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जवानों के जज्बे को सलाम! नक्सली हमले में घायल कोबरा कमांडो ने कहा, 'वापस आकर डटकर मुकाबला करूंगा'

Naxalite Attack in Chhatisgarh: सुकमा नक्सली हमले में घायल जवान मलकीत सिंह का इलाज रायपुर के एक निजी अस्पताल में किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ चार घंटे से अधिक समय तक चली.

जवानों के जज्बे को सलाम! नक्सली हमले में घायल कोबरा कमांडो ने कहा, 'वापस आकर डटकर मुकाबला करूंगा'
प्रतीकात्मक फोटो

Cobra Commando Interview: छत्तीसगढ़ के सुकमा (Sukma) में मंगलवार को हुए नक्सली हमले (Naxalite Attack) में घायल कोबरा कमांडो ने कहा कि इस हमले से उनके मनोबल पर कोई असर नहीं पड़ा है और वह जल्द ही अभियान का हिस्सा बनने के लिए जंगलों में लौटेंगे. घायल जवान मलकीत सिंह का उपचार रायपुर (Raipur) के एक निजी अस्पताल में किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ (Naxal Encounter) चार घंटे से अधिक समय तक चली.

बता दें कि सुकमा जिले के टेकलगुडेम गांव के पास मुठभेड़ में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के तीन जवान शहीद हो गए थे, जिनमें कोबरा बटालियन के दो जवान भी शामिल थे. नक्सलियों के हमले में 15 जवान घायल भी हुए हैं.

नक्सलियों के पास BGL भी था

घायल जवान मलकीत सिंह ने बताया कि हमला उस समय किया गया जब सुरक्षाकर्मी सुकमा-बीजापुर जिले की सीमा पर माओवादियों के गढ़ टेकलगुडेम में एक नया शिविर बनाने के बाद इलाके की साफ-सफाई में लगे हुए थे. पुलिस के अनुसार, राज्य पुलिस के विशेष कार्य बल (STF) और जिला रिजर्व गार्ड (DRG) इकाइयों और सीआरपीएफ व उसकी कोबरा यूनिट के 1,500 से अधिक जवान इस अभियान में शामिल थे.

सिंह ने बताया, ''हम (कोबरा कर्मी) मंगलवार सुबह साढ़े नौ बजे से 10 बजे के बीच टेकलगुडेम पहुंचे, क्योंकि वहां एक नया शिविर बनाया जा रहा था. फिर हमने क्षेत्र में घेराबंदी शुरू कर दी. शुरुआत में कुछ (संदिग्धों) को निगरानी करते हुए देखा गया. वे स्पष्ट रूप से हमारी रेकी करने के लिए आए थे." उन्होंने कहा कि अचानक बड़ी संख्या में नक्सली आए और गोलीबारी शुरू कर दी. वे बीजीएल (Barrel Grenade Launcher) के गोले भी दाग रहे थे. सिंह ने बताया, ''हमने तुरंत मोर्चा संभाला और जवाबी गोलीबारी शुरू की.''

राहत वाहन तक पहुंचने के लिए दो किमी चलना पड़ा

उन्होंने बताया कि नक्सलियों की संख्या करीब 300-400 थी और उनमें महिलाएं भी शामिल थीं. सिंह ने दावा किया, ''हमने देखा कि कम से कम 15 से 20 नक्सली गोलियां लगने के बाद गिर गये, जिन्हें उनके साथी अंदर जंगल में ले गए." उन्होंने बताया, ''एक गोली मेरे कंधे के पास लगी. गोलीबारी के बीच घायल कर्मियों को निकाला जा रहा था. हमें निकालने वाले वाहन तक पहुंचने के लिए मैं लगभग दो किलोमीटर तक पैदल चला."

इस हमले में तीन जवान शहीद हुए, जिनमें कोबरा की 201वीं टुकड़ी के सिपाही देवन सी, पवन कुमार और सीआरपीएफ की 150वीं टुकड़ी के सिपाही लंबघर सिन्हा थे. सिंह सहित सभी घायल जवान कोबरा की 201वीं टुकड़ी का हिस्सा हैं.

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