छत्तीसगढ़ के कोरिया में स्वास्थ्य विभाग का हाल बेहाल नजर आ रहा है. बता दें, कोरिया जिला अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था बिगड़ती चली जा रही है. डॉक्टर, स्टाफ की हड़ताल के बाद शासन ने 84 स्वास्थ्य कर्मियों को बर्खास्त कर दिया. इससे अस्पताल में मरीज और उनके परिजन काफी परेशान होते नजर आ रहे हैं लेकिन जिम्मेदारों को इससे कोई लेना देना नहीं. अस्पताल में 32 में से 22 डॉक्टर व 50 से ज्यादा स्टाफ नहीं हैं जिस कारण OPD और इमरजेंसी में बढ़ती मरीजों की भीड़ को संभालना मुश्किल हो गया है.
"एक अनार सौ बीमार" वाली स्थिति
बता दें कि बड़ी समस्या इमरजेंसी और नाइट ड्यूटी की बनी हुई है. डॉक्टर और स्टाफ की कमी के चलते गिनती के स्वास्थ्य कर्मी रात में सेवा दे रहे हैं. ऐसे वक्त में इमरजेंसी में आने वाले मरीज और उनके परिजन को परेशान होना पड़ रहा है. जिला अस्पताल में मरीजों की जांच का जिम्मा 10 स्पेशलिस्ट डॉक्टर के भरोसे है. ऐसे में OPD के साथ वार्ड में राउंड लेना कठिन हो गया है.
शासन- प्रशासन पर लोगों में नाराजगी
डॉक्टर यदि वार्ड में चले जाएं तो ओपीडी में मरीजों की लंबी लाइन लग जाती है. वहीं वार्ड में मरीज को देखने नहीं जाने से स्थिति गंभीर हो जाती है. सोमवार की शाम जिला अस्पताल में भर्ती मरीज की मौत हो गई. परिजनों ने डॉक्टरों की अनदेखी का आरोप लगाया. 2 दिन पहले भी अस्पताल में एक मरीज की मौत हो चुकी है. मरीजों और उनके परिजनों में स्वास्थ्य विभाग और शासन प्रशासन के प्रति नाराजगी बनी हुई है.
स्टाफ की कमी से स्वास्थ्य व्यवस्था चौपट
अस्पताल में स्टाफ की कमी के कारण पोस्टमार्टम से लेकर अन्य स्वास्थ्य व्यवस्था चौपट हो रही है. दिनों -दिन परेशानी बढ़ती जा रही है फिर भी कोई सुनने वाला नहीं. सरकार के इस रवैया से स्वास्थ्य कर्मियों व लोगों में नाराजगी देखने को मिल रही है. इस मामले में CMHO डॉ आर एस सेंगर ने कहा कि डॉक्टर और स्टाफ की कमी होने के बावजूद बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं. नाइट शिफ्ट और इमरजेंसी में भी डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है. स्टाफ नहीं होने से परेशानी को लेकर उच्च अधिकारियों को अवगत कराया गया है.
दंडनात्मक कार्रवाई को वापस लेने की मांग
छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन कलेक्टर कोरिया को भेजा है. इसमें लिखा है कि छत्तीसगढ़ हेल्थ फेडरेशन के 12 संगठन अपनी मांगों को लेकर 21 अगस्त से अनिश्चितकालीन आंदोलन पर है. आंदोलन में शामिल स्वास्थ्य चिकित्सक, ग्रामीण स्वास्थ्य समाजक एनएम और नर्सिंग से जुड़े तमाम कर्मचारियों ने संगठन लगातार शासन से आवेदन किया लेकिन किसी तरह की सुनवाई नहीं होने पर उन्हें आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ा है.
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