Sharad Purnima 2023: शरद पूर्णिमा के दिन खंडवा (Khandwa) में निमाड़ के संत सिंगाजी महाराज की समाधि स्थल पर दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम लगा रहता है. संत सिंगाजी को निमाड़ का कबीर भी कहा जाता है. आज भी निमाड़ में उनके जन्म स्थान व समाधि स्थल पर उनके पदचिह्नों की पूजा-अर्चना की जाती है. उनके चमत्कार आज भी लोग महसूस करते हैं. वे नर्मदांचल की महान विभूति थे. पशुपालक उन्हें पशु दूध और घी अर्पण करते हैं. इस सामधि स्थल पर घी की अखण्ड ज्योत भी प्रज्वलित रहती है. यहां मेले का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण झूलों का लुफ्त उठाते हैं.
कब तक चलेगा मेला?
निमाड़ में प्रसिद्ध संत सिंगाजी मेला शरद पूर्णिमा से पहले शुरू हो जाता है. इस पूरे आयोजन के दौरान करीब ढाई लाख से ज्यादा श्रद्धालु सिंगाजी महाराज की समाधि पर मत्था टेकने आते हैं. शरद पूर्णिमा से यह मेला और भव्य हो जाता है. निमाड़ की संस्कृति और परंपरा इस मेले में दिखती है. यह मेला विदेशों तक अपनी पहचान बना चुका है.
नारियल, चिरौंजी, घी चढ़ाते हैं भक्त
निमाड़ की आस्था के प्रतीक इस मेले में झाबुआ, बड़वानी, बैतूल, खरगोन के अलावा महाराष्ट्र सहित अन्य प्रदेशों के श्रद्धालु भी आते हैं. सिंगाजी समाधि पर मुख्य रूप से घी, नारियल, चिरोंजी का प्रसाद चढ़ाया जा रहा है. जिन भक्तों की मन्नत पूरी होती है, वे यहां भंडारा भी करते हैं. संत सिंगाजी महाराज समाधि स्थल पर 463 सालों से अधिक समय से भी अखंड ज्योत जल रही है. सिंगाजी महाराज मंदिर के चारों ओर बैक वाटर जलाशय से घिरा हुआ है.
शरद पूर्णिमा मेले पर रहती है भारी भीड़
मेले में पूर्णिमा के दिन हर साल लाखों की संख्या में संत महात्मा श्रद्धालु सिंगाजी बाबा की समाधि स्थल पर पहुंचते हैं. मेले में झूला, सर्कस, खिलौने आदि दुकानें लगाई जाती है. जो आकर्षण का केंद्र होती हैं. गाजी महाराज का समाधि स्थल इंदिरासागर परियोजना के डूब क्षेत्र में आने की वजह से उस मंदिर को 50-60 फीट के परकोटे से सुरक्षित किया गया है.