छत्तीसगढ़ का बेमेतरा जिला मुख्य रूप से एक कृषि प्रधान जिला है. पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के कार्यकाल में जनवरी 2012 में इस जिले का गठन हुआ था, इसके पहले बेमेतरा दुर्ग जिला का एक हिस्सा था. जिले में बड़ी आबादी कृषि पर आधारित है और ग्रामीण अंचलों में रहती है. महज 10 प्रतिशत आबादी ही शहरी इलाकों में रहती है. कृषि से जुड़ी शिक्षा के लिए जिले में एक कृषि महाविद्यालय भी है. बेमेतरा जिले का इतिहास सम्राट अशोक के शासन काल से जुड़ा है. बेमेतरा समेत पूरा दुर्ग जिला सम्राट अशोक के साम्राज्य में शामिल था.
सुनहरा है इतिहास
बेमेतरा और पूरा दुर्ग जिला पहले सम्राट अशोक के साम्राज्य में शामिल था. सन् 1742 ईं. में यह क्षेत्र मराठों के और उसके बाद 1853 से भोंसले राजा के अधीन रहा. इतिहास के अनुसार प्राचीन काल में यहां व्योम तारा नाम की रानी का राज्य था, उन्हीं के नाम पर इस क्षेत्र का नाम बेमेतर पड़ा था. राजाओं के बाद यहां जमींदारी प्रथा शुरू हुई. बेमेतरा के अंतिम जमींदार जरब सिंह वर्मा थे.
कृषि पर आधारित है बेमेतरा की अर्थव्यवस्था
बेमेतरा के लोगों की जीविका का प्रमुख साधन खेती-किसानी है. यहां लगभग 80% लोग या तो अपनी जमीन पर खेती करते हैं या खेतों में काम करने वाले मजदूर हैं. दलहन-तिलहन के अलावा यहां मुख्य रूप से धान की खेती होती है. धान के साथ ही मक्का, ज्वार, कोदो-कुटकी जैसे फसलें यहां उगाई जाती हैं. शिवनाथ नदी इस जिले से होकर गुजरती है, जो यहां की मुख्य नदी है, सिंचाई के लिए इसके पानी का इस्तेमाल होता है.
बेमेतरा की कुलदेवी हैं भद्रकाली
बेमेतरा के बाजार पारा में ऐतिहासिक भद्रकाली मंदिर मौजूद है, इन्हें बेमेतरा की कुलदेवी कहते हैं. ये भव्य मंदिर बेमेतरा की पहचान है और यहां के लोगों की आस्था से जुड़ा है. मान्यता है कि मां भद्रकाली एक भक्त के सपने में आई थीं, जिसके बाद इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था.
बेमेतरा जिला एक नज़र में-
- एरिया: 2854.81 स्क. कि.मी
- जनसंख्या: 795,759
- साक्षरता दर: 70.58%
- ब्लॉक: 4
- विधानसभा क्षेत्र- 3
- गाँव: 702
- नगर पालिका: 8
- पुलिस स्टेशन: 8
- भाषा: 2