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This Article is From Jul 17, 2023

आदिवासियों में शादी की अनूठी परंपराएं, दहेज है बड़ा अपराध

छत्तीसगढ़ एक आदिवासी बहुल राज्य है. यहां आदिवासी समाज सदियों से न सिर्फ रहता आया है बल्कि उसने अपनी कई अनूठी परंपराएं सहेज कर भी रखी हैं. ऐसी ही परंपराओं में शादी-ब्याह की अनोखी परंपरा भी शामिल है.

आदिवासियों में शादी की अनूठी परंपराएं, दहेज है बड़ा अपराध

छत्तीसगढ़ एक आदिवासी बहुल राज्य है. यहां आदिवासी समाज सदियों से न सिर्फ रहता आया है बल्कि उसने अपनी कई अनूठी परंपराएं सहेज कर भी रखी हैं. ऐसी ही परंपराओं में शादी-ब्याह की अनोखी परंपरा भी शामिल है. मसलन-बस्तर इलाके में एक ऐसी परंपरा है जिसमें आदिवासी युवक-युवतियों को अपने जीवन साथी को चुनने की पूरी आजादी होती है. दोनों की सहमति के बाद युवक-युवतियों का परिवार धूमधाम से उनकी शादी कराता है.

उसी तरह गोड़ जनजाति में भगेली-विवाह प्रथा प्रचलित है. जिसमें कन्या अपने प्रेमी के घर भाग कर आ जाती हैं और एक निश्चित रूझान के तहत यह विवाह संपन्न होता है.

गोंड़ जनजाति में विवाह के अवसर पर जब लड़की वाले बारात लेकर लड़के वाले के घर आते हैं तब ऐसे विवाह को पठौनी-विवाह कहते है. 
उसी तरह से देखें तो बस्तर के मुरिया, माड़िया और गोंड जनजाति द्वारा घोटूल परंपरा को सदियों से निभाया जा रहा है. घोटलू परंपरा एक प्रकार से बैचलर्स डोरमीटरी है. यहां यहां सभी आदिवासी लड़के लड़कियां रात में बसेरा करते हैं. यह प्रथा लिंगो पेन अर्थात लिंगो देव ने शुरू की थी लिंगो देव को गोंड जनजाति का देवता भी माना जाता है..

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छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज का रहन-सहन बेहद सादा है.

दूसरी तरफ धुरवा समाज पानी को साक्षी मान कर शादी संपन्न कराते हैं. इस आदिवासी समाज के लिए जल एक ऐसे पवित्र देवता के समान है जो जीवन देने का  काम करते हैं. सबसे बड़ी बात की शादी में जिस पानी का इस्तेमाल किया जाता है, वो एक खास पानी होता है. ये पानी बस्तर में ही बहने वाली नदी कांकेरी का होता है. क्योंकि कांकेरी नदी को धुरवा समाज में बहुत पवित्र माना जाता है और इस समाज में कोई भी शुभ कार्य इस नदी के पानी के बिना पूरा नहीं माना जाता है.

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धुरवा समाज के लोग पानी को साक्षी मानकर शादी करते हैं. पानी को सबसे पवित्र माना जाता है.

अहम ये है कि पूरे आदिवासी समुदाय की शादियों में दहेज के नाम पर कुछ भी लिया या फिर दिया नहीं जाता है. अगर कोई इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश करता है तो इस समाज के बड़े लोग इसके खिलाफ खड़े हो जाते हैं और ऐसा करने वाले लोगों पर जुर्माना लगा दिया जाता है. आप ये भी कह सकते हैं कि आदिवासी समाज बेहद खुला है और वो अपने समाज के युवक-युवतियों को अपना जीवनसाथी चुनने की आजादी देता है. आज के कथित तौर पर आधुनिक समाज इनसे काफी कुछ सीख सकता है.  

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Chhatisgargh News, Bastar, Adiwasi Tradition, छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज
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