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Valentine SPL : यहां पूरी होती है 'मुकम्मल इश्क' की हर अर्जियां, जानिए बस्तर के तीन अमर प्रेम जोड़ों की कहानियां

Valentine Week Special Love Story In Bastar CG : वैलेंटाइन वीक (Valentine Week) चल रहा है . कपल्स में खासा उत्साह है. एक दूसरे के प्रति प्रेम को व्यक्त करने का ये सबसे बेहतर अवसर है. लेकिन इस खास मौके पर हम आपको आज छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में जन्मी कुछ ऐसी प्रेम कहानियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो फिल्मी पर्दे तक भले ही नहीं पहुंच पाईं, लेकिन इनके किस्से बस्तर की वादियों में गूंज रहे हैं...

Valentine SPL : यहां पूरी होती है 'मुकम्मल इश्क' की हर अर्जियां, जानिए बस्तर के तीन अमर प्रेम जोड़ों की कहानियां
Chhatisgarhi Love Story's on Valentine's Day Spl

Jhitku Mitki,Somi Dhami And Runki Jhunki Love Story :  वैलेंटाइन वीक (Valentine Week) चल रहा है. ऐसे में प्रेम की नई पुरानी कहानियां इसको और भी खास बना रही हैं. वैसे तो आपने लैला-मजनू की प्रेम कहानी (Love Story) को सुनहरे पर्दे पर देखी या सुनी होगी. लेकिन क्या आप जानते हैं, लैला-मजनू , हीर-रांझा की तरह ही बस्तर की धरती में झिटकू-मिटकी, सोमी- धामी, रुनकी और झुनकी की अमर प्रेम कहानियां भी जन्मी हैं. ये प्रेम कहानी भले ही अधूरी रही हो, पर इनकी नजीर आज भी बड़े शान से दी जाती है. बस्तर में इनको पूजा जा रहा है. प्रेम के ये दीवानें आज भी अमर हैं. दशकों से बस्तर में ये देवता बनकर लोगों कि प्रेम की अर्जियों को सुनते हैं. साथ ही अन्य मन्नतों को पूरा कर रहे हैं. आज किस डे के मौके पर NDTV की स्पेशल रिपोर्ट में पढ़िए  सोमी और धामी, रुनकी- झुनकी की अमर प्रेम कहानियां..

पहली ही बार में लड़ी नजरें और मिल गए दिल

दरअसल, बात यहां से शुरू होती है, जब कोंडागांव से लगे सम्बलपुर से दो लड़के रोजगार की तलाश में सोनाबल पहुंचे हैं , सेठिया परिवार के लोगों के अनुसार, उनके पूर्वजों के यहां सोमी और धामी नाम दो युवक काम की तलाश में आते हैं, और उनके यहां काम करने लगते हैं. काम के दौरान रुनकी और झुनकी नाम की दो युवतियों के साथ सोमी- धामी की नज़रे लड़ी और दोस्ती हो गई. फिर धीरे-धीर इनके रिश्ते और भी गहरे होते गए. उनके बीच प्यार परवान चढ़ गया. 

कोठी में हो जाती है, दोनों की मौत

जब घर वालों के साथ गांव वालों को इस प्यार की खबर लगी, तो इसका विरोध होने लगा, जिससे डरकर सोमी और धामी एक कमरे (कोठी) में जाकर छुप गए, जहां अलसी भरी हुई थी. अलसी की कोठी में छिपे होने की वजह से सोमी और धामी की वहीं, मौत हो गई जाती है. ये बात महीनों बाद पता चलती है कि अलसी की कोठी में छिपे सोमी-धामी की मौत हो गई है. इनकी याद में रुनकी व झुनकी भी कुछ समय बाद सती हो जाती हैं. 

यहां सोमी और धामी की दशकों से की जा रही पूजा

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सेठिया के लोगों ने बताया की सोमी और धामी की मौत के बाद वे हमारे परिवार वालों को परेशान करने लगे थे. उस वक्त परिजनों ने गांव की एक समस्या को लेके सोमी और धामी से सपनों में बात की, जिसे सोमी और धोमी ने पूरा कर दिया. उसके बाद से उनके परिवार और गांव वाले दशकों से सोमी और धामी की पूजा अर्चना करते आ रहे हैं. भले ही सोमी और धामी की प्रेम कहानी अधूरी रह गई, पर आज भी उनके दर पे जो भी फरियाद लेकर आता है. वह जरुर पूरी होती है. खासकर अपने प्यार को पाने लिए लोग मन्नत मांगते हैं, और लोगों की मन्नत पूरी भी होती है .  

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बदला दौर और लगने लगी सियासी अर्जियां 

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बदलते समय के साथ ही सोमी-धोमी के दर पर अब चुनाव जितने के लिए भी अर्जी लग रही हैं. इस पंचायत चुनाव में सोमी धोमी के दरबार में कई प्रत्याशियों ने जीत के लिए अर्जी लगाई है. हां इतना जरुर है कि इनके मंदिर में महिलाओं का प्रवेश निषेध है, और इनका प्रसाद आदि भी महिलाएं सेवन नहीं करती है. 

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