Dhurandhar Latest: धुरंधर (Dhurandhar) का असर गहरा रहा है, लेकिन कई लोगों के लिए फिल्म के सबसे प्रभावशाली पल रणवीर सिंह से जुड़े हैं. 26/11 के सीक्वेंस में उनका अभिनय फिल्म की भावनात्मक आत्मा बनकर उभरा है, जिसे दर्शकों, आलोचकों और यहां तक कि उस त्रासदी से बचे लोगों से भी जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है. इन्हीं में से एक प्रतिक्रिया उस सर्वाइवर की है, जो हमले की रात ताज होटल के भीतर मौजूद थीं. उनके शब्द बताते हैं कि रणवीर की प्रस्तुति कितनी गहराई तक असर करती है.
'उस रात जो हुआ..'
उन्होंने लिखा कि 17 साल बीत चुके हैं, लेकिन उस रात जो हुआ और हमारे साथ जो हो सकता था. उसकी याद ने मुझे अंदर तक झकझोर दिया. बेहद पीड़ादायक और दिल दहला देने वाला. धुरंधर और इसके निर्माताओं को बहुत बड़ा श्रेय, जिन्होंने महज 2–3 मिनट में ही एक पूरी नई पीढ़ी को यह समझा दिया कि 26/11 को वास्तव में क्या हुआ था. 26/11 के सत्रह साल बाद, धुरंधर अपनी सबसे सच्ची आवाज संवादों में नहीं, बल्कि रणवीर सिंह की खामोशी में पाता है. रणवीर का भाव एक साथ सदमा, ग़ुस्सा, शोक और बेबसी को समेटे हुए है. बिना एक भी शब्द बोले, वह उस पूरे देश की भावनाओं को प्रतिबिंबित कर देते हैं, जिसने मुंबई को जलते देखा और कभी नहीं भुलाया. असली ऑडियो रिकॉर्डिंग्स के साथ रचा गया यह दृश्य रीढ़ में सिहरन दौड़ा देने वाला है. इस पल को और भी भयावह बनाने वाली चीज है रणवीर का संयम, न कोई बनावटी आक्रोश, न सिनेमाई अतिशयोक्ति सिर्फ नियंत्रित टूटन. उनकी आंखें मौत का जश्न मनाते हैंडलर्स की वहशी क्रूरता को अपने भीतर समेट लेती हैं. उसी के साथ उस रात से प्रभावित हर आम नागरिक के आघात को दर्शाती हैं.
अपनी पीढ़ी का बेहतरीन अभिनेता
यह अभिनय एक बार फिर साबित करता है कि रणवीर सिंह को अपनी पीढ़ी का बेहतरीन अभिनेता क्यों माना जाता है. बहुत कम कलाकार ऐसे भावों को इस स्तर पर व्यक्त कर पाते हैं और उनसे भी कम ऐसे हैं जो स्क्रीन पर कुछ ही पलों में अमिट छाप छोड़ दें. धुरंधर में एक शानदार कलाकारों की टोली है और सभी ने बेहतरीन काम किया है. लेकिन फिल्म खत्म होने के बाद भी जो नजर लंबे समय तक याद रह जाती है. वह है रणवीर की वह डरावनी, मौन दृष्टि 26/11 की याद और सच्चे महान अभिनय की दुर्लभ ताकत की याद दिलाती हुई.
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