मध्यप्रदेश के उत्तरी भाग में नेशनल हाईवे-12A पर स्थित टीकमगढ़ जिला विभिन्न धर्मों के धार्मिक स्थलों के लिए मशहूर है. इसका पुराना नाम 'टेहरी' अर्थात 'त्रिकोण' हुआ करता था क्योंकि इसका मूल रूप तीन अलग-अलग बस्तियों से मिलकर बना था. प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र का हिस्सा यह जिला विभिन्न नदियों के बीच बुंदेलखंड पठार पर स्थित है. यह जिला अपनी प्राकृतिक सुंदरता, प्राचीन मंदिरों एवं महलों की वजह से पर्यटन का एक जाना-माना स्थल है.
टीकमगढ़ के नाम का इतिहास
टीकमगढ़ के बारे में मान्यता है कि कई शताब्दी पहले ये ओरछा राज्य का हिस्सा हुआ करता था. साल 1783 में टेहरी को ओरछा राज्य की राजधानी बनाया गया जहां राज्य का दुर्ग अर्थात किला मौजूद था. ओरछा राज्य के राजा नरेश वीर सिंह जूदेव कृष्ण भक्त थे. इसलिए तत्कालिक शासक विक्रमजीत सिंह बुंदेला द्वारा भगवान श्री कृष्ण के एक नाम 'टीकम शाह' के आधार पर इसका नाम टीकमगढ़ रख दिया गया.
टेहरी अर्थात टीकमगढ़ का इतिहास
टीकमगढ़ का पुराना नाम 'टेहरी' था जो अब 'पुरानी टेहरी' के नाम से पहचाना जाता है, जो ओरछा राज्य का हिस्सा हुआ करता था. इसकी स्थापना 16वीं शताब्दी में रुद्र प्रताप सिंह बुंदेला द्वारा की गई थी. इससे पहले ये इलाका मौर्य साम्राज्य, शुंग साम्राज्य और गुप्त साम्राज्य का भी हिस्सा रह चुका है. स्वतंत्रता के बाद यह विंध्य प्रदेश के आठ जिलों में से एक बन गया और फिर राज्यों के पुनर्गठन के बाद यह एक जिले के रूप में मध्य प्रदेश में शामिल हो गया.
प्राचीन धार्मिक पर्यटन स्थलों की भरमार
कई राजवंशों के विशाल साम्राज्यों का हिस्सा रह चुका यह जिला प्राचीन इमारतों और धार्मिक स्थलों से भरा हुआ है. जिले में हिंदू और जैन धर्म के कई पावन तीर्थ मौजूद हैं. जिनमें बड़े महादेव, बगाज माता मंदिर, अहार जी, पपौरा जी, अछरू माता, कुंडेश्वर, बंधा जी और मडखेरा जैसे कई तीर्थ स्थल शामिल हैं. इसके अलावा बल्देवगढ़ का आकर्षक किला और ओरछा के विभिन्न महल, मंदिर और भवन मुख्य पर्यटन स्थल हैं.
टीकमगढ़ एक नजर में