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Exclusive Interview: 800-1000 नक्सलियों का जवानों ने कैसे किया मुकाबला? जानें हमले का आंखों देखा हाल

NDTV Interview: सुकमा और बीजापुर जिले की सीमा पर मंगलवार को हुए नक्सली हमले में घायल जवानों से NDTV की टीम ने बात की. इन घायल जवानों ने हमारी टीम को हमले का आंखों देखा हाल बताया.

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Exclusive Interview: 800-1000 नक्सलियों का जवानों ने कैसे किया मुकाबला? जानें हमले का आंखों देखा हाल
सुकमा में हुए नक्सली हमले में घायल हुए जवान अविनाश शर्मा.

Exclusive Interview with Injured Soldier: छत्तीसगढ़ के सुकमा और बीजापुर जिले की सीमा पर मंगलवार को हुए नक्सली हमले (Naxalite Attack) में घायल जवानों से NDTV की टीम ने बात की. इन घायल जवानों ने हमारी टीम को हमले का आंखों देखा हाल बताया. उन्होंने बताया कि किस तरह से नक्सलियों ने उनपर हमला बोला और कैसे उन्होंने जवाबी कार्रवाई की. जम्मू के कठुआ के रहने वाले अविनाश शर्मा ने NDTV को बताया कि कैंप लगाने गई सुरक्षाबलों की टीम को करीब 800 से 1000 नक्सलियों ने घेर लिया था. जिसके बाद दोनों तरफ से करीब 3 घंटे तक फायरिंग हुई और बड़े-बड़े मोर्टार दागे गए. हमारी टीम ने अविनाश से इस हमले से जुड़े कई सवाल किए, जिनके जवाब हूबहू नीचे दिए गए हैं.

सवाल - अविनाश, आप लोग कहां से कितने बजे और कहां के लिए निकले थे?

जवाब - हम लोग बेद्रे कैंप से टेकलगुडेम के लिए करीब 4:30 बजे निकले थे. वहां पर कैंप लगाना था. हम लोग 10 बजे वहां पहुंच गए. एरिया सर्च करके कार्डेन में बैठे हुए थे. नक्सलियों द्वारा वहां एम्बुश लगाया गया था. उनकी तरफ से फायरिंग हुई. पहली फायरिंग 11 बजकर 40 मिनट पर हुआ. इसके बाद लगातार BGL फायर आते गए. चार्ली कंपनी साइड में थी. उसके आगे ब्रावो कंपनी थी और ब्रावो के आगे F कंपनी थी. तीनों ने एरिया कार्डेन कर रखा था. और ऊपर STF की कंपनी थी.

चार्ली कंपनी पर पहला फायरिंग आया. तकरीबन 10 से 15 मिनट तक फायर आता रहा. उन्होंने भी हैवी फायर डाला, BGL मोर्टार दागे. फिर आगे बढ़कर हमारी कंपनी पर फायर किया. हमने भी हैवी फायर डाला. 3 घंटे तक फायरिंग चलती रही. 

सवाल - नक्सलियों की संख्या कितनी थी, कैसा इलाका था?

जवाब - प्लैन एरिया था, सामने थोड़ी-थोड़ी झाड़ियां थी. नक्सलियों ने झाड़ियों का फायदा उठाया. वहां पर 800 से ऊपर 1000 के करीब नक्सली रहे होंगे. ये नक्सली चारों तरफ से फायरिंग करने लगे.

सवाल - नक्सलियों के पास कौन-कौन से हथियार थे?

जवाब - उनके पास BGLभी था, उनकी PGL प्लाटून थी. उनके स्नाइपर बैठे हुए थे. स्नाइपर गोली चलाए जा रहे थे. 

सवाल - सुरक्षा बलों ने कैसे पोजीशन ली?

जवाब - फायर आने पर हमने कुदरती आड़े, मेढ़ और पेड़ की आड़ लेकर मोर्चा संभाला. तब BGL फट रहे थे. हमने भी BGL मोर्टार दागे. उनकी भी काफी इंजरी हुई होगी. 15 से 20 लोग मारे गए होंगे. उन्हें ज्यादा नुकसान हुआ होगा. गोली लगने पर नक्सली चिल्ला रहे थे. लेडीज की आवाजें आ रहीं थीं. काली डंगरी में महिलाएं दिख रही थीं.

सवाल - सुरक्षा बलों की कितनी संख्या थी?

जवाब - तीन कंपनी थी. कोबरा के 70 जवान, STF के 75-75, और 150 की बटालियन पीछे से आ रही थी. कैंप उसे ही लगाना था. हमारा काम कैंप लगने के दौरान कार्डेन करना था. ट्रक के जरिए समान आना था. कैंप लगाने के पहले ही हमला हो गया. रास्ता बनाते-बनाते ही घटना हुई ट्रक पहुंच ही नहीं पाए.

सवाल - नक्सलियों को क्या कहेंगे?

जवाब - हम कैंप लगाकर रहेंगे. पहले भी कैंप लगाए हैं, फायर होते रहते हैं. इसके पहले बेद्रे कैंप लगाया, 65 दिन कार्डेन में रहे थे. उसके पहले सिलगेर से 7 किमी दूर एल्मा गुंडा में कैंप लगाया था. ये पूरा इलाका नक्सली गढ़ कहलाता है.

सवाल - सिलगेर के लोग कैंप का विरोध करते हैं. क्या यहां भी ऐसा विरोध था?

जवाब - यहां ऐसा कोई नहीं दिखा. एक-दो लोग ऐसे ही घूम रहे थे. उनके पास वेपन नहीं था. बिना वेपन के हम कुछ बोल नहीं सकते. बेद्रे कैंप से जो कैंप लगाया जा रहा था, वह 9 किमी दूर है.  वहां से 9 किमी पैदल गए थे. 

सवाल - आपके साथी में कौन घायल हुए?

जवाब - मेरे साथ मलकीत था, मधु मेरी टीम में थे, घायल हुए हैं. सभी ने एक-दूसरे का साथ दिया. अफसरों ने भी मोटीवेट किया.

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