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MP की दिव्यांग दया ने पेश की मिसाल, 7000 रुपये से ऐसे बदली अपनी किस्मत

MP NEWS:  मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले की एक महिला के संघर्ष की कहानी इन दिनों चर्चा में है. पार्टी ब्लॉक के ग्राम पोखलिया की दया को भगवान ने दो पैर नहीं दिए लेकिन उनको हिम्मत बड़ी दी. आदिवासी अंचल के गरीब परिवार में पैदा हुई दया ने महज 50 हजार रुपये के अनुदान से अपने काम की शुरुआत की थी लेकिन आज वह 30 हजार से 45 हजार कमा लेती है. 

MP की दिव्यांग दया ने पेश की मिसाल, 7000 रुपये से ऐसे बदली अपनी किस्मत

MP NEWS:  मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले की एक महिला के संघर्ष की कहानी इन दिनों चर्चा में है. पार्टी ब्लॉक के ग्राम पोखलिया की दया को भगवान ने दो पैर नहीं दिए लेकिन उनको हिम्मत बड़ी दी. आदिवासी अंचल के गरीब परिवार में पैदा हुई दया ने अपने संघर्ष भरे जीवन से कभी हार नहीं मानी. वह घर का काम भी करती है, लिखा-पढ़ी भी करती है और किराना दुकान भी चलाती है. उन्होंने महज 7000 रुपये के अनुदान से अपने काम की शुरुआत की थी लेकिन आज वह 30 हजार से 45 हजार कमा लेती है. 

सही मायनों में दया ने शारीरिक दिव्यांगता को पछाड़ मानसिक रूप से मजबूत होकर हौसलों की उड़ान भरी है. दया दोनों पैरों से दिव्यांग है, खड़े होकर चलने के लायक भी नहीं है. इसके बाद भी उन्होंने अपने मजबूत इरादों के बलबूते परिवार पर बोझ न बनते हुए स्वयं को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए अपने पैरों पर खड़ा होने की ठानी. दया सिर्फ आठवीं तक पढ़ी है. गरीबी के चलते उन्हें अपनी आगे की पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी. लेकिन खुद को मानसिक और आर्थिक रूप से मजबूत करने का इरादा लिए दया कुछ करना चाहती थी. इस मुहिम में दया को साथ मिला सरकारी योजना का. आजीविका मिशन के तहत ग्राम में समूह बनाया गया. इस दौरान सन 2013 में दया स्व-सहायता समूह से जुड़ीं. दया का एक ही मकसद था आर्थिक रूप से मजबूत होना और अपने व्यवसाय को और बेहतर करना. 

ऐसे लिखी अपनी किस्मत

दया ने अपने सपने को पूरा करने के लिए एक लाख रुपये की सीआईएफ और 50 हजार की सीसीएल राशि समूह से लोन लेकर कटलरी की दुकान को आगे बढ़ाया. साथ ही एक सिलाई मशीन खुद की कमाई से खरीद कर सिलाई का काम भी शुरू कर दिया. इसके बाद उनको एक एनजीओ का सहयोग मिला, जिसने दया को पांच मशीनें दीं, जिससे अब गांव की महिलाएं एवं लड़कियों को सिलाई सिखाई जा रही है. दोनों व्यवसाय में उनको अच्छी बचत होने लगी और वह रोजाना 600 से 700 रुपये की कमाई करने लगी. 

मुद्रा लोन लेकर किया ये काम

दुकान से अच्छा मुनाफा मिलने लगा तो दया ने मुद्रा लोन योजना का लाभ भी लिया. उन्होंने एक लाख रुपये का बैंक लोन लिया और किराना दुकान, फ्रिज लेकर आइसक्रीम कोल्ड ड्रिंक बेचने का भी काम शुरू कर दिया. फिलहाल दया को रोजाना 1200 से ₹1500 की आमदनी हो रही है. परिवार पर आश्रित ना रहते हुए दया अब लगभग ₹30000 महीने कमा रही है. स्वयं और अपने परिवार को मजबूत स्थिति में लेकर आई दया के इस जज्बे को देखकर परिवार को गर्व तो हो ही रहा है, वहीं उनसे गांव के लोग भी प्रेरित हो रहे हैं. 

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