विज्ञापन
This Article is From Aug 29, 2024

छत्तीसगढ़ में हुआ चरवाहा सम्मेलन, वन विभाग ने कुछ ऐसा बताया कि दंग रह गए चरवाहे!

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार के बारनवापारा अभ्यारण्य में चरवाहा सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसमें 53 गांवों के 102 चरवाहों ने हिस्सा लिया. इस दौरान वन विभाग ने वन्य जीवों की सुरक्षा और पशु चराई के बारे में जानकारी दी.

छत्तीसगढ़ में हुआ चरवाहा सम्मेलन, वन विभाग ने कुछ ऐसा बताया कि दंग रह गए चरवाहे!

 Baloda Bazar News in Hindi: छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार के बारनवापारा अभ्यारण्य में चरवाहा सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसमें 53 गांवों के 102 चरवाहों ने हिस्सा लिया. यह सम्मेलन वन विभाग बलौदा बाजार ने बारनवापारा अभ्यारण्य में वन्य जीवों की सुरक्षा और पशु चराई के संबंध में जानकारी देने के विषय पर थी. जहां साहसिक चरवाहे को सम्मानित भी किया गया और उन्हें वन्य जीवों की जानकारी देते हुए नुकसान होने पर मुआवजा की जानकारी दी गई.

बाघ के गतिविधियों और ट्रैकिंग की दी जानकारी

दरअसल, बलौदा बाजार जिले के बारनवापारा अभ्यारण्य में पिछले 6 महीने से एक बाघ विचरण कर रहा है. उसके संरक्षण और संवर्धन के लिए वनमंडल स्तरीय चरवाहों का एक दिवसीय सम्मेलन सह कार्यशाला बारनवापारा अभ्यारण्य में आयोजन किया गया.

कार्यशाला में उप वनमंडलाधिकारी कसडोल आईएफएस अक्षय दिनकर भोसले ने बाघ के व्यवहार और अन्य गतिविधियों के बारे में जानकारी साझा की. उनके द्वारा बाघ विचरण क्षेत्र में की जाने वाली गतिविधियों, ट्रैकिंग के संबंध में निर्धारित स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर और विचरण क्षेत्र में विभिन्न वन्यप्राणियों के खान-पान और व्यवहार के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

वनमण्डलाधिकारी बलौदा बाजार मयंक अग्रवाल ने पिछले 6 महीने से क्षेत्र में विचरण कर रहे बाघ के संबंध में विस्तृत जानकारी साझा किया.

250 ट्रैप कैमरा से हो रही निगरानी 

बलौदा बाजार वनमण्डल क्षेत्र में बाघ की मॉनिटरिंग के लिए 250 ट्रैप कैमरा लगाए गए हैं. इनकी मदद से बाघ विचरण की सतत् निगरानी की जा रही है. बाघ की सुरक्षा के लिए विशेष स्थानीय ग्रामीणों की मदद से बाघ निगरानी दल बनाया गया है.

हानि की दें जानकारी मिलेगी क्षतिपूर्ति 

अधिकारियों ने वन क्षेत्र में किसी भी प्रकार से जनहानि, जन घायल, पशु हानि, फसल हानि सहित अन्य संपत्ति की क्षति होने पर और अवैध शिकार, वन्य प्राणियों की जानकारी होने पर वन विभाग को तत्काल सूचित करने की ग्रामीणों से अपील की. 

अधिकारियों ने बताया कि वन्य प्राणियों से होने वाली जनहानि पर 6 लाख लाख रुपये, जन घायल के दौरान पूर्ण रूप से अपंगता होने पर 2 लाख रुपये, सामान्य जन घायल पर 5 लाख 91 हजार रुपये, पशु हानि होने पर अधिकतम 30 हजार रुपये और फसल, मकान या अन्य क्षति होने पर मूल्यांकन अनुसार क्षतिपूर्ति राशि शासन द्वारा दी जाती है.

शिकार की जानकारी देने पर मिलेगा पुरस्कार 

वन क्षेत्रों में अवैध शिकार, बिजली हुकिंग और अन्य अवैध गतिविधियों की जानकारी होने पर वन विभाग को प्राथमिकता से सूचित करने पर वन विभाग से गोपनीय पुरूस्कार राशि दिए जाने की जानकारी दी गई. यह भी बताया गया कि चरवाहे या ग्रामीणों को वन विभाग से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या हो तो सुविधानुसार निकटम वनाधिकारी या जांच नाकों में सूचित करें. जिससे त्वरित कार्रवाई कर समस्याओं का निराकरण किया जा सके.

कार्यशाला में ग्राम पकरीद, गिधपुरी, अमलोर, सैहाभांठा, चुहरी, बल्दाकछार, मेटकूला, कोसमसरा, अर्जुनी, गुड़ागढ़, ठाकुरदिया, भिंभौरी, तालदादर, सुरबाय, अल्दा मुड़पार, लोरिदखार, आमगांव, गबौद आदि 53 ग्राम के 102 चरवाहे उपस्थित थे. इन चरवाहों को पशु विभाग के डॉ. अविनाश और कृषि विभाग से सुनिल खंडेकर ने अपने अपने विभाग में चल रही लोकहित योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी. 

कार्यशाला में प्रशिक्षु आईएफएस प्रभारी वन परिक्षेत्र अधिकारी अर्जुनी विपुल अग्रवाल, अधीक्षक बारनवापारा अभ्यारण्य आनंद कुदरया, बारनवापारा परिक्षेत्र अधिकारी सुनिल खोब्रागड़े, परिक्षेत्र अधिकारी कोठारी जीवन लाल साहू, देवपुर पुष्पेन्द्र साहू, बल्दाकछार अनिल वर्मा, सोना खान सुनीत साहू आदि उपस्थिति रहे.

बैल पर बाघ ने किया हमला, लाठी से आवाज निकलकर भगाया 

बारनवापारा अभ्यारण्य के ग्राम तालदादर के निवासी चरवाहा पंचराम बरिहा ने बताया कि वह वनक्षेत्र में अपने मवेशियों को चराने ले गए थे, इसी दौरान बाघ ने उनके बैल के गर्दन पर हमला कर शिकार करने का प्रयास किया. यह देखकर पंचराम बरिहा ने अपने बैल की जान बचाने के लिए शोर मचाते हुए लाठी को जमीन और पत्थर में पटक-पटकर कर बाघ को बैल का शिकार करने से बचाए और इसकी जानकारी वनाधिकारियों को दी. इसपर पंचराम को उनके घायल बैल के इलाज की क्षतिपूर्ति और उनके सूझबुझ और सहासिक कार्य के लिए सम्मेलन में वन मंडलाधिकारी बलौदा बाजार ने 1000 रुपये से पुरस्कृत कर सम्मानित किया.

अभ्यारण्य बनने से पहले क्षेत्र में बहुत बाघ थे

सम्मेलन में मुड़पार के चरवाहा रामलाल गोंड़ ने बताया कि जब वे 8-9 वर्ष के थे, तब अभ्यारण्य नहीं बना था. साल 1960-65 के आस-पास बारनवापारा में काफी संख्या में बाघ थे.

ये भी पढ़े: खतरे में आई मध्य प्रदेश के 500 से अधिक शिक्षकों की नौकरी, जानिए क्या है पूरा मामला?

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close