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Positive New Year 2025: ‘हक्कुम मेल’ से बदली नक्सल प्रभावित सुकमा की तस्वीर, रिमोट इलाकों के लिए क्यों है वरदान?

Sukma News: 4 दशक से नक्सलवाद का दंश झेल रहे सुकमा जिले की तस्वीर अब बदल रही है. जिला प्रशासन द्वारा कई दशकों के बाद फिर से ग्रामीण सुदूर इलाकों के लिए बस सेवा शुरू की है. यह बस सुकमा के अंदरूनी इलाकों के लिए लाईफ लाईन का रूप ले चुकी है. जानें यह क्यों है खास...

Positive New Year 2025: ‘हक्कुम मेल’ से बदली नक्सल प्रभावित सुकमा की तस्वीर, रिमोट इलाकों के लिए क्यों है वरदान?
‘हक्कुम मेल’ से बदली नक्सल प्रभावित सुकमा की तस्वीर

Sukma News: 4 दशक से नक्सलवाद का दंश झेल रहे सुकमा जिले की तस्वीर अब बदल रही है. जिला प्रशासन द्वारा कई दशकों के बाद फिर से ग्रामीण सुदूर इलाकों के लिए बस सेवा शुरू की है. यह बस सुकमा के अंदरूनी इलाकों के लिए लाईफ लाईन का रूप ले चुकी है. इस बस सेवा का गोंडी शब्द हक्कुम यानी संदेशवाहक का नाम दिया गया है. इसके पीछे रिमोट इलाकों के गांवों के बीच संदेश और आपस में जोडना पुलिस और प्रशासन का उद्देश्य रहा है. 

इस साल फरवरी से यह बस सेवा पीपीपी मॉडल के साथ शुरू की गई. नीति आयोग की फंड से फिलहाल 4 रिमोट इलाकों के लिए बस सेवा शुरू की गई है. पहले चरण में जगरगुंडा-कोंटा (130 किमी), तोंगपाल-सुकमा व्हाया छिंदगढ़ (140 किमी), भूसारास आलेर व्हाया सुकमा (70 किमी) और किस्टाराम से सुकमा तक (112 किमी) हक्कुम बसें दौड़ रही हैं. दरअसल इन मार्गों में लंबे समय बाद शुरू हुई बसों से लगभग 15 हजार यात्रियों को सीधा सुकमा मुख्यालय से जोड़ने का मौका मिलेगा.

साल 2024 में सुकमा जिले को क्या मिला? 

साल 2024 नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के लिए उपलब्धियों भरा रहा है. प्रदेश में सरकार बदलते ही जिले के अंदरूनी इलाकों तक सुरक्षा के साथ विकास की किरणें भी पहुंचने में सफल रही हैं. बीते एक साल में जिले के घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में 09 नये पुलिस कैंप खोले गए, साथ ही इन इलाकों के 40 पंचायतों को नियद नेल्लानार योजना से भी जोड़ा गया.  कैंप खुलते ही सड़क निर्माण को गति मिली और युद्ध स्तर पर पक्की व मिट्टी—मुरूम की सड़कों का जाल बिछाया गया. जिले के अति नक्सल प्रभावित इलाकों में अब तक 816 किमी लंबी नई सड़क बनाई गई हैं.

कभी इन इलाकों के ग्रामीण पगडंडियों के सहारे मीलों सफर तय करते थे.  नक्सलवाद के कारण ग्रामीणों को ना ही मूलभूत सुविधाओं का लाभ मिल पाया और ना ही परिवहन सेवा का लाभ मिला. ग्रामीण अपनी रोजमर्रा की चीजों के लिए गांव में ही लगने वाले हॉट बाजारों पर निर्भर रहे. लेकिन अब पक्की सड़कें गांव तक बन जाने से ग्रामीणों की दशकों पुरानी समस्याएं दूर होने लगे हैं.

क्या कहते हैं अधिकारी? 

हक्कुम मेल के संचालन के लिए जिला प्रशासन ने एक समिति को अधिकार सौंपा है. समिति प्रमुख अनूप ध्रुव ने एनडीटीवी को बताया कि कई सालों के बाद प्रशासन ने रिमोट इलाकों में बस सेवा का संचालन कर रही है. प्रशासन के इस पहल से ग्रामीणों को लाभ मिल रहा है. ग्रामीण अब सीधे जिला मुख्यालय व शहरों से जुड़ गए हैं.

सुकमा कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव ने कहा कि जिले के अंदरूनी इलाकों में बसों की आवाजाही से विकास का रास्ता खुला है. बस सेवा शुरू करने से ग्रामीणों को लाभ मिल रहा है. जो लोग मुख्यालय तक नहीं पहुंच पाते थे आज आसानी से जिला मुख्यालय पहुंच रहे हैं. वहीं सुकमा पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने कहा कि पुलिस कैंप खुलने से नक्सल इलाकों में विकासात्मक कार्यों को गति मिली है. गांवों को नियद नेल्ला नार योजना से जोड़ा जा रहा है.

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