Women Empowerment: भारत में महिलाएं आज हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं. जिन पेशों में कभी पुरुषों का प्रभुत्व माना जाता था, वहां भी अब महिलाएं नेतृत्व संभाल रही हैं. ऐसा ही प्रेरक उदाहरण केरल के अदाणी विझिंजम पोर्ट पर देखने को मिल रहा है, जहां नौ महिला ऑपरेटर अत्याधुनिक स्वचालित सीआरएमजी क्रेनों का संचालन कर रही हैं. यह देश में पहली बार है जब महिलाएं इतनी जटिल और अत्याधुनिक मशीनरी को संभाल रही हैं. कुल 20 यार्ड क्रेन ऑपरेटरों में से नौ महिलाएं हैं—और उनमें से सात स्थानीय मछुआरा समुदाय से आती हैं, जो कभी इस परियोजना के खिलाफ बड़े स्तर पर प्रदर्शन कर चुका था. लेकिन अब यही समुदाय बदलते समय और अवसरों की नई राह पर आगे बढ़ रहा है.
महिला ऑपरेटरों का शानदार प्रदर्शन
सीआरएमजी क्रेनों का उपयोग भारी-भरकम कंटेनरों को उठाने, स्थानांतरित करने और व्यवस्थित रूप से रखने के लिए किया जाता है. यह कार्य बेहद सटीकता और कौशल मांगता है—और महिला ऑपरेटर इसे बखूबी अंजाम दे रही हैं.

Women Empowerment: अदाणी पोर्ट पर क्रेन का काम करती महिलाएं
प्रिनु, 30 वर्षीय बीएससी केमिस्ट्री ग्रेजुएट, जो पहले शिक्षक बनने की तैयारी कर रही थीं, आज क्रेन ऑपरेटर के रूप में स्वतंत्र रूप से काम कर रही हैं. वे कहती हैं कि "पहले सभी ने कहा कि नौकरी पक्की है, इसलिए आवेदन किया और चुनी गई. एक महीने की ट्रेनिंग के बाद अब मैं खुद से क्रेन चला रही हूं. यह काम चुनौतीपूर्ण जरूर है, लेकिन शिक्षण जितना थकाने वाला नहीं."
इसी तरह एल कार्तिका, 27, जो पहले कोच्चि में क्रेन चला चुकी थीं, वे कहती हैं कि "यहां का काम पूरी तरह स्वचालित है. कभी-कभी खराबी आने पर हमें जॉयस्टिक से इंटरफेयर करना पड़ता है. लेकिन मशीनों पर हमारी पकड़ मजबूत है." कर्तिका न केवल एक अनुभवी ऑपरेटर हैं बल्कि नई ऑपरेटरों को प्रशिक्षण भी दे रही हैं.
स्थानीय समुदाय को रोज़गार और सम्मान
विझिंजम पोर्ट पर लगभग 35% कर्मचारी स्थानीय गांव से हैं, और यह परियोजना युवाओं के लिए रोजगार और विकास का प्रतीक बन चुकी है. कभी तीव्र विरोध का केंद्र रहा यह क्षेत्र अब गर्व और अवसर की नई पहचान बना है.
राहुल नाम के एक युवा मछुआरे ने कहा कि "अपने गांव में अच्छी नौकरी किसे नहीं चाहिए?"
अदाणी समूह का महिला सशक्तिकरण मॉडल
अदाणी पोर्ट्स एंड एसईजेड लिमिटेड के तहत विकसित यह गहरे समुद्र का बंदरगाह लगभग ₹8,867 करोड़ की लागत से बना है. दिसंबर में सफल ट्रायल के बाद इसे व्यावसायिक स्वीकृति मिली. आने वाले वर्षों में इसके पूर्ण रूप से चालू होने से हजारों नए रोजगार पैदा होने की उम्मीद है.
अदाणी समूह द्वारा शुरू किया गया यह रोजगार मॉडल भारत में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक सशक्त कदम है, जिसने न केवल सामाजिक सोच बदली है बल्कि आर्थिक आत्मनिर्भरता की नई राह खोली है. यह साबित करता है कि “जहाँ अवसर मिलते हैं, वहाँ महिलाएं चमत्कार करती हैं.”
विझिंजम की महिलाएं—साहस, अवसर और परिवर्तन की कहानी
विझिंजम बंदरगाह केवल कारोबारी उपलब्धि नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की मिसाल बन गया है. जिन हाथों ने पहले संघर्ष की आवाज उठाई, आज वही हाथ प्रगति की मशीनरी संभाल रहे हैं. यह उदाहरण दिखाता है कि जब अवसर, प्रशिक्षण और विश्वास दिया जाए, तो महिलाएं किसी भी क्षेत्र में इतिहास लिख सकती हैं.
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