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क्या है ‘वन नेशन वन इलेक्शन’, कैसे तैयार हुआ खाका ? कांग्रेस को क्यों है आपत्ति, लोकसभा में बिल पेश

One Nation One Election Bills: एक राष्ट्र में एक चुनाव की सिफारिश 1983 में भारतीय चुनाव आयोग ने भी की थी, लेकिन तब इंदिरा गांधी ने इसे अस्वीकार कर दिया था.

क्या है ‘वन नेशन वन इलेक्शन’, कैसे तैयार हुआ खाका ? कांग्रेस को क्यों है आपत्ति, लोकसभा में बिल पेश

One Nation One Election Bills: संसद के शीतकालीन सत्र में मंगलवार, 17 दिसंबर 2024 को लोकसभा में केंद्र सरकार ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' (One Nation One Election Bills) विधेयक पेश कर दिया. इस विधेयक को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने पेश किया. इससे पहले 12 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस बिल को मंजूरी दी गई थी. कैबिनेट ने दो ड्रॉफ्ट कानूनों को मंजूरी दी थी, इसमें से एक संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से संबंधित है, जबकि दूसरा विधेयक विधानसभाओं वाले तीन केंद्र शासित प्रदेशों के एक साथ चुनाव कराने के संबंध में हैं.

क्या है ‘वन नेशन, वन इलेक्शन'?

‘वन नेशन, वन इलेक्शन' का मतलब है पूरे देश में एक साथ चुनाव. हमारे देश में अभी अलग-अलग राज्यों के विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव, नगरपालिकाओं और पंचायत चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं. बीजेपी की सरकार चाहती है कि देश में लोकसभा, विधानसभा, नगरपालिकाओं और पंचायत चुनाव एक साथ ही हों.

वन नेशन, वन इलेक्शन' की रिपोर्ट किसने दी? 

'वन नेशन, वन इलेक्शन' के मसौदे पर रिपोर्ट तैयार करने के मकसद से 2 सितंबर, 2023 को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था. इस कमेटी ने 14 मार्च, 2024 को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी. रिपोर्ट में कहा गया था, 'एक साथ चुनाव कराने से चुनावी प्रक्रिया में बदलाव आ सकता है.'

रिपोर्ट में ये भी कहा गया था कि 47 राजनीतिक दलों ने अपने विचार समिति के साथ साझा किए थे जिनमें से 32 राजनीतिक दल 'वन नेशन वन इलेक्शन' के समर्थन में थे. 

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, इस समिति ने सभी राजनीतिक पार्टियों, जजों, अलग-अलग क्षेत्रों से आने वाले बड़ी संख्या में विशेषज्ञों से विचार-विमर्श कर ये रिपोर्ट तैयार किए गए हैं.

वन नेशन, वन इलेक्शन' कमेटी में कौन शामिल?

वन नेशन, वन इलेक्शन के लिए बनी कमेटी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा के पूर्व महासचिव डॉ. सुभाष कश्यप, कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और चीफ विजिलेंस कमिश्नर संजय कोठारी शामिल थे. इसके अलावा विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर कानून राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और डॉ. नितेन चंद्रा समिति शामिल थे.

कमेटी ने कैसे तैयार की 'वन नेशन, वन इलेक्शन' की रिपोर्ट?

कमेटी ने 191 दिनों में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के लिए रिपोर्ट तैयार की थी. हालांकि रिपोर्ट तैयार करने से पहले 7 देशों की चुनाव प्रक्रिया की स्टडी की, जहां 'वन नेशन, वन इलेक्शन' प्रक्रिया लागू है. इन 7 देशों में स्वीडन, जापान, जर्मनी, बेल्जियम, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया और फिलीपींस शामिल हैं.

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वन नेशन वन इलेक्शन से टूटेगा चुनावों का चक्रव्यूह

एक राष्ट्र में एक चुनाव की सिफारिश 1983 में भारतीय चुनाव आयोग ने भी की थी, लेकिन तब इंदिरा गांधी ने इसे अस्वीकार कर दिया था. दरअसल, आजादी के बाद लोकसभा चुनाव के साथ कई राज्यों के चुनाव हुए थे. इसके बाद 1957, 1962 और 1967 में भी लोकसभा और अधिकांश राज्यों के विधानसभा चुनाव एकसाथ हुए थे. हालांकि 1955 में आंध्र प्रदेश, 1960-65 में केरल और 1961 में ओडिशा में अलग से चुनाव हुए थे.

'वन नेशन वन इलेक्शन' को लेकर कांग्रेस क्यों कर रही विरोध?

कांग्रेस पार्टी सारे देश में साथ चुनाव करवाने को सही नहीं मानती हैं. पार्टी ने उच्च स्तरीय कमेटी के समक्ष रखे अपने विचारों में कहा था, 'एक साथ चुनाव करवाने से संविधान के मूलभूत ढांचे में बड़ा परिवर्तन होगा और ये संघीय ढांचे की गारंटी के विरुद्ध और संसदीय लोकतंत्र के खिलाफ होगा.'

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