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छत्तीसगढ़ में अब 'नक्सली' बन सकते हैं उद्योगपति, बस करना होगा ये काम

छत्तीसगढ़ सरकार ने अपनी नई औद्योगिक नीति का ऐलान कर दिया है. ये नीति 2024-30 के लिए बनाई गई है. इसके कई अहम बातों का जिक्र है लेकिन एक स्कीम ऐसी है जिसकी खूब चर्चा हो रही है. दरअसल सरकार ने औद्योगिक नीति में सरेंडर कर चुके नक्सलियों और नक्सल पीड़ित लोगों के लिए खास सहूलियतों का ऐलान किया है.

छत्तीसगढ़ में अब 'नक्सली' बन सकते हैं उद्योगपति, बस करना होगा ये काम

Naxal in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या के समाधान के लिए सरकार हर मोर्चे पर काम कर रही है. एक ओर जहां सुरक्षा बल के जवान लगातार एंटी नक्सल ऑपरेशन चला रहे हैं. वहीं दूसरी ओर नक्सल संगठन (Naxal organization) में शामिल लोगों को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए सरकार अलग-अलग नीतियों पर काम कर रही है. नक्सल हिंसा से प्रभावितों के लिए भी सरकार योजनाएं ला रही है. छत्तीसगढ़ में 1 नवंबर से लागू नई औद्योगिक विकास नीति 2024-30 (New Industrial Development Policy 2024-30) में भी नक्सल समस्या के समाधान को लेकर विशेष प्रावधान किया गया है. इसके तहत सरेंडर नक्सलियों व नक्सल प्रभावितों को उद्योग संचालन में विशेष मदद करने की योजना है.

औद्योगिक विकास नीति 2024-30 की रणनीति के प्रस्तावना के रणनीति पैराग्राफ  में इस बात का साफ-साफ जिक्र है कि सरेंडर कर चुके नक्सली व नक्सल प्रभावितों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए अधिक प्रोत्साहन दिया जाएगा. ताकि इनका आर्थिक उत्थान भी हो सके.

नई औद्योगिक नीति के प्रस्तावना के औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन हेतु प्रावधान के बिंदु क्रमांक-12.4 में उल्लेख है कि नक्सलवाद से प्रभावित, व्यक्ति व उनके परिवारजनों को सामान्य सेक्टर के उद्यमों को उपलब्ध कराए जा रहे मान्य अनुदान से 10 प्रतिशत अधिक अनुदान दिया जाएगा. इसकी अधिकतम सीमा भी 10 प्रतिशत अधिक रहेगी. यानि कि यदि किसी उद्योग को स्थापित करने के लिए सरकार सामान्यत: 25 प्रतिशत का अनुदान दे रही है तो नक्सलवाद से प्रभावितों के लिए यह अनुदान 35 प्रतिशत का होगा. जानकारों की मानें तो सरेंडर कर चुके नक्सलियों, नक्सलवाद से प्रभावितों के साथ ही सरकार एक तरह से नक्सल संगठन से जुड़ें लोगों को भी यह संकेत दे रही है कि आप नक्सल संगठन को छोड़ मुख्यधारा में जुड़िये. सरकार योजना के तहत तमाम सुविधाओं के साथ ही अब उन्हें उद्योगपति बनने में भी मदद करेगी.

साल 2000 में नक्सल संगठन को छोड़ मुख्यधारा में जुड़ने वाले रमेश पोरियाम ऊर्फ बदरन्ना कहते हैं कि सरकार अब हर तरह से नक्सल समस्या को खत्म करना चाह रही है. इसलिए हर मोर्चे पर कोशिश की जा रही है.

हालांकि नक्सल संगठन में हिड़मा जैसे टॉप लीडर को भर्ती करने वाले बदरन्ना कहते हैं कि यदि इस तरह की कोशिश शुरुआती समय से की जाती तो समस्या इतनी विकराल रूप नहीं लेती. नक्सल संगठन भी हर स्तर पर आम जनता की सहभागित स्थापित करने के उद्देश्य से काम करने की बात कहता है. ऐसे में यदि आम जनता को इस तरह के मौके मिले तो अच्छी बात है.

इनको भी मिलेगी छूट

नई औद्योगिक विकास नीति के तहत नक्सलवाद से प्रभावितों, सरेंडर नक्सलियों के अलावा सेवानिवृत्त सैनिक, सेवानिवृत्त अग्निवीरों, तृतीय लिंग वर्ग, नि:शक्तजनों के लिए भी विशेष प्रावधान किया गया है. सामान्य की तुलना में इन्हें भी 10 प्रतिशत अधिक का अनुदान सरकार द्वारा दिया जाएगा. ताकि इन वर्गों का भी आर्थिक विकास तेजी से हो सके.

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