खरगोन: जिले के सनावद में नगर की चारों दिशाओं में कृषि भूमि को खत्म कर आवासीय कॉलोनियों ने आकार ले लिया है और अनेकों कॉलोनियां एक दशक पूर्व ही सघन बस्ती वाला क्षेत्र बन चुकी हैं. कृषि भूमि को जब रहवासी क्षेत्र में परिवर्तित किया जाता है तो ग्राम नगर निवेश विभाग (टीएनसी) से कॉलोनी के लिए नक्शा स्वीकृत किया जाता है, जिसमें शासन के नियमानुसार कॉलोनी के कुल भूखंडों का 15% भूखंड आरक्षित करना होता हैं. यह उन लोगों के लिए आरक्षित होते हैं, जो कम आय वाले ऐसे पात्र व्यक्ति होते हैं, जिनके पास न तो कोई जमीन है न ही कोई भूखंड है. (LIG& EWS) आरक्षित भूखंड कॉलोनी नाइजर को उक्त भूखंडों के लिए प्रचार-प्रसार करने के बाद जितने आवेदन आते हैं वह सभी कलेक्टर के पास भेजे जाते हैं.
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वहीं, से पात्र आवेदकों की सूची जारी होती है. सूची धारी क्रेता को गाइडलाइन से 10% कम राशि में उक्त भूखंड विक्रय किए जाते हैं. लेकिन यह प्रक्रिया सनावद की कॉलोनियों में नहीं अपनाई जाती. क्योंकि कॉलोनाइजर सामान्य भूखंडों के जो क्षेत्रफल निश्चित किया है. आरक्षित भूखंडों के क्षेत्रफल उससे कम होते हैं. उक्त आरक्षित भूखंडों के लिए कलेक्टर द्वारा निर्देशित आवेदक को ही रजिस्ट्री करनी होती है और यह भूखंड 5 साल तक अहस्तांतरित होते हैं.
नगर की विगत 5 -7 सालों में विकसित हुई बालाजी हिल्स, देव विला, नर्मदा पुरम, शुभ लाभ रेसीडेसी, पदमावती ग्रीन श्रृद्धा सबुरी, केशव कुंज, मां रेवा एरन, कॉलोनियों के कॉलोनाइजरों ने शासन के नियमानुसार कुल भूखंडों में से 15% आरक्षित भूखंड रक्षित हैं. लेकिन इन भूखंडों को नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए ऐसे लोगों को बेच दिए गए हैं, जिनके पास पहले से ही जमीन मकान और खेत मौजूद हैं. जो शासन के नियमानुसार पात्र नहीं हैं, आरक्षित को भी भूखंडों के लिए जो आवेदन कलेक्टर के पास भेजे गए हैं, उन आवेदनों की सूची का भी कॉलोनाइजर ने इंतजार नहीं किया और अपने धनवान रिश्तेदारों, मित्रों को विक्रय कर दिए. इसी कारण कॉलोनाइजर अब आरक्षित भूखंडों के बारे में चर्चा करना नहीं चाहते. वहीं, उप पंजीयक कार्यालय में भी आरक्षित भूखंडों की रजिस्ट्री एक से अधिक बार हो चुकी है. वहां पर भी उक्त भू-माफियाओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई.
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उप पंजीयक अनुराधा राठोड़ के मुताबिक नगर की अधिकांश कॉलोनियों के आरक्षित भूखंडों की सूची कार्यालय में उपलब्ध नहीं है. जो पात्र आवेदक है, वो इस इंतजार में है कि कलेक्टर द्वारा हमें भी इन कॉलोनियों में सस्ते भूखंड मिलेंगे, जिसके हम पात्र हैं. लेकिन कॉलोनाइजरों ने उक्त भूखंडों के नियमों को ताक पर रखकर नियमो की धज्जियां उड़ाते हुए बेच दिए.
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