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पेजर में हो सकता है ब्लास्ट तो EVM हैक क्यों नहीं हो सकता ? जानिए क्या जवाब आया चुनाव आयोग का

चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र, झाऱखंड और  देशभर में उपचुनावों के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है. इसी दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने EVM पर सवाल उठाने वालों को भी विस्तार से जवाब दिया. उन्होंने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया कि EVM से छेड़छाड़ की जा सकती है.

पेजर में हो सकता है ब्लास्ट तो EVM हैक क्यों नहीं हो सकता ? जानिए क्या जवाब आया चुनाव आयोग का

Election Dates 2024: चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र, झाऱखंड और  देशभर में उपचुनावों के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है. इसी दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने EVM पर सवाल उठाने वालों को भी विस्तार से जवाब दिया. उन्होंने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया कि EVM से छेड़छाड़ की जा सकती है. राजीव कुमार ने कहा कि कुछ लोग तो यहां तक कह देते हैं कि जब पेजर को उड़ाया जा सकता है, तो EVM हैक कैसे नहीं हो सकते हैं?. उन्होंने तंज कसते हुए कहा- अरे भाई पेजर कनेक्टड होता है, ईवीएम कनेक्टड नहीं होती है. इसके बाद उन्होंने विस्तार से बताया कि ये पूरी प्रक्रिया ही ऐसी है कि कहीं भी छेड़छाड़ की गुंजाइश ही नहीं है. 

हर प्रक्रिया में शामिल होंते हैं सियासी दलों के एजेंट

वोटिंग के पहले और वोटिंग के बाद ईवीएम के बारे में चुनाव आयोग (Election Commission) ने डीटेल में जानकारी दी. मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि ईवीएम की छह महीने पहले एफएलसी होती है. इसमें उसकी पहले चेकिंग होती है. ईवीएम को स्टोरेज में रखने, उसकी कमिशनिंग, बूथ में ले जाने से लेकर वोटिंग के बाद स्ट्रॉन्ग रूम तक ले जाने तक की पूरी प्रक्रिया में हर बार राजनीतिक दल के एजेंट मौजूद रहते हैं. 

तीन लेयर सिक्यॉरिटी में होता है EVM 

मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि वोटिंग से पांच या छह दिन पहले भी ईवीएम की कमिशनिंग होती है. उस दौरान उसमें बैटरी के साथ-साथ सिंबल भी डाले जाते हैं.इसके बाद ईवीएम को सील किया जाता है. यहां तक कि ईवीएम की बैटरी पर भी उम्मीदवार के एजेंट के दस्तखत होते हैं.कमिशनिंग के बाद ईवीएम को स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है. उस पर डबल लॉक लगता है. इसके बाद उसे तीन लेयर की सिक्यॉरिटी में रखा जाता है.  

पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी होती है

वोटिंग के लिए जब ईवीएम पोलिंग बूथ पर जाती है, तो यही प्रक्रिया दोहराई जाती है. इसकी वीडियोग्राफी भी की जाती है. किस नंबर की मशीन किस बूथ पर जाएगी, यह सब बताया जाता है. इसका रेकॉर्ड रखा जाता है. बूथ पर पोलिंग एजेंट्स को मशीन में वोट डालकर दिखाए जाते हैं.

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