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Microbiome: आपकी आंत में छिपा है 'दूसरा दिमाग'! ये तय करता है आपका Mood और Immunity

हमारी आंत में छिपे microbiome सिर्फ भोजन पचाने का केंद्र नहीं बल्कि हमारा “दूसरा दिमाग (second brain)” है जो mood और immunity को नियंत्रित करता है. शोध बताते हैं कि आंत-मस्तिष्क (gut-brain) कनेक्शन का स्वास्थ्य सीधे हमारी भावनाओं और रोग-प्रतिरोधक क्षमता से जुड़ा है.

Microbiome: आपकी आंत में छिपा है 'दूसरा दिमाग'! ये तय करता है आपका Mood और Immunity

What is Microbiome: कई बार हमारा मूड अचानक खराब हो जाता है या तनाव में पेट दर्द और गैस जैसी समस्या बढ़ जाती है. लोग इसे सिर्फ मन या दिमाग से जोड़ते हैं, लेकिन विज्ञान अब बता चुका है कि इसका गहरा रिश्ता हमारी आंत (Gut) से है. हमारी आंत में मौजूद सूक्ष्म जीवाणु यानी Microbiome सिर्फ भोजन नहीं पचाते, बल्कि हमारे मूड और इम्यूनिटी (Immunity) तक को नियंत्रित करते हैं. यही कारण है कि वैज्ञानिक अब इसे शरीर का “दूसरा दिमाग (Second Brain)” कहते हैं.

क्या है माइक्रोबायोम?

हमारी आंत के भीतर लाखों-करोड़ों सूक्ष्म जीव रहते हैं. इन्हें माइक्रोबायोम कहा जाता है. ये जीवाणु भोजन को तोड़ने, पोषक तत्वों को अवशोषित करने और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immune System) को बनाए रखने में मदद करते हैं. शोध बताते हैं कि हमारे शरीर में जितनी मानव कोशिकाएं हैं, उससे कई गुना ज्यादा ये सूक्ष्म जीव मौजूद हैं. इनमें से ज्यादातर आंत में होते हैं, और यहीं से सेहत, मूड और इम्यूनिटी का असली संतुलन तय होता है.

आंत और दिमाग का कनेक्शन  

विज्ञान में एक शब्द Gut-Brain Axis है. इसका मतलब है कि आंत और दिमाग एक-दूसरे से लगातार संवाद करते हैं. जब हम खुश या तनाव में होते हैं, तो उसका असर सीधे पेट पर पड़ता है. 2022 में Nature Microbiology में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, कुछ विशेष बैक्टीरिया ऐसे रसायन (Neurotransmitters) बनाते हैं जो Serotonin और Dopamine जैसे हार्मोन को नियंत्रित करते हैं. यही रसायन हमारे मूड, नींद और भावनाओं को प्रभावित करते हैं.

मूड स्विंग और डिप्रेशन का कारण

जब आंत का माइक्रोबायोम असंतुलित हो जाता है यानी अच्छे और बुरे बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ता है तो इसका असर सीधा हमारे मूड पर पड़ता है. कई शोधों में पाया गया है कि ऐसे लोग जिनका माइक्रोबायोम कमजोर होता है, उनमें Anxiety, Depression, और थकान जैसी समस्याएं अधिक पाई जाती हैं. इसीलिए मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ अब आंत को “मूड का गुप्त इंजन” कहने लगे हैं.

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इम्यूनिटी पर माइक्रोबायोम का असर

WHO के अनुसार, हमारी 70% रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) का आधार आंत में ही होता है. आंत में मौजूद ये सूक्ष्म जीव तय करते हैं कि शरीर को किससे बचाव करना है और कौन-से तत्व नुकसानदेह हैं. अगर कोई व्यक्ति बार-बार एंटीबायोटिक्स लेता है, बहुत ज्यादा प्रोसेस्ड फूड खाता है या नींद की कमी से जूझता है, तो उसका माइक्रोबायोम कमजोर हो जाता है. इससे इन्फेक्शन और सूजन की समस्या बढ़ जाती है.

कैसे रखें आंत को स्वस्थ?

  • आंत की सेहत के लिए Probiotics और Prebiotics बेहद जरूरी हैं.
  • प्रोबायोटिक फूड जैसे दही, छाछ, फर्मेंटेड फूड (जैसे इडली, डोसा, किमची) अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं.
  • प्रीबायोटिक फूड जैसे केले, ओट्स, लहसुन और हरी सब्जियां उन अच्छे बैक्टीरिया को पोषण देते हैं.
  • वहीं, तनाव, जंक फूड, धूम्रपान और अनियमित नींद माइक्रोबायोम को कमजोर बना देती है.

मन और शरीर का रिश्ता आंत से जुड़ा 

हम अक्सर मान लेते हैं कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य अलग-अलग चीजें हैं, जबकि सच्चाई यह है कि दोनों का रिश्ता हमारी आंत से जुड़ा हुआ है. जब पेट स्वस्थ रहता है, तो दिमाग भी शांत और सकारात्मक रहता है. इसलिए अगली बार जब मन अचानक बेचैन हो, तो सिर्फ दिमाग नहीं, पेट को भी सुनिए क्योंकि मूड का जवाब मन में नहीं, आंत में छिपा होता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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