Madhya Pradesh: उमरिया जिले (Umaria District) के ओपन कैप गोदामों में शासन द्वारा किसानों से खरीदा गया करोड़ों का अनाज रखे - रखे ही खराब हो गया. जी हां इतना सारा गेंहूं रखे रखे ही खराब हो गया. ना ही समय पर कैप से उठाव हो सका, ना ही सही ढ़ंग से देख रेख की गई जिसका नतीजा यह रहा कि अब वो अनाज खाने लायक नहीं बचा.
उच्च स्तरीय जांच टीम गठित
आपको बता दें कि उमरिया जिले में हर साल शासन द्वारा निर्धारित दर पर किसानों से गेंहू व धान का उपार्जन अधिकांश ओपन कैप में किया जाता है. खासकर धान को मिलिंग के पहले ओपन कैप में रखा जाता है. मिलिंग के बाद इन्हें गोदाम में भंडारित कर दिया जाता है, मगर 2021 व 2022 में खरीदे गए धान व गेहूं उठाव ना होने के कारण खराब हो गया है. इस पूरे मामले मे जिला प्रशासन का कहना है कि इसकी उच्च स्तरीय जांच टीम गठित की गई है.
समय पर हो जाती निकासी तो ना होता नुकसान
विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो अनाज को रखने के लिए गोदाम विपणन संघ तथा निजी कंपनियों के माध्यम से संचालित होते हैं. यहां अनाज रखने के लिए नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा देखरेख, दवा छिड़काव सहित अन्य काम के लिए बकायदा लाखों - करोड़ों रुपए का किराया भुगतान होता है. लेकिन गोदाम में रखा गेहूं और धान सिर्फ ये दोनों विभाग एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर बचते नजर आ रहे हैं. जबकि समय पर यदि इनकी निकासी हो जाती तो इस नुकसान से बचा जा सकता था.
विपणन संघ तथा नागरिक आपूर्ति विभाग में मचा हड़कंप
इस मामले के तूल पकड़ने के बाद विपणन संघ तथा नागरिक आपूर्ति विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. नागरिक आपूर्ति विभाग की तरफ प्रबंधक आरके गुप्ता ने कहा है कि नागरिक आपूर्ति निगम की जिम्मेदारी खाद्यान्न उठाव की होती है. शासकीय उपार्जन में खरीदा गया अनाज विपणन संघ व अन्य निजी गोदामों में रखा जाता है. इसकी देखरेख के साथ ही दवा छिड़काव सहित बीमा आदि के लिए हम उन्हें भुगतान करते हैं. दूसरी तरफ अनाज की बर्बादी को लेकर सरकार भी सख्त नजर आ रही है. कलेक्टर उमरिया धरणेन्द्र कुमार जैन ने कहा है इस पूरे मामले की जांच के लिए मध्यप्रदेश शासन द्वारा उच्च स्तरीय एक टीम गठित की गई है. वो ही जांच कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करेंगे.
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