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This Article is From Dec 17, 2023

सुरक्षा परिषद एक ऐसा 'पुराना' क्लब है जो बाकी लोगों को शामिल नहीं करना चाहता : एस जयशंकर

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सीट कब मिलेगी, इस सवाल का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा, 'एक तरह से यह मानवीय विफलता है, लेकिन मुझे लगता है कि आज यह दुनिया को नुकसान पहुंचा रहा है क्योंकि विश्व के सामने प्रमुख मुद्दे हैं और संयुक्त राष्ट्र कम प्रभावी होता जा रहा है.'

सुरक्षा परिषद एक ऐसा 'पुराना' क्लब है जो बाकी लोगों को शामिल नहीं करना चाहता : एस जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सुरक्षा परिषद को बताया 'पुराना क्लब'

S Jaishankar on UNSC: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्यता नहीं दिए जाने पर नाखुशी व्यक्त करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को कहा कि सुरक्षा परिषद एक ऐसे 'पुराने' समूह की तरह है, जिसमें कुछ ऐसे सदस्य हैं जो अपनी 'पकड़' ढीली नहीं होने देना चाहते और वे नहीं चाहते कि उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए जाएं. उन्होंने कहा कि दुनिया के तमाम देश संयुक्त राष्ट्र में सुधार चाहते हैं क्योंकि अगर 'आप 'ओरिजिनल प्रोमोटर्स ऑफ बिजनेस' को बदलना नहीं चाहते हैं तो यह उचित नहीं है.'

जयशंकर ने रोटरी इंस्टीट्यूट की ओर से 'परिवर्तन का एक दशक' विषय पर आयोजित एक व्याख्यान के बाद परिचर्चा के दौरान कहा, 'संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद एक पुराने क्लब की तरह है, जहां ऐसे सदस्यों का एक समूह है जो अपनी पकड़ ढीली नहीं करना चाहता है. वे समूह पर नियंत्रण रखना चाहते हैं और अधिक सदस्यों को शामिल करने के इच्छुक नहीं हैं.'

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'संयुक्त राष्ट्र कम प्रभावी होता जा रहा'

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सीट कब मिलेगी, इस सवाल का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा, 'एक तरह से यह मानवीय विफलता है, लेकिन मुझे लगता है कि आज यह दुनिया को नुकसान पहुंचा रहा है क्योंकि विश्व के सामने प्रमुख मुद्दे हैं और संयुक्त राष्ट्र कम प्रभावी होता जा रहा है.' वैश्विक भावना का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा कि दुनिया के कई देश संयुक्त राष्ट्र में सुधार के इच्छुक हैं.

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'आप बदलाव नहीं चाहते, यह ठीक नहीं है'

जयशंकर ने कहा, 'अगर आप दुनिया के 200 देशों से पूछें कि क्या आप सुधार चाहते हैं या आप सुधार नहीं चाहते हैं? वे कहेंगे हां, हम सुधार चाहते हैं क्योंकि इसका (संरा) गठन उस समय हुआ था जब संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता लगभग 50 देशों की थी. कल्पना कीजिए एक दुनिया जो चार गुना बढ़ गई है, फिर भी आप बदलाव नहीं चाहते हैं. यह उचित नहीं है.'

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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