मध्य प्रदेश के इस जिले को ऊर्जा राजधानी के नाम से भी जाना जाता है. हम बात कर रहे हैं एमपी के सिंगरौली जिले की. यहां कोयले की मोटी परत और लाल काली मिट्टी पाई जाती है. यहां भारत की सभी प्रमुख ऊर्जा कंपनियों के प्रोजेक्ट चल रहे हैं. कोयले के खनन से लेकर बिजली उत्पादन तक का काम इस ज़िले में होता है. प्राकृतिक और खनिज संसाधनों से संपन्न ये जिला घने जंगलों और दुर्गम इलाकों से ढका हुआ था. खनिज संसाधनों और थर्मल पॉवर प्लांट्स की वजह से ही इसे 'ऊर्जांचल' के नाम से भी जाना जाता है.
मध्यप्रदेश की ऊर्जा राजधानी
सिंगरौली में विंध्याचल महाताप विद्युत गृह (Vindhyachal Super Thermal Power Station) है. ये NTPC का पॉवर प्लांट है.
कभी रीवा सियासत का हिस्सा था ये इलाका
सिंगरौली एमपी का 50वां जिला है. 24 मई, 2008 में नया जिला बनने से पहले ये सीधी जिले का हिस्सा हुआ करता था. इसकी सीमा यूपी के सोनभद्र जिले से मिलती है. ऐतिहासिक तौर पर सिंगरौली कभी रीवा रियासत का हिस्सा हुआ करती था, जो बघेलखंड क्षेत्र में आता था. कभी ये इलाका ऋषि श्रृंगी की तपोभूमि हुआ करता था, इसलिए प्राचीनकाल में सिंगरौली का नाम श्रंगावली हुआ करता था.
सिंगरौली और पौराणिक महत्व
सिंगरौली का जिला मुख्यालय बैढ़न में है. यहां से 32 किलोमीटर दूर माडा की प्राचीन गुफाए हैं. जिसका निर्माण 7-8 वीं शताब्दी के दौरान होना बताया जाता है.
इन गुफाओं में सिंगरौली क्षेत्र का गौरवशाली इतिहास देखने को मिलता है.
अनोखा है हनुमान मंदिर
सिंगरौली में ही औड़ी का हनुमान मंदिर है. ये भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां हनुमान जी पर नारियल की बलि दी जाती है. ये मंदिर एमपी-यूपी के बॉर्डर पर है. इसके अलावा यहां शक्तिनगर में स्थित मां ज्वालामुखी मंदिर सबसे पुराने मंदिरों में से एक है. इसके अलावा अगर आप सिंगरौली जा रहे हैं तो रकसगंडा जलप्रपात, झींगा झरिया पिकनिक स्पॉट, रिहंद बांध, विंध्यनगर लेक पार्क घूमने जा सकते हैं.
सिंगरौली की खास बातें
- आबादी- 1,178,273
- तहसील- सिंगरौली, देवसर और चित्रंगी
- विधानसभा क्षेत्र- 3
- लोकसभा क्षेत्र- सीधी
- जनपद पंचायत- 3
- पंचायत 316
- गांव 816
- ( देवसर, चितरंगी और सिंगरौली)