
बेगमों का शहर, ताल तलैयाओं का शहर, बाबुओं का शहर या नवाबों का शहर- एक भोपाल ही तो ऐसा शहर है जिसे जितने नाम से बुलाना चाहें बुला सकते हैं. और, हर नाम उसकी खूबसूरती की तस्वीर खींचता नजर आता है. इस शहर का इतिहास राजा भोज के जमाने से मिलता है. उसके बाद यहां बेगमों का राज हुआ और फिर अंग्रेजों की भी सरपरस्ती रही. बाद में भोपाल ने धीरे धीरे नए जमाने के साथ ताल से ताल मिलाना शुरू किया. महलों से सजे इस शहर में सरकारी दफ्तरों से लेकर सरकारी बंगले बनने शुरु हुए. अब एक बार फिर इस शहर की तस्वीर बदल रही है. सरकारी नौकरी करने वालों से भरा ये शहर, राजधानी भोपाल अब इत्मीनान भूल मेट्रो के पहिये लगाकर भागने के लिए तैयार है.
बड़ी झील है शहर की जीवन दायिनी, सबसे बड़ी मैन मेड झील का दावा
इसी झील से भोपाल की पहचान है. इस शहर की खूबसूरती में चार चांद लगाने वाली इस झील को बड़ा तालाब या भोज ताल भी कहते हैं. इस झील का इतिहास भी राजा भोज से जुड़ता है. कहते हैं खुद राजा भोज ने इस झील का निर्माण करवाया था.
महल, मंदिर, मस्जिद और मानव संग्रहालय
बेगमों के शहर में उस दौर के इतिहास को बयां करते ढेरों महल हैं. बेगमों की सल्तनत में यहां काला ताजमहल, कुदसिया मगल, गौहर महल जैसे कई महल तामीर हुए. महलों के अलावा भोपाल शहर में मंदिर भी बहुत हैं. आलीशान बिड़ला मंदिर से लेकर प्राचीन महादेव मंदिर की महिमा इस शहर ने देखी है. एशिया की सबसे बड़ी मस्ज़िदों में से एक ताजुल मस्जिद भी इसी शहर में है. भोपाल शहर में कई सारे संग्रहालय भी हैं. ट्राइबल म्यूजियम, मानव संग्रहालय और नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम भी इस शहर की शान बढ़ाते हैं.
मेट्रो का इंतजार
मिनी बस, ऑटो, टैंपो की सवारी कर चुका भोपाल अब मेट्रो की सवारी के लिए तैयार है. धीरे धीरे स्मार्ट सिटी में तब्दील हो रहा ये शहर मेट्रो पर भागने के लिए तैयार है. शहर में मेट्रो का काम जोरो पर हैं. उम्मीद है कि बहुत जल्द भोपाल की तस्वीर और तासीर दोनों बदली हुई नजर आएगी.
अन्य जानकारी
- क्षेत्र : 2,772 वर्ग कि.मी.
- जनसंख्या : 23,68,145
- तहसील : 3 ( बैरसिया, कोलार और हुजूर)
- गांव : 614
- ग्राम पंचायत - 202
- विधानसभा क्षेत्र -7
- ( बैरसिया, भोपाल उत्तर, दक्षिण पश्चिम, मध्य, हुजूर, नरेला और गोविंदपुरा)