएगा.
Magnificent India Gate reverberated with the saga of warriors of Sardar Post who displayed exemplary valour, as it played host to the enthralling symphony by CRPF band.
— 🇮🇳CRPF🇮🇳 (@crpfindia) April 3, 2023
CRPF India proudly celebrates VALOUR DAY on 9th April 2023. pic.twitter.com/uVD8c9iPJe
ऐसा है इतिहास CRPF History
आजादी से कई साल पहले 27 जुलाई को 'क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस' के रूप में पुलिस बल की स्थापना हुई थी, जिसे आजादी के बाद केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) नाम मिला. इस पुलिस बल का निर्माण 1936 में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मद्रास प्रस्ताव से काफी प्रभावित था, जिसमें एक मजबूत आंतरिक सुरक्षा तंत्र की आवश्यकता पर जोर दिया गया था.
CRPF, Serving the Nation with Unmatched Valor💪🇮🇳
— Ministry of Information and Broadcasting (@MIB_India) July 27, 2023
Warmest greetings to the warriors of @crpfindia on their remarkable 85th Raising Day! 🎉
Honoring the indomitable spirit of CRPF and salute the heroes who safeguard our peace and harmony.#CRPFRaisingDay#RaisingDayCRPF… pic.twitter.com/WqhzrDFdQj
इस विधायी अधिनियम ने इसे न केवल नया नाम सीआरपीएफ दिया, बल्कि इसे केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र के तहत एक सशस्त्र इकाई के रूप में स्थापित भी किया. तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इस पुलिस बल के लिए एक बहुआयामी भूमिका की कल्पना की, इसके कार्यों को एक नए स्वतंत्र राष्ट्र की उभरती जरूरतों के साथ जोड़ा.
क्यों खास है यह बल?
सीआरपीएफ भारत का एकमात्र अर्धसैनिक बल है जिसमें छह महिला बटालियन हैं. पहली महिला बटालियन, 88 (एम) बटालियन, 1986 में स्थापित की गई थी. इसका मुख्यालय दिल्ली में है. ये बटालियन महिला आंदोलन से निपटने में बहुत ज़रूरी हैं, क्योंकि पुरुष अधिकारियों द्वारा मामूली सी भी लापरवाही कानून और व्यवस्था के मुद्दों को बढ़ा सकती है. महिला बटालियन सुनिश्चित करती हैं कि ऐसी स्थितियों को संवेदनशीलता और दक्षता के साथ प्रबंधित किया जाए.
वीआईपी सुरक्षा विंग: सीआरपीएफ की वीआईपी सुरक्षा विंग गृह मंत्रालय द्वारा बताई गई बड़ी हस्तियों की सुरक्षा करने में माहिर है. इसमें केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, राजनेता, सरकारी अधिकारी, आध्यात्मिक नेता, व्यवसायी और अन्य प्रमुख हस्तियां शामिल हैं. यह विशिष्ट इकाई अपने मातहत सुरक्षा पा रही हस्तियों की सुरक्षा को उच्चतम स्तर की देखभाल, सटीकता और पेशेवर तरीके से सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है, जो सीआरपीएफ की अपने कर्तव्यों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन (सीओबीआरए - कोबरा): कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन (कोबरा) सीआरपीएफ की एक विशेष इकाई है जिसे गुरिल्ला और जंगल युद्ध संचालन के लिए बनाया गया है, जिसका मुख्य लक्ष्य माओवादी विद्रोह से निपटना है. 'जंगल योद्धा' के रूप में जाने जाने वाले कोबरा कर्मियों को सीआरपीएफ के जवानों में से चुना जाता है और उन्हें कमांडो रणनीति और जंगल युद्ध में गहन प्रशिक्षण दिया जाता है. 2008 और 2011 के बीच गठित 10 कोबरा इकाइयों को वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों जैसे छत्तीसगढ़, बिहार, ओडिशा, झारखंड और अन्य राज्य में तैनात किया गया है. कोबरा को प्रमुख केंद्रीय सशस्त्र पुलिस इकाइयों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त है, जो चुनौतीपूर्ण जंगल के वातावरण और आतंकवाद विरोधी अभियानों में उत्कृष्ट हैं.
रैपिड एक्शन फोर्स (RAF): रैपिड एक्शन फोर्स सीआरपीएफ की एक विशेष इकाई है, जिसे दंगों और सार्वजनिक अशांति से निपटने के लिए अक्टूबर 1992 में स्थापित किया गया था. अपनी त्वरित प्रतिक्रिया के लिए जानी जाने वाली आरएएफ को संकट की स्थितियों में तेजी से तैनात किया जा सकता है. इससे जनता को आश्वासन और सुरक्षा मिलती है.
आरएएफ संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों के लिए पुरुष और महिला दोनों टुकड़ियों को प्रशिक्षित करता है, जहां उन्हें उनके बेहतरीन काम के लिए मान्यता मिली है.
इस का ध्येय वाक्य क्या है?
सीआरपीएफ का आदर्श वाक्य "सेवा और निष्ठा" है, जो कर्तव्य के प्रति बल की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है. CRPF केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत भारत के सशस्त्र बलों में से एक है. इसे राज्यों की सहायता के लिए कानून और व्यवस्था बनाए रखने, उग्रवाद विरोधी अभियान और नक्सल विरोधी अभियान जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण काम सौंपे गए हैं. इसका विस्तृत अधिदेश राष्ट्र की आंतरिक सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है. हम सीआरपीएफ के 87वें स्थापना दिवस का जश्न मना रहे हैं.
सिर्फ देश के भीतर की सुरक्षा की बात नहीं, बल्कि सीआरपीएफ के जवानों ने 1959 में हॉट स्प्रिंग्स और 1965 में सरदार पोस्ट की लड़ाइयों समेत युद्ध के मैदानों में भारतीय सेना का बहादुरी से साथ दिया. 1959 हॉट स्प्रिंग्स संघर्ष भारत और चीन के बीच था. सितंबर 1959 में लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स में चीन ने उकसावे की कार्रवाई की थी.
हड्डी जमाने वाली बर्फ से लेकर तपती गर्मी के बीच मोर्चा संभाला
हॉट स्प्रिंग इलाके के आसपास भारी संख्या में चीनी सैनिक जमा थे. सीआरपीएफ जवानों को चीन के कब्जे से चौकी मुक्त कराने के आदेश मिले थे. बहादुरी के साथ जवानों ने चीन के कब्जे से चौकी को मुक्त कराया, लेकिन इस बीच कुछ जवानों को चीनी फौज ने पकड़ लिया था. आईटीबीपी के डीएसपी करमसिंह के नेतृत्व वाली टुकड़ी को बाद में पता चला कि कुछ जवान गायब हैं. उन्होंने तलाश शुरू की और इसी बीच चीनी सैनिकों ने तलाश के लिए निकली टुकड़ी को घेर लिया था.
जवानों ने संख्या में बहुत कम होने के बावजूद बेहतर हथियारों से लैस चीनी सेना से अविश्वसनीय रूप से बहादुरी से मुकाबला किया. शून्य से भी नीचे के तापमान में भारी हथियारों से लैस चीनी सैनिकों के साथ लड़ाई में 10 जवान शहीद हुए थे. 21 अक्टूबर 1959 वह दिन था जब सैनिकों के इस दृढ़ दल को "हॉट स्प्रिंग्स" नामक स्थान पर स्वचालित हथियारों से लैस चीनी सैनिकों की भारी गोलाबारी का सामना करना पड़ा. इस शहादत के स्मरण में हर साल 21 अक्टूबर को 'पुलिस स्मृति दिवस' मनाया जाता है.
1965 के शुरुआती महीनों में जब पाकिस्तान ने कच्छ के रण सीमा पर आक्रामक रुख अपनाया, तो सीआरपीएफ की दूसरी बटालियन की चार कंपनियों को सीमा चौकियां स्थापित करने का काम सौंपा गया. 8 और 9 अप्रैल की रात को अंधेरे की आड़ में पाकिस्तान की 51वीं इन्फैंट्री ब्रिगेड के 3,500 जवानों की एक टुकड़ी, जिसमें 18वीं पंजाब बटालियन, 8वीं फ्रंटियर राइफल्स और 6वीं बलूच बटालियन शामिल थीं, उन्होंने हमारी सीमा चौकियों के खिलाफ "डेजर्ट हॉक" अभियान शुरू किया.
सरदार और टाक पोस्टों पर, जहां सीआरपीएफ की दूसरी बटालियन की चार कंपनियां तैनात थीं, एक ब्रिगेड की पूरी ताकत से हमला किया गया. पोस्टों पर तैनात जवानों ने अपने गोला-बारूद बचाकर रखे और आखिरी क्षण तक गोलीबारी रोके रखी, जिससे दुश्मन उनके करीब आ गया. इस भयानक सन्नाटे ने पाकिस्तानियों को यह विश्वास दिलाया कि पोस्ट पर तैनात सभी लोग गोलाबारी में मारे गए या घायल हो गए.
By putting dedication and devotion above self-interest, let's honor the CRPF personnel who gave their lives to protect us from national tragedies. Happy CRPF Raising Day to all of you.#RaisingDayCRPF केंद्रीय रिज़र्व पुलिस pic.twitter.com/BFKv6iPSVW
— DevD (@DevDD546) July 26, 2025
सरदार पोस्ट के कांस्टेबल शिव राम ने 600 गज की दूरी पर एक दुश्मन अवलोकन पोस्ट को तोपखाने और मोर्टार फायर का निर्देश देते हुए देखा. सूबेदार बलबीर सिंह ने तेजी से इस दुश्मन अवलोकन पोस्ट को खत्म करने के लिए सीआरपीएफ के जवानों को मोर्टार फायर का निर्देश दिया. जैसे ही हमलावर करीब आए, पोस्ट पर मौजूद सभी तीन मशीनगन सक्रिय हो गईं, जिससे आग की एक घातक बौछार शुरू हो गई और दुश्मन देश के सैनिक बेअसर हो गए. 14 हमलावर मारे गए और चार को जिंदा पकड़ लिया गया. एक क्षणिक झटके के बावजूद जब पोस्ट के उत्तर-पूर्व कोने में मशीन गन जाम हो गई, सीआरपीएफ कर्मियों ने जल्दी से फिर से संगठित होकर जवाबी हमला किया, जिससे दुश्मन को पीछे हटना पड़ा.
एक घंटे तक गोलीबारी चली, जिसके दौरान दुश्मन ने चौकी पर कब्जा करने के तीन प्रयास किए, लेकिन उन्हें भारी क्षति हुई. सीआरपीएफ कर्मियों की जवाबी कार्रवाई का इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि दुश्मन अपनी संख्या और हथियारों की बढ़त के बावजूद दोबारा हमला करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया.
संसद भवन हमला और अयोध्या में भी जवाब दिया
13 दिसंबर, 2001 को जब आतंकवादियों ने संसद भवन पर आत्मघाती हमला किया, तो सीआरपीएफ के बहादुर जवानों को एक कठिन परीक्षा का सामना करना पड़ा. सीआरपीएफ और आतंकवादियों के बीच लगभग 30 मिनट तक चली भीषण गोलीबारी में सभी 5 आतंकवादी मारे गए. इस मुठभेड़ के दौरान एक महिला कांस्टेबल ने असाधारण साहस और सूझबूझ का परिचय देते हुए अपने कर्तव्य का पालन करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया. इसी तरह सीआरपीएफ ने अयोध्या हमले को नाकाम किया. 5 जुलाई 2005 को जब 5 आतंकवादियों ने अयोध्या में हमला किया, जवान बहादुरी से लड़े और उन्होंने आतंकवादियों के नापाक इरादों को विफल करते हुए सभी को ढेर कर दिया.
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