पीएम नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने NDTV को दिए Exclusive Interview में कहा कि ब्यूरोक्रेट्स की जो दुनिया है, उनको समझने का प्रयास करता हूं. इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े लोगों के साथ वर्कशॉप करता हूं. किसानों के साथ वर्कशॉप करता हूं, उससे नए आइडिया आते हैं. बजट से पहले भी करता हूं और बजट के बाद भी करता हूं.
एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया ने पीएम मोदी से सवाल करते हुए पूछा, 'बहुत सारे नीति निर्माता आपको लेकर विस्मित रहते हैं कि ये जो आप पॉलिसी बनाते हैं, डिजाइन बनाते हैं, कैसे इन चीजों को तैयार करते हैं? मुझे ऐसा लगता है कि आप 'रेयर टॉट लीडर' हैं और उसमें जो सबसे बड़ी भूमिका रही है, वो 50 से 55 साल तक की आपकी यात्रा... इस दौरान आपने फिजिकल यात्राएं बहुत की हैं, आप बहुत ज्यादा घूमें हैं, आपको ट्रैवल ने इतना शेप किया है.'
इस सवाल का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'आपने सही आकलन किया है, ये मेरा सौभाग्य रहा है कि मैं परिव्राजक रहा हूं और इसलिए शायद हिंदुस्तान के 90 प्रतिशत से ज्यादा डिस्ट्रिक ऐसे होंगे, जहां मैंने रात्रि मुकाम किया है. ये मेरे राजनीतिक जीवन से पहले की बात है. दूसरा बिना रिजर्वेशन के ट्रेन में घूमा हूं. जनरल बोगी में खड़े-खड़े यात्राएं की हैं. बसों में सफर किया है, पैदल घूमा हूं, तो जमीनी दुनिया है, उसी से मैं जुड़ा भी हूं और उसी से बनकर निकला भी हूं. वो अनुभव बहुत बड़ा होता है, बहुत काम आता है.
पीएम ने आगे कहा, 'जीवन भर मैं अपने आपको विद्यार्थी मानता हूं. इसलिए मैं एकेडमिक वर्ल्ड से सीखने का प्रयास करता हूं कि वो क्या सोचते हैं. मैं जो ब्यूरोक्रेट्स की जो दुनिया है, उनको समझने का प्रयास करता हूं. मैं कंसर्न लोग, जैसे आजकल बजट बनाता हूं, तो इसके बाद इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े लोगों के साथ वर्कशॉप करता हूं. किसानों के साथ वर्कशॉप करता हूं, उससे नए आइडिया आते हैं. बजट से पहले भी करता हूं और बजट के बाद भी करता हूं. इस बजट में कुछ बातों का उपयोग नहीं कर पाता हूं, तो अलग बजट में उसका उपयोग करता हूं.'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीटीवी के एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया के सवाल को जवाब देते हुए कहा, 'मैं बहुत खुले मन का इंसान हूं. दुनिया भर की चीजें, विदेशों से भी सिखता हूं. आपको छोटा-सा उदाहरण बताता हूं.
हर चीजों का मैं स्टडी करता हूं- पीएम बोले
पीएम मोदी ने कहा, 'तब मैंने उसको स्टडी किया, बस स्टैंड आया, तो उसके लिए मोड़ था. मैंने उसकी मोबाइल फोन पर वहां फोटो ली. उस समय भी मैं मोबाइल फोन कैमरे वाला रखता था, क्योंकि मेरा शौक टेक्नोलॉजी में रहा है. इसके बाद जैसे ही मैं अहदाबाद रात में लगभग 10 बजे पहुंचा, मैंने अपने सिटी कमिश्नर को फोन किया. मैंने फोन पर पूछा कि जो हमारे फुटपाथ बनाने का काम चल रहा है, वो पूरा हो गया क्या? तो वह बोले कि थोड़ी-बहुत बन गई है. मैंने उनसे कहा कि ऐसा करो कि सुबह आ जाना, मुझे तुम्हें कुछ बताना है. मैंने उसके प्रिंट आउट निकाल कर रखे थे, वो सुबह आए तो मैंने उन्हें बताया कि फुटपाथ पर हम ये काम करेंगे, ताकि प्रज्ञाचक्षु लोगों को सहूलियत हो. इस तरह से कोई भी चीज सीखने का मन मेरा हमेशा रहता है.'
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— NDTV India (@ndtvindia) May 19, 2024
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'हर गरीब के घर का जलता रहे चूल्हा, यही मेरी पहली प्राथमिकता रही'- पीएम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए पॉलिसी को लेकर बात करते हुए कहा, 'पॉलिसी जब मैं बनाता हूं, तब इन सारी चीजों की प्रोसेसिंग मेरे दिमाग में शुरू हो जाती है. मुझे याद है, जब कोरोना आया, तब ये बड़े-बड़े नोबेल प्राइज विनर मुझ पर आकर दबाव डालते थे कि नोटिस छापो, नोट बांटो. ये जो आज अमीर लोगों को गालियां देते हैं, वो उस समय मुझे कहते थे कि अमीरों को पैसे दो वर्ना इकोनॉमी खत्म हो जाएगी, रोजगार खत्म हो जाएगा. मैंने बिल्कुल वो नहीं किया. मैंने गरीब भूखा नहीं रहना चाहिए, गरीब के घर का चूल्हा जलता रहना चाहिए, मेरी पहली प्राथमिकता रही.'=
क्रेडिट गारंटी की दिशा में दिया बल
प्रधानमंत्री मोदी आगे कहते हैं, 'दूसरे जो छोटे-छोटे लोग हैं, उनको मैं ताकत दूं... वो चलने चाहिए. इसलिए मैंने छोटे लोगों को क्रेडिट गारंटी की दिशा में बल दिया, उसका परिणाम सामने आया. हमारी जो स्मॉल मीडियम स्केल की इंडस्ट्री थी, वो चलती रही. मुझे पता था कि अगर मैं तीन महीने इसमें निकाल दूंगा, तो मैं मुश्किल दौर से बाहर आ जाऊंगा. हुआ भी यही कि हम बहुत तेजी से बाहर निकल आए और आज दुनिया लड़खड़ा रही है और हम बहुत तेजी और स्थिरता से चले हैं. इसलिए जब नीतियां बनती हैं, तो आप एकेडमिक तराजू से उसे नहीं तोल सकते हैं. सिर्फ एक्सपीरियंस के दायरे में भी नहीं देख सकते हैं. साथ ही मेरी नीतियों में एक विषय मुझे बहुत मदद करता है, मैं जो भी करूंगा अपने देश के लिए करूंगा.'
पीएम ने कहा, 'कंफ्यूज नहीं होना है. मेरा मानना है कि वो इंसान नीतियां सही बना सकता है, जिसका कोई नीति स्वार्थ नहीं होता है. क्या लेना है, मेरी पार्टी का भला होगा या नहीं, मोदी का भला होगा कि नहीं होगा, मोदी के किसी रिश्तेदार का भला होगा कि नहीं होगा, वो सब मेरे जीवन में है ही नहीं. स्ट्रेट वे मेरी पॉलिसी बनती है और उसका मुझे बहुत फायदा होता है.'
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