
Bhopal Kachra Cafe: मध्य प्रदेश की राजधानी में एक अनोखा 'कचरा कैफे' खुला है और यहा सिर्फ राज्य का ही नहीं, बल्कि पूरे देश में इकलौता ऐसा कैफे है. आपको इस कचरा कैफे में बहुत ही टेस्टी फूड आइटम मिलते हैं. यह पहला ऐसा कैफे हैं, जहां पैसे नहीं, कबाड़ से खाने की चीजें मिलेंगी.
इस कचरा कैफे में पैसे की जगह रद्दी दीजिए और नाश्ता लीजिए. वेस्ट का सबसे टेस्टी इस्तेमाल अब सिर्फ राजधानी में नहीं, जल्द जबलपुर और स्वाद की नगरी इंदौर में भी ये मॉडल दिखेगा. भोपाल में यह कैफे बोट क्लब, 10 नंबर मार्केट या बिट्टन मार्केट में स्थित है.

कचरे की कीमत
- पेपर: ₹15/किलो
- बुक्स: ₹14/किलो
- कार्टन: ₹15/किलो
- ई-वेस्ट: ₹50/किलो
- एल्यूमिनियम: ₹120/किलो
कैफे पर जब आप कचरा या कबाड़ लेकर जाएंगे तो वहां तराजू से उसे तोला जाएगा. फिर उसी हिसाब से आपको कचरा करेंसी (KC) मिलेगी. एक कचरा करेंसी 1 रुपया के बराबर है. इस करेंसी से आप जो चाहे खा सकते हैं.
कैफे संचालक स्पर्श बलूचा ने कहा कि मुझे ये आइडिया बहुत अच्छा लगा, क्योंकि यहां आप घर के कचरे के बदले अच्छा खाना खा सकते हैं. यहां समाधान केंद्र पर कचरा देने के बाद तुलाई होगी और कमाए हुए पॉइंट्स को आप कहीं भी रिडीम कर सकते हैं.
श्रीकांत तिवारी कहते हैं कि वह दिन में मजदूरी करते हैं और फुर्सत में कबाड़ इकट्ठा कर लेते हैं. अब ये शौक नहीं, उनका स्वाद बन गया है. वो अपने बच्चों को अब "कचरे की कमाई" से पास्ता खिला रहे हैं. उन्होंने आगे कहा, मैं यहां गत्ता लेकर आया था जो मैंने यहां मैडम को दिया. उसके बदले उन्होंने मुझे पॉइंट्स दिए, अब मैं वो शाम को खर्च करूंगा. अपने बच्चों को फूड आइटम खिलाऊंगा.
इस पूरे ऑपरेशन की रीढ़ हैं स्व-सहायता समूह की महिलाएं
वे न सिर्फ़ कैफे चला रही हैं, बल्कि कचरे से कमाई और कमाई से सम्मान भी इकट्ठा कर रही हैं. कचरा ला रहे ज़रूरतमंदों को नाश्ता भी मिल रहा है, और जीने का स्वाद भी.
कचरे से करें नाश्ता
कैफे ऑनर पर्व सबलोक का कहना है कि बेसिकली यह दो कॉन्सेप्ट हैं, कचरा और कैफे. कैफे आम है, लेकिन कचरा अगर आप लाते हैं तो उससे एडिशनल बेनिफिट है. कचरे के बदले आपको पॉइंट्स मिलेंगे. 1 KC = 1 RS... आप उस केसी से नाश्ता कर सकते हैं. जो हमें कचरा मिलता है, उसे रिटेलर्स को बेचते हैं जो उसका निष्पादन करते हैं. अलग-अलग जगह जिन्होनें कैफे खोले हैं, वो हमारी टीम है. स्वसहायता समूह की ही लेडीज हैं. कैफे चलाने वाले पेट भर रहे हैं और हम उनसे कचरा ले रहे हैं.
नगर निगम का कहना है कि इस स्वच्छ-स्वाद-संविधान से लोग अब कचरा फैलाएंगे नहीं, संभालकर लाएंगे. क्योंकि अब कचरे से नाश्ता भी है और समाज सेवा भी.
नगर निगम ने क्या कहा
निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने कहा कि भोपाल में तीन अलग-अलग स्थानों पर कचरा कैफे विकसित किए गए हैं. इसका उद्देश्य है कि लोगों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता आए और बदले में आपको नाश्ता कर अन्य चीजें मिलें. निश्चित रूप से इस नए कॉन्सेप्ट से हम लोगों को प्रेरित करने का काम कर रहे हैं. जो लोग पैसा देकर नहीं खा सकते हैं उनके लिए भी यह प्रयास अच्छा है कि कम से कम वे कचरा इकट्ठा करके तो खा ही सकते हैं. तो कचरे को इधर-उधर न फेंकते हुए कैफे पर देकर बदले में नाश्ता करिए. नगर निगम क्वालिटी की मॉनिटरिंग कर रहा है तो ऐसे में जो भी ग्रुप्स जुड़े हुए हैं उन्हें स्वच्छ भोजन की शर्त पर ही रखा गया है.
इस कैफे में सिर्फ फास्ट फूड नहीं
आटा, चावल, नमक, पापड़, तेल, टेराकोटा सामान, कपड़े और सजावटी चीजें भी उपलब्ध हैं, जिसे स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने बनाया है. मतलब अब कचरे से रसोई भी चल सकती है.