Chhattisgarh News: कभी माओवादियों के दरभा डिवीजन का सुरक्षित ठिकाना रही छत्तीसगढ़ के सुकमा की गोगुंडा की दुर्गम पहाड़ी अब सुरक्षाबलों के नियंत्रण में है. ऊंची-नीची ढलानों, घने जंगल और पहुंचहीनता के बीच पहाड़ी शिखर पर नया सुरक्षा कैंप स्थापित कर सुरक्षाबलों ने न केवल रणनीतिक बढ़त हासिल की है, बल्कि वर्षों से मुख्यधारा से कटे ग्रामीणों के लिए आवागमन और विकास का रास्ता भी खोल दिया है.
चारों ओर से पहाड़ियों से घिरे ग्राम गोगुंडा तक आज तक न कच्ची सड़क थी, न पगडंडी. सबसे पहले पहाड़ी काटकर सड़क बनाई गई, जो अपने-आप में जोखिम भरा अभियान था. इसी सड़क से अब ग्रामीणों को सीधा लाभ मिल रहा है. इलाज, राशन, स्कूल और सरकारी योजनाओं तक पहुंच आसान हुई है.
नवीन कैंप का निरीक्षण करने पहुंचे सीआरपीएफ सीजी सेक्टर के महानिरीक्षक शालीन ने निर्माण कार्य, कैंप की सुरक्षा, संचार व्यवस्था और एंटी-नक्सल ऑपरेशंस की विस्तार से समीक्षा की. उन्होंने जवानों से सीधे संवाद कर उनकी जरूरतें जानीं और मनोबल बढ़ाते हुए कहा, यह कैंप इलाके के लिए सुरक्षा कवच बनेगा.निरीक्षण के दौरान सीआरपीएफ के उप महानिरीक्षक आनंद सिंह राजपुरोहित, सुकमा एसपी किरण चव्हाण व 74 BN सीआरपीएफ के कमांडेंट हिमांशु पांडेय सहित वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे. संयुक्त रणनीति पर चर्चा हुई,एरिया डॉमिनेशन, ग्रामीण समन्वय और आगामी अभियानों को लेकर स्पष्ट रोडमैप रखा गया.
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सुकमा के एसपी किरण चव्हाण ने बताया कि यह कैंप छत्तीसगढ़ शासन की नियद नेल्ला नार योजना की भावना को जमीन पर उतारता है. इलाके की सुरक्षा के साथ-साथ विकास को अंजाम दिया जाएगा. कैंप स्थापित होने से पहुंचहीन गांवों में प्रशासनिक उपस्थिति मजबूत होगी और जनकल्याणकारी योजनाएं सीधे लाभार्थियों तक पहुंचेंगी.
हालांकि अभियान की राह जोखिममुक्त नहीं रही. कैंप स्थापना के दौरान प्लांटेड आईईडी ब्लास्ट में एक सीआरपीएफ जवान और सुकमा जिला पुलिस की एक महिला जवान घायल हुईं. दोनों का उच्चस्तरीय उपचार जारी है. बता दें कि 2024 से अब तक सुकमा जिले में 21 नए सुरक्षा कैंप स्थापित हो गए हैं. इसी अवधि में 587 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. विभिन्न अभियानों में 68 माओवादी मारे गए और 450 गिरफ्तार हुए हैं.
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