Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के धुर नक्सल इलाके में बनी सड़क के नाम पर हुए भ्रष्टाचार के मामले में दो ईई सहित पांच अफसरों पर गाज गिर गई है. सरकार ने इन अफसरों को सस्पेंड कर दिया है. जबकि ठेकेदार और कांग्रेस के जिलाध्यक्ष को पीडब्ल्यूडी विभाग में ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है.
दंतेवाड़ा जिले में डीएमएफ मद से बनी हिरोली-डोक्कापारा से मड़कामीरास तक बनाई गई सड़क निर्माण में हुए भ्रष्टाचार का मामला विधानसभा सत्र में उस वक्त गरमा गया,जब भाजपा के विधायक अजय चंद्राकर ने दंतेवाड़ा जिले में जिला खनिज न्यास निधि (DMF) मद से PMGSY विभाग को एजेंसी बनाकर हिरोली- डोक्कापारा से मड़कामीरास तक बनाई गई सड़क पर भ्रष्टाचार का मामला उठाया. इस सड़क को बनाने वाले ठेकेदार कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अवधेश सिंह गौतम हैं. प्रश्नकाल में भाजपा के विधायक अजय चंद्राकर ने इस सड़क पर गड़बड़ी का आरोप लगाया तो डिप्टी सीएम ने PMGSY एजेंसी दंतेवाड़ा के 5 अफ़सर को सस्पेंड कर दिया.
जबकि सड़क निर्माण के ठेकेदार को PWD विभाग में ब्लैक लिस्टेड, FIR दर्ज करने और निर्माण में जिला प्रशासन द्वारा भेजी गई जांच रिपोर्ट के आधार पर 2 करोड़ 1लाख 6 हजार एक सौ सत्तराह रुपये(20106117.00₹) वसूली के आदेश दे दिए गए हैं. मामले में ठेकेदार के खिलाफ बनाई गई अन्य जिलों से भी सभी सड़कों के जांच के आदेश विधानसभा सत्र से ही जारी कर दिए हैं.
ये है पूरा मामला
दरअसल मड़कामीरास से हिरोली सड़क स्वीकृति दो भागों में हुई थी. तत्कालीन कलेक्टर विनीत नंदनवार ने इस सड़क को दो भागों में बांटा इसके लिए एक करोड़ 96 लाख और एक करोड़ 99 लाख स्वीकृत किए गए.इस सड़क की टेंडर प्रक्रिया भी सवालों के घेरे में रही.सत्ता का दुरुपयोग करते हुए कांग्रेस के जिलाध्यक्ष व ठेकेदार अवधेश गौतम ने अन्य ठेकेदारों को इसमें भाग लेने से रोका और खुद 10 प्रतिशत अधिक दर पर इसका कार्यादेश प्राप्त किया.
लेकिन सत्ता बदलते ही मामले की शिकायत हुई और जांच भी हुई.जांच में जब कोर कटिंग की गई तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ. इस सड़क में सर्वाधिक राशि मिट्टी और मुरुम के नाम पर बुक की गई. जबकि कोर कटिंग में सड़क में मुरुम पाई ही नहीं गई और इसी के बाद इसमें बड़ी रिकवरी निकलकर सामने आई.प्रशासन ने 5 सदस्यीय टीम से जांच करवाई और अवधेश गौतम के खिलाफ दो करोड़ एक लाख की रिकवरी निकाली.
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ब्लैक लिस्ट करने के आदेश भी जारी
इसकी जांच जून में पूर्ण कर ली गई थी और शासन को रिपोर्ट सौप दी गई थी.लेकिन शीतकालीन सत्र के दौरान प्रश्न पूछे जाने के बाद ठेकेदार को रिकवरी का नोटिस जारी किया गया. कहा जा सकता है शासन ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया था,मामला विधानसभा में गूंजा और ठेकेदार और अब 5 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो चुकी है. बताया जा रहा कि कल देर शाम ही कलेक्टर ने ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट करने के लिए सभी विभागों को आदेश जारी कर दिया है.
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