सूरजपुर के प्रतापपुर में नाबालिग के साथ दुष्कर्म के एक बेहद संवेदनशील मामले में न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट ओमप्रकाश सिंह चौहान की अदालत ने आरोपी संदीप कुमार भुईयां को 20 वर्ष सश्रम कारावास और 2,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. साथ ही, अदालत ने पीड़िता को चार लाख रुपये का मुआवजा देने की अनुशंसा भी की है.
अतिरिक्त लोक अभियोजक अक्षय तिवारी के अनुसार, यह मामला 29 मई 2024 का है. चंदौरा थाना क्षेत्र के रेवटी चौक में पीड़िता के पिता ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनकी नाबालिग बेटी को कोई व्यक्ति बहला-फुसलाकर ले गया है. शिकायत के बाद पुलिस ने तत्काल अपहरण का मामला दर्ज कर जांच शुरू की.
नाबालिग के साथ किया दुष्कर्म
जांच के दौरान पुलिस ने किशोरी को सुरक्षित बरामद किया. उसके बयान और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर यह स्पष्ट हुआ कि आरोपी ने किशोरी के साथ जबरन संबंध बनाए. इसके बाद पुलिस ने मामले में धारा 366, 376(2)(ढ) तथा पॉक्सो एक्ट की धारा 4 और 6 जोड़ते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया.
अभियोजन के अनुसार, आरोपी ने किशोरी को विवाह का झांसा देकर जंगल में ले जाकर कई दिनों तक बंधक बनाया और बार-बार दुष्कर्म किया. बाद में वह बालिका को अपनी बहन के घर ले गया, वहां भी उसने उसके साथ अमानवीय हरकतें कीं. पुलिस ने पीड़िता को यहीं से मुक्त कराया.
डेढ़ साल चली कोर्ट प्रक्रिया
करीब डेढ़ वर्ष चली न्यायिक प्रक्रिया के बाद अदालत ने सभी सबूतों और गवाहों के आधार पर आरोपी को दोषी पाया. अपने फैसले में न्यायाधीश चौहान ने कहा कि नाबालिग के साथ इस तरह का कृत्य न केवल उसके शरीर, बल्कि उसकी आत्मा और मानसिक स्थिति पर गहरा प्रभाव डालता है. समाज में ऐसे अपराधों पर कठोर कार्रवाई बेहद जरूरी है.
अदालत ने छत्तीसगढ़ शासन की अधिसूचना के अनुसार पीड़िता को चार लाख रुपये की क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया, ताकि उसे पुनर्वास में सहायता मिल सके.