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This Article is From Jul 08, 2023

मुरैना: चंबल के बीहड़ के बीच गजक की मिठास और सरसों की धांस है पहचान

मीठे के शौकीन हैं तो मुरैना की खस्ता करारी गजक जरूर चखी होगी. इस गजक की मिठास को न सिर्फ देश प्रदेश बल्कि विदशों में भी खास पहचान मिली है, जिसकी वजह से मुरैना की गजक को जीआईई टैग मिल चुका है.

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मुरैना: चंबल के बीहड़ के बीच गजक की मिठास और सरसों की धांस है पहचान

आप मीठा खाने के शौकीन हैं या आपको मछली पकड़ना पसंद है या फिर आप बर्ड वॉचिंग करना पसंद करते हैं. कभी कभी बस यूं ही नदी किनारे सैर पर निकल जाना, खूंखार घड़ियालों को ताकना या जंगल की हरियाली को निहारना. ऐसे हर शौक या ख्वाहिश को पूरा करने के लिए मध्यप्रदेश के मुरैना से बेहतर भला कौन सी जगह हो सकती है. इस शहर की एकाध खासियत हो तो बात करें. लेकिन ये शहर तो इतिहास, धार्मिक धरोहर और कुदरत की नेमतों से भरपूर है. ये शहर राज्य की उत्तर पश्चिमी सीमा पर चंबल घाटी में स्थित है.

 सिंधिया साम्राज्य का हिस्सा बना मुरैना

मुगलों के शासनकाल के दौरान इस क्षेत्र तक बादशाह अकबर का कब्जा रहा. 1761 में महादजी सिंधिया ने ग्वालियर पर कब्जा किया, जिसके बाद मुरैना जिसे मोरेना भी कहा जाता है, वो सिंधिया के साम्राज्य का हिस्सा बन गया.

मुरैना के आसपास से चंबल, कुंवर, आसन और डंक नदियां बहती हैं. जो जिले की अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं. कहा जाता है कि इस इलाके में मोरो की संख्या ज्यादा होने के कारण इसका नाम मुरैना पड़ा

गजक को मिला GI टैग

मीठे के शौकीन हैं तो मुरैना की खस्ता करारी गजक जरूर चखी होगी. इस गजक की मिठास को न सिर्फ देश प्रदेश बल्कि विदशों में भी खास पहचान मिली है. जिसकी वजह से मुरैना  की गजक को जीआईई टैग मिल चुका है. वैसे तो गजक अब कई शहरों में मिलती है लेकिन मुरैना में बनी गजक का आज भी कोई मुकाबला नहीं है. जो दूसरे देशों में भी एक्सपोर्ट होती है.

सरसों और मछली- अर्थव्यवस्था की प्रमुख नींव

मुरैना में सरसों के बीज का खूब उत्पादन होता है. इस वजह से यहां सरसों के तेल का उत्पादन भी बड़ी मात्रा में होता है. यहां इसी काम से जुड़ी 11 ईकाइयां संचालित हो रही हैं. इसके अलावा 552 लघु उद्योग स्थापित हैं. मुरैना से सरसों का तेल दूसरे देशों में भी एक्सपोर्ट होते हैं.

यहां है ट्रांसपेरेंट मछली 

नदियों और धाराओं के शहर मुरैना में मछली पालन और विक्रय के काम से कई लोगों का घर चलता है. भारत में पाई जाने वाली कई प्रमुख प्रजातियां मुरैना के जलाश्यों में भी पाई जाती हैं.

उनके अलावा कुट्टी (रोहित टेक्टस) और अंबासिस (ग्लास मछली) भी यहां मुख्य रूप से लाई जाती है. ये मछली चपटी होने के साथ ही ट्रांसपेरेंट भी होती है. इस बनावट की वजह से ये कांच की मछली के नाम से भी मशहूर है.

मुख्य पर्यटन स्थल

कोलेश्वरधाम, सबलगढ़ का किला, सिहोनिया के मंदिर, कुतवार, पडावली, मितावली का चौसठ योगिनी मंदिर, पहाड़गढ़, लिखी छज, नोरार के मंदिर, टीन का पुरा का राम जानकी मंदिर और मगरमच्छ, घड़ियालों से भरपूर राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य भी मुरैना में देखने लायक है. जो लो पानी में रहने वाले जीव जंतु या फिर बर्ड वॉचिंग के शौकीन हैं, ये जगह उनके लिए मुफीद है.

अन्य जानकारी

  • क्षेत्रफल-      4,989 Sq Km    
  • जनसंख्या-    19,65,970         
  • गांव-  815
  •  ग्राम पंचायत -489
  •  तहसील- 8
  •  विधानसभा क्षेत्र- 6
  • ( सबलगढ़, जौरा, सुमावली, मुरैना, दीमानी और अंबाह )
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