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This Article is From Sep 05, 2023

बैरिकेट्स तोड़ वन विभाग के अंदर घुसे आदिवासी, अतिक्रमण के आरोपी की मौत के खिलाफ प्रदर्शन

आदिवासी समाज के लोगों और पुलिसकर्मी और वन कर्मियों के बीच झड़प भी हुई. लोगों ने अंदर घुसकर पुलिस और वनकर्मियों के लिए रखी गई कुर्सियों को तोड़ दिया. इस घटना के बाद तनाव बढ़ गया है.

बैरिकेट्स तोड़ वन विभाग के अंदर घुसे आदिवासी, अतिक्रमण के आरोपी की मौत के खिलाफ प्रदर्शन
अतिक्रमण के आरोपी की मौत के खिलाफ आदिवासी समाज का प्रदर्शन

गरियाबंद : अतिक्रमण के आरोपी की मौत के बाद आदिवासी समाज ने मंगलवार को फिर तिरंगा चौक पर चक्का जाम कर दिया. कल पांच घंटे जाम के बाद आज फिर आदिवासी समाज के लोग मुख्यालय पहुंचे और वन विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए तिरंगा चौक पर बैठ गए. समाज के लोगों की ओर से मृतक के परिजनों के लिए 1 करोड़ रुपए मुआवजे की मांग और वन कर्मी के निलंबन सहित कुल 7 मांगें की जा रही हैं. अपनी मांग को लेकर दोपहर 1:00 बजे से तिरंगा चौक पर बैठे आदिवासी लगभग 2 घंटे बाद वन विभाग के घेराव के लिए निकले. वन विभाग के पास पहुंचने के बाद आदिवासी समाज के लोगों ने डीएफओ के खिलाफ नारेबाजी की और आक्रोशित भीड़ ने प्रशासन की ओर से लगाए गए बैरिकेट्स को तोड़ दिए. 

इस दौरान आदिवासी समाज के लोगों और पुलिसकर्मी और वन कर्मियों के बीच झड़प भी हुई. लोगों ने अंदर घुसकर पुलिस और वनकर्मियों के लिए रखी गई कुर्सियों को तोड़ दिया. इस घटना के बाद तनाव बढ़ गया है. घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर गरियाबंद एसपी अमित तुकाराम कांबले भी पहुंचे और समाज के प्रमुख लोगों से चर्चा कर शांतिपूर्वक आंदोलन करने की बात कही. इसके बाद आंदोलनकारी वापस वन विभाग के गेट के सामने जाकर धरने पर बैठ गए. 

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आदिवासी समाज के लोगों ने किया विरोध प्रदर्शन

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क्या है पूरा मामला?
विगत 28 अगस्त को गरियाबंद वन मंडल ने गरियाबंद रेंज के झीतरी डूमर निवासी भोजराम को अतिक्रमण के आरोप में गरियाबंद उप जेल में बंद कर दिया था. आरोपी की तबियत जेल में बंद किए जाने के दूसरे दिन ही बिगड़ गई थी. जिले में इलाज के बाद उसे मेकाहारा में रेफर कर दिया गया था. इलाज के दौरान आज उसकी मौत हो गई. मौत के बाद आक्रोशित आदिवासी समाज ने आज गरियाबंद के तिरंगा चौक में इकट्ठा होकर नेशनल हाइवे को जाम कर दिया. समाज के लोगों ने वन विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की. 

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सुरक्षाबलों से भिड़े प्रदर्शनकारी

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'कार्रवाई के दिन से बीमार था बेटा'
लोगों ने कहा, 'पेसा कानून लागू होने के बावजूद प्रशासन से आदिवासी बार-बार प्रताड़ित हो रहे हैं. मृतक परिवार को वन अमला एक साल से परेशान कर रहा है. उसकी खड़ी फसल में कीटनाशक डाल दिया जाता था. आज उसकी मौत के बाद वन विभाग का कलेजा शांत हुआ होगा. पीड़ित परिवार को एक करोड़ का मुआवजा और दोषी अफसरों को निलंबित नहीं करने तक प्रदर्शन जारी रहेगा. मृतक के पिता चमरू राम ने कहा,

'कार्रवाई के दिन से मेरा बेटा बीमार था, बार-बार आग्रह के बावजूद वन विभाग ने जबरन उसे उठाकर जेल भेज दिया. इलाज के लिए बार-बार गुहार लगाई जा रही थी लेकिन विभाग ने एक नहीं सुनी और बेटे की मौत हो गई.'

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