Tribal Pride Day 2025: जनजातीय गौरव दिवस 2025 के मौके पर अंबिकापुर पहुंची राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच सदियों पुराने बेटी-रोटी के रिश्ते को फिर याद दिलाया. उन्होंने कहा कि आदिवासी संस्कृति केवल परंपरा नहीं, बल्कि इस देश की आत्मा है, जिसे जल-जंगल-जमीन के साथ और अधिक मजबूत करने की जरूरत है. राष्ट्रपति के संबोधन में भावनाएं, अपनापन और जनजातीय समाज के प्रति गहरा सम्मान साफ झलकता है.
राष्ट्रपति मुर्मू ने अंबिकापुर से दी शुभकामनाएं
जनजातीय गौरव दिवस पर आयोजित इस बड़े कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि छत्तीसगढ़ के 25 साल पूरे होना पूरे राज्य के लिए गर्व की बात है. उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की और कहा कि इस दिन का हिस्सा बनना उनके लिए सौभाग्य है.
कार्यक्रम में मौजूद रहे वरिष्ठ नेता
अंबिकापुर में हुए इस आयोजन में राज्यपाल रमेश डेका, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, केंद्रीय आदिवासी विकास मंत्री, केन्द्रीय मंत्री तोखन साहू और कैबिनेट मंत्री रामविचार नेताम भी मंच पर मौजूद रहे. राष्ट्रपति के पहुंचते ही कार्यक्रम का माहौल और अधिक गरिमामयी हो गया.
छत्तीसगढ़-ओडिशा के रिश्ते को किया याद
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि अंबिकापुर से ओड़िसा और झारखंड की दूरी भले ही कुछ सौ किलोमीटर हो, लेकिन इन राज्यों की संस्कृतियां एक-दूसरे से गहराई से जुड़ी हैं. उन्होंने मुस्कुराते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ और ओडिशा के लोग एक-दूसरे के यहां शादियां करते हैं, यही वजह है कि दोनों राज्यों का संबंध बेटी-रोटी का माना जाता है. यह रिश्ता सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि सदियों से चली आ रही दोस्ती है.
आदिवासी संस्कृति को संभाले रखने पर आभार जताया
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि छत्तीसगढ़ के जनजातीय समाज ने अपनी परंपराओं को आज भी जीवित रखा है, जो बहुत बड़ी बात है. उन्होंने कहा कि वे खुद भी जनजातीय समाज से आती हैं और इस पर उन्हें गर्व है. उन्होंने कहा कि “मैं पहले भी इस संस्कृति को जीती थी, और आज भी इसे उसी आत्मा के साथ जीती हूं.”
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आदिवासी सभ्यता को बढ़ावा देने की आवश्यकता
अपने उद्बोधन में राष्ट्रपति ने साफ कहा कि आदिवासी संस्कृति बेहद खूबसूरत और अनोखी है, इसलिए इसे बढ़ावा देना जरूरी है. उन्होंने कहा कि जब वे ऐसे कार्यक्रमों में आती हैं, तो जनजातीय परिवारों और महिलाओं से मिलकर उन्हें बहुत खुशी मिलती है.
स्थानीय स्तर पर शिक्षा और स्वास्थ्य पर जोर
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि आदिवासी समाज के विकास के लिए स्थानीय स्तर पर शिक्षा, स्वास्थ्य, जल, जंगल और जमीन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने जोर देकर कहा कि विकास तभी सार्थक है, जब वह आदिवासी संस्कृति को नुकसान पहुंचाए बिना आगे बढ़े.
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